Importance Of Naturopathy: नेचुरोपैथी के साथ योग की महत्ता को बताकर समाज को बना रहे आरोग्य

Importance Of Naturopathy समाज को निरोगी व सेहतमंद बनाने के लिए प्रकृति में विद्यमान तत्वों जैसे मिट्टी अग्नि जल आदि से लोगों को निरोगी व सेहतमंद बनाने के लिए तेजी से लोग नेचुरोपैथी चिकित्सा पद्धति व योग आदि प्राकृतिक तरीकों को अपना रहे हैं।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 06:33 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 06:33 PM (IST)
Importance Of Naturopathy: नेचुरोपैथी के साथ योग की महत्ता को बताकर समाज को बना रहे आरोग्य
नेचुरोपैथी के साथ योग की महत्ता ।

मेरठ, जेएनएन। समाज को निरोगी व सेहतमंद बनाने के लिए प्रकृति में विद्यमान तत्वों जैसे, मिट्टी, अग्नि, जल आदि से लोगों को निरोगी व सेहतमंद बनाने के लिए तेजी से लोग नेचुरोपैथी चिकित्सा पद्धति व योग आदि प्राकृतिक तरीकों को अपना रहे हैं। ऐसे में नेचुरोपैथी के चिकित्सक व वेलनेस काउंसलर लोगों को नेचुरोपैथी के साथ-साथ योग के गूढ़ को बताकर उसकी महत्ता बता रहे हैं। उन्होने बताया कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। अधिकांश लोग योग का महत्व व उसके गूढ़ को समझे बिना ही इसे अपना लेते हैं। उन्होंने बताया कि सबसे पहला प्रश्न स्वयं से यह करना चाहिए कि 'योग क्या है'? जवाब है योग का अर्थ है जुड़ना या जोड़ना। इसे इस परिभाषा चित्तवृत्ति निरोध: योग:। जिसका अर्थ चित्त की वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक जाना ) योग है। सरल अर्थ में कहें तो चित्त का अर्थ होता है जहां हमारे विचार जन्म लेते हैं, बनते हैं और जमे रहते हैं। संस्कारों के रूप में। चित्त एक प्रकार की भूमि है जहां विचार जन्मते हैं और यह चित्त रूपी भूमि भी पांच प्रकार की होती है। पहला क्षिप्त, दूसरा विक्षिप्त, तीसरा मूढ़, चौथा एकाग्र व पांचवां निरुद्ध है। हमारी अंदर उठने वाली विचार रूप तरंगे वृत्ति कहलाती हैं। उन्होंने बताया कि योग केवल चित्त की एकाग्र एवं निरुद्ध अवस्था में ही संभव है। योग में निरोध (सर्वथा रुक जाना ) के तात्पर्य को जानना जरूरी है। निरोध का शाब्दिक अर्थ रोक देना अर्थात चित्त की वृत्तियों को रोक देना योग कहलाता है। वृत्तियां जब अपने आप रुक जाए तब समझो योग घटित होता है। इसके लिए प्रायोगिक रूप से योग में प्रवेश करना बेहद जरूरी है। इसे लिए इसे कर्मयोग भी कहते हैं।

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