Martyr Major in Meerut: जिस मां का बेटा शहीद हुआ, उस मां को हाथ जोड़कर प्रणाम, शहीद मेजर के स्वजन को दी सांत्वना
Martyr Major in Meerut आज भी शहीद मेजर मयंक विश्नोई के घर पर हर किसी आंख नम थी। आम और खास लोगों का यहां आना जारी रहा। भाजपा नेता और क्षेत्रवासियों ने उनके घर पहुंचकर शहीद के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी।
मेरठ, जागरण संवाददाता। देश की रक्षा करते हुए आतंकियों की गोली लगने से वीरगति को प्राप्त हुए शहीद मेजर मयंक विश्नोई के कंकरखेड़ा स्थित घर पर सोमवार को भी आम और खास लोगों का जारी रहा। जिलापंचायत अध्यक्ष, सिवालखास विधायक, जिला सैनिक कल्याण बोर्ड से अधिकारी और पथिक सेना के अध्यक्ष समेत भाजपा नेता व क्षेत्रवासियों ने उनके घर पहुंचकर शहीद के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। विधायक ने कहा कि जिस मां का बेटा मेजर शहीद हुआ है, मां को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं।
हर संभव मदद का आश्वासन
कंकरखेड़ा की शिवलोकपुरी में शहीद मेजर मयंक विश्नोई के घर पर सबसे पहले जिला सैनिक कल्याण बोर्ड से राकेश( शुक्ला पहुंचे। बातचीत के दौरान शहीद के पिता वीरेंद्र विश्नोई की आंखें नम हो गईं। किसी तरह उन्हें संभाला और सांत्वना देते हुए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। पथिक सेना के अध्यक्ष व भाजपा नेता मुखिया गुर्जर शहीद के घर पहुंचे और करीब एक घंटे पीडि़त स्वजनों से मिलकर उनका ढांढस बंधाया। सिवालखास विधायक जितेंद्र सतवई, जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी समेत भाजपा नेता दुष्यंत रोहटा, संजय प्रधान, अनिल दबुथवा, दीपक सिरोही, सचिन नागर, मनी, नवीन आदि ने शहीद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सभी ने शहीद की शहादत को सलाम कर उनकी जिंदादिली के किस्सों को स्वजनों से सुना।
मेरठ ही नही, पूरे देश को शहीद की शहादत पर है गर्व
जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी जब शहीद के घर पहुंचे। थोड़ी देर शहीद के पिता के पास बैठे। उसके बाद शहीद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनको नमन किया। जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि मेरठ ही नहीं, बल्कि पूरे देश को शहीद मेजर की शहादत पर गर्व है। जीना और मरने की डोर तो ईश्वर के हाथ में है, मगर देश की रक्षा में शहीद होना भी हर किसी की किस्मत में नहीं होता। वो सैंकड़ों में से एक ही होता है जो मातृ भूमि की के रक्षा लिए वीरगति को प्राप्त होता है।
तीस घंटे बाद शहीद की पत्नी ने खाया अन्न-जल
शहीद की पत्नी स्वाति का रोकर बुरा हाल है। अपने पति के फोटो को हाथ में लेकर उसे निहारती रहती हैं। स्वजनों के मुताबिक, करीब तीस घंटे बाद स्वाति ने अन्न-जल खाया है। पेट भरने के लिए सिर्फ जीने के लिए खाना खाया जा रहा है। यही हाल शहीद की मां मधु, पिता वीरेंद्र विश्नोई और बहनें तनु व अनु का भी है। नाते-रिश्तेदारों के काफी प्रयास के बाद चारों ने खाया खाया।
राजपूत रेजीमेंट और आरआर से आफिसर बांध रहे ढांढस
मेजर मयंक विश्नोई जब की 30 राजपूत रेजीमेंट और जम्मू कश्मीर से आरआर के साथी आफिसर मेजर कंकरखेड़ा में शहीद के घर आए हुए हैं। शहीद मेजर के जीजा जगत गुप्ता ने बताया कि शहीद की पत्नी स्वाति और माता-पिता का ख्याल रखने के लिए वह छुट्टी पर आए हैं। बेसुध पत्नी स्वाति को यह आफिसर समझाकर शांत करते हैं।
साला कम, बेटे के समान था मेजर मयंक विश्नोई
शहीद मेजर मयंक विश्नोई के बड़े जीजा मुरादाबाद निवासी जगत गुप्ता ने बताया कि जब उनकी तनु से शादी हुई थी, तब मयंक महज 16 या 17 वर्ष के थे। तीन बहन भाईयों में मयंक सबसे छोटे थे, जिस वजह से वह साला कम और बेटे जैसा रिश्ता रखते थे। मयंक जब बड़े हुए तो जीजा और साले के रिश्ते की जानकारी ठीक से हो पाई। उसके बाद जीजा-साले का यह रिश्ता दोस्ती में बदल गया। दोनों एक दूसरे से अपने मन की बात कहते थे।
18 सितंबर को शहीद की होगी तेहरवीं?
शहीद के जीजा जगत गुप्ता ने बताया कि मंगलवार सुबह हवन-पूजन होगा। ब्राह्मणों से तेहरवीं किस तारीख की होगी, इस पर बात की जाएगी। कहा कि संभवत: 18 सितंबर, दिन शनिवार को तेहरवीं का कार्यक्रम हो सकता है।