मेरठ : माल, हैश है कहकर मांगा जाता है नशे का सामान, युवा वर्ग को तबाही की तरफ ले जा रहा है यह धंधा

मेरठ सहित वेस्‍ट यूपी में नशे के धंधे का कारोबार कितना फैल चुका है। इसकी बानगी इसी से लगाई जा सकती है कि पिछले दिनों एसटीएफ ने ओडिशा से टैंकर में छिपाकर व कंकरखेड़ा पुलिस ने वोल्वो बस से तस्करी कर लाई जा रही चरस पकड़ी गई थी।

By Parveen VashishtaEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:51 AM (IST)
मेरठ : माल, हैश है कहकर मांगा जाता है नशे का सामान, युवा वर्ग को तबाही की तरफ ले जा रहा है यह धंधा
युवा वर्ग को तबाही की तरफ ले जा रहा है नशे का धंधा।

मेरठ, सुशील कुमार। पुलिस के संरक्षण में पश्चिमी उप्र के जिलों में बड़ी संख्या में युवाओं की नसों में नशे का जहर घोला जा रहा है। इस धंधे से जुड़े लोगों की जड़े इतनी मजबूत हैं कि वह बेरोक टोक कालेजों के बाहर से लेकर शहर की पाश कालोनियों में नशे की होम डिलीवरी कर रहे है। हालांकि यदाकदा पुलिस नशा माफियाओं पर दबाब बनाने के लिए नशे की बड़ी खेप भी पकड़ लेती है, लेकिन सरगना की गर्दन तक उनके हाथ नहीं पहुंचते हैं। सिर्फ कैरियर को पकड़कर इतिश्री कर देती है।

वेस्ट यूपी में नशे के धंधे का कारोबार कितना फैल चुका है। इसकी बानगी इसी से लगाई जा सकती है कि पिछले दिनों एसटीएफ ने ओडिशा से टैंकर में छिपाकर लाई जा रही चरस पकड़ी थी, जबकि कंकरखेड़ा पुलिस ने वोल्वो बस से तस्करी कर लाई जा रही चरस पकड़ी थी। हालांकि पुलिस करोड़पति बने नरेश प्रधान की संपत्ति जब्त कर चुकी है और हाजी तस्लीम के घर को भी कुर्क कर चुकी है। दोनों के जेल चले जाने के बाद नशे के धंधे में कुछ कमी जरूर आई है, लेकिन कारोबार रूका नहीं है। अब भांग की आड़ में चरस और गांजे की सप्लाई ठेकों से दी जा रही है।

तस्कर कोड वर्ड से करते हैं बात

खासबात यह है कि तस्कर कोड वर्ड से भी अवैध नशे की मांग करते है। कहीं माल तो कहीं हैश कहकर नशे का सामान मंगाते हैैं, यही कारण है कि नशे का यह अवैध धंधा युवा पीढ़ी को तबाही की तरफ ले जा रहा है।

ये है नशे के बड़े सौदागर

1 ब्रह्मपुरी का हिस्ट्रीशीटर सनी कालिया (आठ अक्टूबर 2020 को जेल गया था )

2. भूसा मंडी मछेरान का ड्रग्स तस्कर तस्लीम (2003, 2016 और 2021 में जेल जा चुका है, अब जेल में बंद है )

3. भांग का ठेला चलाने वाले सत्येंद्र और राजू चौहान (19 सितंबर 2020 को जेल गए थे )

4. ब्रह्मपुरी मंगतपुरा का रमेश प्रधान (जेल में बंद है )

5. टीपी नगर का गणेश और उसकी बेटी सोनिया (गणेश दिल्ली चला गया) अब सोनिया ने संभाल रखी है कमान।

ये नशा शहर में बेचा जा रहा

कच्ची शराब, स्मैक, ब्राउन शुगर, हेरोइन, अफीम, चरस, भांग, गांजा, डोडा, नशीली गोलियां, और इंजेक्शन।

