यूपी बोर्ड में कोई विकल्प नहीं, विज्ञान के साथ कला और वाणिज्य वर्ग में भी गणित अनिवार्य

सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षार्थियों का दबाव कम करने के लिए गणित को ि‍किया आसान। वहीं यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल स्तर पर प्रारंभिक गणित को समाप्त कर गणित का केवल एक ही पेपर कर दिया है।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 12:09 PM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 12:18 PM (IST)
यूपी बोर्ड में कोई विकल्प नहीं, विज्ञान के साथ कला और वाणिज्य वर्ग में भी गणित अनिवार्य
यूपी बोर्ड में कोई विकल्प नहीं, विज्ञान के साथ कला और वाणिज्य वर्ग में भी गणित अनिवार्य
मेरठ, जेएनएन। सीबीएसई की ओर से बोर्ड परीक्षार्थियों का दबाव कम करने के लिए गणित को आसान बना दिया। वहीं यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल स्तर पर प्रारंभिक गणित को समाप्त कर गणित का केवल एक ही पेपर कर दिया है। साल 2020 की बोर्ड परीक्षा में सीबीएसई के 10वीं व 12वीं के बोर्ड परीक्षार्थियों को गणित के कठिन व आसान वर्ग को चुनने की आजादी होगी। यूपी बोर्ड के 10वीं के छात्रों को अनिवार्य रूप से गणित विषय को चुनना होगा। साल 2019 की बोर्ड परीक्षा से एनसीईआरटी के सिलेबस को लागू करने के साथ ही यूपी बोर्ड ने नौवीं में गणित को एक विषय कर दिया है। इस साल नौवीं उत्तीर्ण कर 10वीं में पहुंचे हर परीक्षार्थी को 2020 में गणित की परीक्षा से गुजरना ही होगा।
हर वर्ग के विद्यार्थी को एक ही गणित
यूपी बोर्ड पाठ्यक्रम समिति के सदस्य एवं केके इंटर कालेज के प्रिंसिपल डा. वीर बहादुर सिंह के अनुसार यूपी बोर्ड के हाईस्कूल सिलेबस से प्रारंभिक गणित को हटा दिया गया है। अब केवल एक ही गणित का विषय है। इससे पहले कला व वाणिज्य वर्ग के छात्र प्रारंभिक गणित चुन सकते थे लेकिन अब उन्हें भी मुख्य गणित विषय को चुनना होगा। इसमें केवल बालिकाओं को एक विषय चुनना का ऑप्शन होगा। छात्राएं गणित के स्थान पर गृह विज्ञान विषय को चुन सकती हैं। इसे गणित में रुचि न रखने वाले बच्चों को भी मजबूरन गणित पढ़ना ही पड़ेगा।
सीबीएसई छात्रों के पास आसान और कठिन का विकल्प
सीबीएसई बोर्ड परीक्षार्थियों को गणित के विषय में ‘आसान’ और ‘कठिन’ गणित का पेपर चुनने का अवसर देने जा रही है। यह व्यवस्था साल 2020 की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा से लागू होगी। छात्रों के लिए सीबीएसई स्टैंडर्ड मैथमेटिक्स और बेसिक मैथमैटिक्स में से कोई एक चुनने का मौका देगी। स्टैंडर्ड गणित वर्तमान में संचालित गणित है जबकि बेसिक गणित का पेपर इससे आसान होगा। यह व्यवस्था केवल 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा में ही लागू होगी। इसमें नौवीं व 11वीं में कोई बदलाव नहीं होगा। 10वीं व 12वीं के अभ्यर्थियों के लिए भी स्टैंडर्ड व बेसिक गणित का सिलेबस, क्लास में शिक्षण पद्धति और इंटरनल असेसमेंट एक जैसा ही होगा।
ताकि क्षमता के अनुरूप करें चुनाव
यह व्यवस्था इसलिए की गई है जिससे छात्रों को पूरे साल हर टॉपिक को पढ़ने का अवसर मिले और अंत में छात्र अपनी क्षमता के अनुसार गणित के दोनों स्तरों में से किसी एक को चुन सकें। स्टैंडर्ड लेवल का गणित उन छात्रों के लिए होगा जो 11वीं-12वीं व उच्च शिक्षा में गणित के साथ पढ़ाई करना चाहते हैं। वहीं बेसिक गणित उन छात्रों के लिए जो 10वीं के बाद गणित नहीं पढ़ना चाहते हैं।
