ईशानी को दुनिया की दुर्लभ बीमारी की वजह बता रहे चिकित्‍सा विज्ञानी, अगले जनरेशन को भी खतरा

विशेषज्ञों ने बताया कि एसएमए-1 जीन में बदलाव यह बीमारी होती है। ऐसे बच्चे गर्भ में भी कोई मूवमेंट नहीं करते हैं। दस से 30 हजार में एक बच्चा इस बीमारी का शिकार हो सकता है। उन्‍होंने दुनिया की दुलर्भ बीमारी के अगले जनरेशन तक जाने की भी बात कही।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 11:22 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 11:22 AM (IST)
ईशानी को दुनिया की दुर्लभ बीमारी की वजह बता रहे चिकित्‍सा विज्ञानी, अगले जनरेशन को भी खतरा
मेरठ की ईशानी को दुनिया की दुलर्भ बीमारी है।

मेरठ, जेएनएन। डेढ़ साल की बच्ची ईशानी वर्मा में स्पाइन मस्कुलर एट्राफी की दुर्लभ बीमारी मिलने के बाद चिकित्सा विज्ञानी हरकत में आ गए हैं। एम्स नई दिल्ली में इस बच्ची को रिसर्च पूल में शामिल करने की बात चल रही है, जहां इसके मुफ्त इलाज की उम्मीद जगी है। विशेषज्ञों ने बताया कि एसएमए-1 जीन में बदलाव यह बीमारी होती है। ऐसे बच्चे गर्भ में भी कोई मूवमेंट नहीं करते हैं। दस से 30 हजार में एक बच्चा इस बीमारी का शिकार हो सकता है। मांसपेशियों में हरकत पैदा करने के लिए बच्चे को करीब 20 करोड़ का इंजेक्शन लगाना पड़ता है।

मांसपेशियां हो जाती हैं नाकाम: बाल रोग विशेषज्ञ डा. अमित उपाध्याय ने बताया कि एम्स नई दिल्ली बच्ची के इलाज के लिए बात की गई है। यहां शोध के लिए छह बच्चों का पूल बनाया जा रहा है। डा. अमित ने बताया कि यह जेनेटिक डिसआर्डर है, जिसके लक्षण गर्भावस्था के दौरान पता चलने लगते हैं। सामान्य शिशु गर्भ में हर दस मिनट में एक बार मूवमेंट करता है, लेकिन स्पाइन मस्कुलर एट्राफी का शिकार बच्चा गर्भ में शांत पड़ा रहता है। यानी, स्पाइन एवं ब्रेन से निकलने वाली नर्व तकरीबन निष्क्रिय हो जाती हैं, जिसकी वजह से मांसपेशियों में कोई हरकत नहीं होती। बच्चे के हाथ, पैर, गले एवं अन्य अंगों में मूवमेंट नहीं हो पाता है। बच्चा लुंज-पुंज बना व रबड़ की तरह बना रहता है। हालांकि आंखों में हरकत रहती है।

चार प्रकार की होती है यह बीमारी

टाइप-1: इसका शिकार बच्चा एक-डेढ़ साल में जान गंवा देता है।

टाइप-2: छह माह की उम्र के बाद बीमारी की जानकारी होती है। दस साल तक ऐसे ही रहता है।

टाइप-3: चार-पांच साल की उम्र में बीमारी का पता चलता है, और 30-40 साल तक मरीज जिंदा रह सकता है।

टाइप-4: 20 वर्ष की उम्र से शुरू होकर बीमारी पूरी उम्र रह सकती है

दुर्लभ बीमारी से लड़ रही ईशानी

ब्रह्मपुरी के मास्टर कालोनी निवासी अभिषेक वर्मा की डेढ़ वर्षीय बेटी ईशानी वर्मा दुनिया की दुर्लभ बीमारियों में से एक एसएमए (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी) से जूझ रही है। ईशानी के उपचार के लिए इंटरनेट मीडिया पर लोग मदद की अपील कर रहे हैं। 

विशेषज्ञ का क्‍या है मानना 

विवाह से पहले जीन मै¨पग कराना बेहतर होगा। इसके जरिए स्पाइन मस्कुलर एट्राफी, थैलेसीमिया, हीमोफीलिया व अन्य डिसआर्डर पकड़ में आ जाते हैं, और अगली पीढ़ी बीमार होने से बच जाएगी। गर्भ में मूवमेंट न हो तो भी डाक्टर से परामर्श लें। इस बीमारी के दो इलाज हैं। 2016 में ईजाद इंजेक्शन हर चार माह में रीढ़ की हड्डी में लगाना पड़ता है, जो कुछ सस्ता है। दूसरा इंजेक्शन करीब 20 करोड़ का है, जो नसों को सक्रिय कर मांसपेशियों में हरकत पैदा कर देता है।

डा. अमित उपाध्याय, बाल रोग विशेषज्ञ

chat bot
आपका साथी