Meerut Coronavirus Outburst: मेरठ में न तो आक्सीजन और न ही अस्पतालों में बेड, कराह रहा शहर
Meerut Coronavirus कोरोना महामारी ने व्यवस्था को मानो पंगु कर दिया है। सरकारी अस्पतालों से लेकर नर्सिग होमों तक मरीजों को बेड नहीं मिल रहे। प्रशासन आक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं करवा पा रहा इससे सभी को व्यवस्थित इलाज की उम्मीदें धरी रह जा रही हैं।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना महामारी ने व्यवस्था को मानो पंगु कर दिया है। सरकारी अस्पतालों से लेकर नर्सिग होमों तक मरीजों को बेड नहीं मिल रहे। प्रशासन आक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं करवा पा रहा, इससे सभी को व्यवस्थित इलाज की उम्मीदें धरी रह जा रही हैं। मंगलवार को मेडिकल कालेज में 13 जबकि नर्सिग होम व कुछ अस्पतालों में दस से ज्यादा मरीजों की कोरोना से मौत हो गई। केवल सूरजकुंड स्थित श्मशान घाट की बात करें तो मंगलवार को यहां 52 कोविड शवों का अंतिम संस्कार किया गया। बेशक इनमें आसपास के जिलों के शव भी शामिल हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अनुसार केवल पांच मरीजों की कोरोना से मौत हुई। आंकड़ों का यह अंतर लोगों को हैरान कर रहा है। इन सबके बीच मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिविर और जीवनरक्षक दवाओं का भारी संकट भी मुंह बाए खड़ा है।
पश्चिमी उप्र में मेरठ मेडिकल कालेज सबसे बड़ा एल-3 कोविड केंद्र है। यहां पर कोरोना मरीजों के लिए 401 बेड हैं, जिनमें 370 बेडों पर आक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था है। यहां सभी बेडों पर मरीज हैं। मंगलवार की दोपहर यहां आक्सीजन का प्रेशर अचानक लीक होने से हड़कंप मच गया। आधे घंटे की मशक्कत के बाद इसे रिपेयर किया जा सका। ऐसे ही तमाम संकटों के बीच शाम छह बजे तक वार्ड में 13 मरीजों की जान चली गई थी। रात में और मरीजों की मौत हुई है, जिसका रिकार्ड अगले दिन मेंटेन होगा। मेडिकल वार्ड के सामने मंगलवार को भी हंगामा हुआ, जब भर्ती के लिए लंबा इंतजार करने के बाद एक मरीज की मौत हो गई। दूसरी ओर, सुभारती मेडिकल कालेज और एनसीआर मेडिकल कालेज में भी मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा, जबकि नर्सिग होमों ने कई मरीजों को आक्सीजन की कमी बताकर लौटा दिया। इसके चलते कई मरीजों ने बीच राह दम तोड़ दिया।
आक्सीजन की बात करें तो रोजाना 55 टन की जरूरत के सापेक्ष महज 30 टन आक्सीजन मिल पा रही है। इस वजह से नर्सिग होमों व कुछ अस्पतालों में सप्ताहभर में दर्जनभर से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को शहर की तीन गैस एजेंसियों पर हजारों लोग सिलेंडर भरवाने के लिए कतारों में देखे गए। चार से पांच घ्ंटे के इंतजार के बाद आक्सीजन मिली, तब तक कई मरीजों ने दम तोड़ दिया था। इलाज की व्यवस्था सुधारने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने प्रशासन के साथ कोविड अस्पतालों का निरीक्षण शुरू किया था, जिसे दबाव बढ़ने के बाद रोक दिया गया। विभागीय रिपोर्ट बताती है कि जिले में उपलब्ध 3486 बेडों में 1600 से ज्यादा खाली हैं, लेकिन मरीजों को भर्ती नहीं किया। स्वास्थ्य विभाग ने माना कि मंगलवार को भी इलाज के इंतजार में अस्पतालों का चक्कर काटते हुए कई मरीजों की मौत हो गई है।