एमडीए ने हैंडओवर हुए पार्कों से वापस लिए माली, बदहाली पर मेरठ नगर निगम पार्षदों ने यह लगाई गुहार
मेरठ नगर निगम के पास उद्यान अनुभाग में कर्मचारी व संसाधन नहीं हैं। दो साल पहले करीब 10 कालोनियां हैंडओवर हुई थीं जिनमें करीब 200 पार्क हैं। इन कालोनियों में स्थित पार्कों को भी एमडीए ने हैंडओवर कर दिया था। अब पार्कों की हालत बदहाल है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। नगर निगम को हैंडओवर हुई कालोनियों में स्थित पार्कों को भी एमडीए ने हैंडओवर कर दिया था। कुछ माह तक तो एमडीए के कर्मचारी उसकी देखभाल करते रहे थे, लेकिन अब एमडीए के कर्मचारी वापस बुला लिए गए हैं। पूरी तरह से उसकी जिम्मेदारी नगर निगम पर छोड़ दी गई है। इससे अब इन पार्कों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। इनकी न देखभाल हो रही है न ही निराई-गुड़ाई। पार्कों की बदहाल स्थिति पर नगर निगम के पार्षद अब एमडीए से गुहार लगा रहे हैं कि पार्क फिर से अपने ही संरक्षण में ले लें।
नगर निगम के पास उद्यान अनुभाग में कर्मचारी व संसाधन नहीं
दरअसल, नगर निगम के पास उद्यान अनुभाग में कर्मचारी व संसाधन नहीं हैं। दो साल पहले करीब 10 कालोनियां हैंडओवर हुई थीं जिनमें करीब 200 पार्क हैं। उधर, एमडीए के पास उद्यान अनुभाग है, जिसमें बड़ी संख्या में उद्यान निरीक्षक व माली आदि हैं। ट्रैक्टर, टैंकर समेत उद्यान संबंधी अन्य संसाधन हैं। एमडीए की अपनी नर्सरी भी है। इसी को देखते हुए कुछ माह तक यह वार्ता चलती रही कि कालोनी तो पूरी तरह से हैंडओवर कर दी जाएं लेकिन उन कालोनियों के पार्कों की देखरेख एमडीए ही करे। यह भी बात चली कि एमडीए जिन पार्कों की देखरेख करे उसका वार्षिक एस्टीमेट बनाया जाए। फिर जितनी धनराशि नगर निगम को एमडीए की ओर से दी जानी है उसमें से इस धनराशि को घटा ली जाए। लेकिन कई महीने तक चली वार्ता के बाद उच्च अधिकारियों में सहमति नहीं बनी। इस पर एमडीए ने कर्मचारी वापस बुला लिए। अब पार्षद एमडीए का चक्कर काट रहे हैं।
एमडीए ने बंद किया माली रखने का प्राइवेट सिस्टम
एमडीए के पास अब जब बड़ी संख्या में पार्क नहीं रह गए हैं तो उसने प्राइवेट स्तर से माली रखने व कार्य कराने की व्यवस्था खत्म कर दी। क्योंकि इन पार्कों की देखरेख के लिए प्राइवेट माली आदि से भी कार्य कराया जाता था।