नशेडिय़ों के अड्डे

घंटाघर, ओडियन सिनेमा, माल गोदाम, बिजलीघर, भूमिया का पुल, मोहम्मद कब्रिस्तान, नौचंदी ग्राउंड, पीवीएस माल, रामलीला ग्राउंड, लालकुर्ती और सोहराबगेट बस स्टैंड आदि है।

नशे का बाजार

इंजेक्शन और गोलियां (मेडिकल स्टोर), चरस, स्मैक और गांजा मिलता है भांग के ठेके मछेरान भूसा मंडी, लालकुर्ती, जवाहरनगर, जली कोठी, पत्ते वाली गली, माल गोदाम, नई बस्ती और घंटाघर आदि क्षेत्र है। साकेत, पटेल नगर, शास्त्रीनगर, शंभूनगर, सुशांत सिटी, मिशन कंपाउंड, सोतीगंज, सिविल लाइन और थापर नगर समेत कई पाश कालोनियों में चरस को होम डिलीवरी दी जा रही है।

सप्लाई चेन में 18 से 25 साल के युवक शामिल  

सीओ एसटीएफ ब्रिजेश सिंह के मुताबिक सभी तस्कर सप्लाई चेन में ऐसे युवकों को शामिल करते है, जो शहर के हर एक इलाके के बारे में जानते हैं, ताकि आसानी से माल पहुंचा सके। इतना ही नहीं यदि पुलिस को भनक लग गई तो किन-किन रास्तों से बचकर निकला जा सकता है। इनको माल पहुंचाने पर पांच सौ से एक हजार रूपये तक दिए जाते हैं। सप्लाई में 18 से 25 साल के युवाओं को रखा जाता है। वाट्सएप पर आर्डर आने के बाद दिए गए स्थान पर तीस मिनट में सप्लाई पहुंच जाती है।

क्लब और होटल में कराया जाता है ड्रग्स का नशा

छह माह पहले नौचंदी थाना क्षेत्र के नई सड़क इलाके में चल रही बर्थ-डे पार्टी में भी ड्रग्स का नशा कराया जा रहा था। पुलिस ने वहां से सौरभ समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से ड्रग्स बरामद की गई थी। पुलिस को डग आउट रेस्टोरेंट में नशे का धंधा होने की जानकारी मिली थी, जिसे सील कर दिया था। होटल और रेस्टोरेंट में तो कुछ युवतियों को भी इस काम पर लगाया जाता है।

कालेजों के बाहर 300 रुपये में दी जाती है सप्लाई 

कालेजों और पाश कालोनियों में सप्लाई करने वाले नशे के सौदागर 700 रुपये की एक पुडिय़ा खरीदते है। इसके कई हिस्से कर 300 से 400 रुपये में आगे सप्लाई देते है। यह सप्लाई स्कूल और कालेजों के बाहर दी जाती है।लाकडाउन से शुरू हुई होम डिलीवरी

लाकडाउन में कालेज बंद हो जाने पर इस धंधे से जुड़े लोगों ने होम डिलीवरी शुरू कर दी थी। कालेज खुलने के बाद फिर से सप्लाई वहीं दी जाने लगी है। हालांकि अभी भी आन डिमांड घर पर होम डिलीवरी की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि कोरोना काल में पुलिस संरक्षण में आम दिनों की तुलना में इस अवैध धंधे से जुड़े तस्करों नेे खूब कमाई की थी। 

इनका कहना है...

भांग के ठेके पर अन्य नशे का सामान नहीं मिलता है। समय-समय पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। हाल में भी अभियान चलाकर नशे का अवैध धंधा करने वालों को जेल भेजा जा चुका है। 

-आलोक कुमार, आबकारी अधिकारी

नशे का अवैध कारोबार करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की गई है। हाली तस्लीम से लेकर रमेश प्रधान तक की संपत्ति कुर्क की गई है। इसके बाद भी नशे का धंधा करने वालों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। 

-प्रभाकर चौधरी, एसएसपी। 

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