फ्लाइंग अफसर बन मधुर ने पूरा किया मा का सपना

मेरठ। 'संघर्ष का नाम ही जिंदगी है' के मूल मंत्र को अपनाकर मधुर गर्ग कठिन परिश्रम से एयरफोर्स में फ्ल

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Jun 2018 02:47 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jun 2018 02:47 PM (IST)
फ्लाइंग अफसर बन मधुर ने पूरा किया मा का सपना
फ्लाइंग अफसर बन मधुर ने पूरा किया मा का सपना

मेरठ। 'संघर्ष का नाम ही जिंदगी है' के मूल मंत्र को अपनाकर मधुर गर्ग कठिन परिश्रम से एयरफोर्स में फ्लाइंग अफसर बने हैं। एयरफोर्स एकेडमी हैदराबाद में एक साल की ट्रेनिंग के दौरान मधुर को दो बार चोट लगी। हाथ की हड्डी टूटी और प्लेट तक डालनी पड़ी। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ट्रेनिंग पूरी कर फ्लाइंग अफसर बन गए। मधुर का कहना है कि यह उपलब्धि उनसे ज्यादा उनकी मां की है। उनकी मां का हमेशा से ही सपना था कि वह अपने बेटे को फ्लाइंग अफसर के रूप में देखें। मधुर बताते हैं कि ट्रेनिंग में लगी चोट के दौरान भावुकता में यदि वह कोई गलत निर्णय ले लेते, तो जीवन भर पछताना पड़ता। ट्रेनिंग में बहुत से मुश्किल दौर आए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। मधुर सदैव अपने लक्ष्य पर ही केंद्रित रहे। तोपखाना के रहने वाले मधुर के पिता स्व. भूपेंद्र कुमार गर्ग का निधन 21 मई 2013 को हो गया था। उसके बाद उनकी माता उपासना गर्ग ने दोनों बड़ी बेटियों, मानसी व कैनी के साथ मधुर की जिम्मेदारी उठाई। मधुर ने दर्शन एकेडमी से 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण की और जून 2014 में एनडीए में चयनित हुए। पुणे में तीन साल की ट्रेनिंग के बाद एक साल हैदराबाद में ट्रेनिंग पूरी की। मधुर अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां उपासना को देते हुए कहते हैं कि मेरी मां ने हर कदम मेरा हौसला बढ़ाया है। उन्हीं की प्रेरणा और आशीर्वाद से मैं यहां तक पहुंच पाया हूं। अब जी जान से देश की सेवा करूंगा।

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