विद्यार्थी मित्रों नकल को कहो न
यूपी बोर्ड परीक्षा में इस साल नकलचियों के साथ दूसरों के स्थान पर बोर्ड परीक्षा दे रहे मुन्नाभाइयों के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। बोर्ड परीक्षा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने नई पीढ़ी को नकल की बजाय अक्ल की राह अपनाने के लिए ‘परीक्षा पे चर्चा’ की थी। इसके बाद ही उनके द्वारा लिखी किताब ‘एग्जाम वॉरियर्स’ भी यही संदेश लेकर बच्चों के बीच पहुंची। उन्होंने विद्यार्थी मित्रों को संबोधित करते हुए लिखा है कि नकल करना गलत है। इस बात को जितनी बार दोहराएं, उतना कम है।
भ्रम है नकल से सफलता
नकल से सफल होने का भ्रम पैदा हो सकता है। लेकिन यह पूरी तरह से अनैतिक तो है ही, साथ ही इससे परीक्षा का औचित्य ही समाप्त हो जाता है। नकल करते हुए अगर आप पकड़े जाते हैं तो आपको दंड मिलेगा और यदि बच जाते हैं तो यह आपकी आदत बन जाएगी। यह आपके लिए ज्यादा खतरनाक होगा और आपके अंतर्मन को हमेशा के लिए दूषित कर देगा। क्या आप अपने अंतर्मन और नैतिक मूल्यों को दांव पर लगाना चाहेंगे?
स्वयं व परिजनों के साथ धोखा है नकल
‘अक्ल को हां, नकल को ना’ चैप्टर में पीएम मोदी ने लिखा है कि नकल करके आप अपने साथ माता-पिता और समाज को भी धोखा देते हैं। नकल करने की योजना बनाना, नए-नए तरीके ढूंढना, इन सब में आप जितना समय गंवा देंगे, उतने में शायद आप उस विषय को ही तैयार कर लें। जो परिश्रम से अर्जित हो वहीं सफलता है और स्थायी है। नकल करने की आदत केवल परीक्षा तक ही सीमित नहीं रहती है। यह आदत कक्षा में मिलने वाले सभी कार्यो और करियर में भी बनी रहती है जिसका खामियाजा उठाना पड़ता है।
परीक्षा आपकी, तरीका भी अपना अपनाएं
‘आपकी परीक्षा, आपके तरीके-अपनी शैली अपनाएं’ चैप्टर में बताया गया है कि सही समय प्रबंधन से परीक्षा देने वालों को परीक्षा के बाद ऐसा महसूस नहीं होता कि थोड़ा समय और मिलता तो अच्छे से लिख पाते। उत्तर लिखने से पहले प्रश्नों को ठीक से समझना अति महत्वपूर्ण होता है। हर प्रश्न को ध्यान से पढ़ें, विशेषकर जिनमें आंकड़े हो। हर प्रश्न समान रूप से आसान या कठिन नहीं होता। कुछ परीक्षार्थी आसान प्रश्नों के उत्तर पहले लिखते हैं तो कुछ कठिन प्रश्नों को पहले चुनते हैं। प्रश्नों के उत्तर लिखने का कोई एक ही तरीका नहीं हो सकता है। परीक्षा के जरूरत के अनुसार आप अपनी शैली विकसित कर सकते हैं।
मन बदले तो मिलेगा कंपार्टमेंट में मौका
बोर्ड परीक्षा के लिए बनने वाली लिस्ट ऑफ केंडीडेट में छात्रों को दोनों गणित में से एक को चुनने का अवसर मिलेगा। यदि कोई छात्र बेसिक गणित में फेल होता है तो वह बेसिक गणित की कंपार्टमेंट परीक्षा दे सकता है। यदि कोई छात्र स्टैंडर्ड गणित में फेल होता है तो वह बेसिक या स्टैंडर्ड में से किसी एक में कंपार्टमेंट दे सकता है। इसके साथ ही बेसिक गणित में सफल होने वाले छात्र यदि बाद में भी गणित के साथ आगे बढ़ने का मन बनाते हैं और स्टैंडर्ड गणित की परीक्षा देना चाहते हैं तो वह कंपार्टमेंट में बैठ सकेंगे। 
chat bot
आपका साथी