Maulana Kaleem News: मुजफ्फरनगर में मदरसे के साथ एक शिक्षण संस्था भी संदेह के घेरे में, की जा सकती है जांच
Maulana Kaleem News मुजफ्फरनगर के मौलाना कलीम को एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अब जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है। मदरसे में कक्षा एक आठवीं तक सरकारी कोर्स के माध्यम से पढ़ाई होती है। मदरसे की भूमि में एक शिक्षण संस्था भी स्थापित है।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। मौलाना कलीम के मदरसे में कक्षा एक आठवीं तक सरकारी कोर्स के माध्यम से पढ़ाई होती है। इसके साथ बच्चों को ऊर्दू-अरबी का भी ज्ञान दिलाया जाता है। मौलवियत, कुरआन-ए-हाफिज की पढ़ाई होती है। मदरसे में लाइब्रेरी बनी है, जिनमें देश-विदेश के इस्लामिक विद्वानों द्वारा लिखित पुस्तक हैं। मदरसे के प्रवक्ता का दावा है कि गांव में बनी शिक्षक संस्था से मौलाना व मदरसे का कोई लेना-देना नहीं है। इसके निर्माण के लिए केवल भूमि दी गई है।
सरकार की गाइडलाइन का पालन
मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया के शिक्षक डा. मोहम्मद नईम के मुताबिक मदरसे में सरकार की गाइडलाइन का पालन होता है। मदरसे में कक्षा आठ तक सरकारी किताबों विज्ञान, गणित के साथ तमाम चीजें सिखाई जाती है, ताकि बच्चे दीन के साथ दुनियावी रूप से भी शिक्षा प्राप्त कर सकें। कक्षा आठवी के छात्रों को मौलवियत, हिफ्ज के साथ उर्दू-अरबी का ज्ञान कराया जाता है। उधर, मदरसे की भूमि में एक शिक्षण संस्था भी स्थापित है। यह संस्था भी जांच के दायरे में आ सकती है। संस्था में बच्चों को एक हजार रुपये में एडमिश दिया जाता है। जिसे दक्षिण भारत के कुछ लोग संचालित कर रहे है।
सिंकदर लोधी के युग में पड़ी थी तालीम की नींव
डा. मोहम्मद नईम के मुताबिक गांव में दीनी तालीम की नींव मुगलकाल के सिंकदर लोधी के युग में पड़ी थी। तब गांव में मुल्ला युसूफ वसिही आए थे। जिन्होंने एक पेड़ के नीचे बैठकर बच्चों को तालीम से जोड़ना शुरू किया। उसके बाद मस्जिद बनी तो उसमें शिक्षा दी जाने लगी। गांव के मिर्जा दाउद ने अपने मकान को मदरसे के नाम कर दिया। चंदा एकत्र करने के बाद मदरसा बना दिया गया। तब से गांव में दीनी शिक्षा दिए जाने का कार्य बदस्तूर जारी है। बताते हैं गांव में शाह वलीउल्लाह का भी दीनी शिक्षा में योगदान रहा है।
मदसरे में आए थे सऊदी से मेहमान
मौलाना कलीम सिद्दीकी के मदरसे में कई साल पहले सऊदी अरब से मेहमान आए थे। जिन्हें मदरसे की पढ़ाई, मेहमाननवाजी का तरीका काफी पसंद आया था। इसके अलावा देशभर से अक्सर यहां लोगों के आने-जाने का सिलसिला रहता है।