Maulana Mahmood Madani: मौलाना महमूद मदनी जमीयत के स्थाई अध्यक्ष निर्वाचित, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सम्मेलन में फैसला

Maulana Mahmood Madani दिल्ली स्थित जमीयत मुख्यालय पर हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी सम्मेलन में मौलाना महमूद मदनी जमीयत का स्थाई अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया है। 21 राज्‍यों की कार्यकारिणी की ओर से उनके नाम का प्रस्‍ताव आया और सहमति प्रदान की गई।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 11:50 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 11:50 AM (IST)
Maulana Mahmood Madani: मौलाना महमूद मदनी जमीयत के स्थाई अध्यक्ष निर्वाचित, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सम्मेलन में फैसला
मौलाना महमूद मदनी अब जमीयत उलमा ए हिंद के स्थाई अध्यक्ष बन गए हैं।

सहारनपुर (देवबंद), जेएनएन। Maulana Mahmood Madani जमीयत उलमा ए हिंद (महमूद गुट) के अस्थाई अध्यक्ष चले आ रहे मौलाना महमूद मदनी अब संगठन के स्थाई अध्यक्ष बन गए हैं। दिल्ली स्थित जमीयत मुख्यालय पर हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी सम्मेलन में यह फैसला किया गया। कुछ माह पूर्व जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कारी उस्मान मंसूरपुरी के इंतकाल के बाद मौलाना महमूद मदनी कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए गए थे।

नाम का किया गया प्रस्‍ताव

शनिवार को दिल्ली में हुए सम्मेलन में जमीयत उलमा ए हिंद की अध्यक्षता के लिए सभी 21 राज्यों की कार्यकारिणी की तरफ से सहमति वाला मौलाना महमूद मदनी के नाम का प्रस्ताव आया। जिसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने स्वीकृत करते हुए अगले टर्न (काल) की अध्यक्षता के लिए मौलाना महमूद मदनी के नाम पर मुहर लगा दी। जिसके बाद मौलाना मदनी ने प्रस्तावों पर हस्ताक्षर कर अध्यक्ष पद का चार्ज (कार्य भार) संभाला।

आंदोलनों को कुचलने पर विश्वास रखती है सरकार : मदनी

सम्मेलन में देश की वर्तमान परिस्थितियों, किसान आंदोलन, अफगानिस्तान में हुए सत्ता परिवर्तन और साथ ही दूसरे महत्वपूर्ण कौमी व सामाजिक विषयों पर चर्चा हुई। किसान आंदोलन पर महमूद मदनी ने कहा कि लोकतंत्र में अपनी मांगों और समस्याओं को उठाने की आजादी है। किसानों को भी अपने अधिकार के लिए आंदोलन चलाने का मूलभूत व संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। लेकिन यह देखा गया है कि वर्तमान सरकार ऐसे आंदोलनों को कुचलने पर विश्वास रखती है।

अफगानिस्तान में नए बदलाव पर हुई बात

अफगानिस्तान में होने वाले नए राजनैतिक परिवर्तनों पर विचार विमर्श करते हुए आशा प्रकट की गई कि तालिबान इस्लामी मूल्यों की रोशनी में मानव अधिकारों का सम्मान करते हुए देश के सारे वर्गों के साथ न्यायपूर्ण और मानवीय व्यवहार करेंगे। इसके अलावा क्षेत्र के सारे देशों विशेषकर भारत के साथ संबंधों को मधुर और स्थाई बनाने के हर संभव प्रयास करेंगे। साथ ही अपनी जमीन को किसी भी देश के विरुद्ध प्रयोग नहीं होने देंगे।

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