जरा इधर भी देखें, यहां बेसहारा नहीं बे 'चारा' भी हैं गोवंश

बुधवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में यह हकीकत सामने आई। सूरजकुंड स्थित वाहन डिपो में बनाए गए अस्थाई गोवंश केंद्र में करीब 70 बेसहारा पशु मौजूद हैं। इनको जिस स्थान पर रखा गया है, वहां पॉलीथिन भारी मात्रा में बिखरी पड़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jan 2019 10:00 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jan 2019 10:00 AM (IST)
जरा इधर भी देखें, यहां बेसहारा नहीं बे 'चारा' भी हैं गोवंश
जरा इधर भी देखें, यहां बेसहारा नहीं बे 'चारा' भी हैं गोवंश

मेरठ । नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही बेसहारा गोवंश के लिए जानलेवा बन रही है। शहर से पकड़े गए बेसहारा पशुओं को सूरजकुंड में बने अस्थाई गोवंश केंद्र रखा गया है, लेकिन यहां व्यवस्था चौपट है। गोवंश के खाने के लिए हरे चारे की भी व्यवस्था नहीं है। केंद्र में जगह-जगह पॉलीथिन बिखरी पड़ी है, जिसे खाने को गोवंश मजबूर हैं। ंिचंताजनक ये है कि दिन में तीन बार निरीक्षण का दावा करने वाले निगम के अधिकारी इससे बेखबर है।

बुधवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में यह हकीकत सामने आई। सूरजकुंड स्थित वाहन डिपो में बनाए गए अस्थाई गोवंश केंद्र में करीब 70 बेसहारा पशु मौजूद हैं। इनको जिस स्थान पर रखा गया है, वहां पॉलीथिन भारी मात्रा में बिखरी पड़ी है। जिसका बेसहारा पशु सेवन कर रहे हैं। जबकि सरकार की मंशा उन्हें अच्छा चारा देकर संरक्षण एवं संवर्धन करने की है, लेकिन नगर निगम अधिकारियों की अनदेखी सरकार की मंशा पर भारी पड़ रही है।

चारे के लिए प्रति पशु 30 रुपये का है बजट

बेसहारा पशुओं को केंद्र में हरा चारा भी मयस्सर नहीं हो रहा है। केंद्र में भूसे का ढेर तो लगा है, लेकिन हरे चारे की व्यवस्था नहीं है। बुधवार सुबह चारे में केवल भूसा ही दिया गया, जबकि पशु पालन विभाग की ओर से प्रतिदिन चारे की व्यवस्था के लिए प्रति पशु 30 रुपये का बजट नगर निगम को प्रदान किया गया है। ये हैं दिशा-निर्देश

-जोनल अधिकारियों को प्रतिदिन तीन बार नियमित रूप से अस्थाई गोवंश केंद्रों की चेकिंग करनी है।

-केंद्रों में तीन शिफ्टों में दो-दो आउटसोर्सिग सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी है।

-चारे के रूप में भूसा व बरसीम या फिर भूसा व अगोला को मिलाकर देना है।

-स्थाई व अस्थाई गोवंश केंद्र का परिसर प्राकृतिक एवं पॉलीथिन मुक्त होना चाहिए। ठंड से बचाने के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं

कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बावजूद इसके बेसहारा पशुओं को ठंड से बचाने के लिए भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। मरकरी लैंप और आग जलाकर ठंड से राहत देने के दावे नगर निगम के अधिकारी भले करते हैं, लेकिन ये व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं हैं। पंडाल भी कुछ हिस्से में ही है। काफी हिस्सा खुला है। यहां ठंड से गोवंश ठिठुर रहे हैं। इन्होंने कहा--

परिसर पॉलीथिन मुक्त होना चाहिए। यह पशुओं के लिए घातक है। इससे कई गंभीर बीमारियां होती हैं। नगर निगम को यह सुनिश्चित करना चाहिए।

डॉ. एके सिंह मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पॉलीथिन को हटाने के निर्देश प्रभारी अधिकारी को दिए गए हैं। हरे चारे के मामले को दिखवाएंगे। ठंड से बचाने के लिए आग और मरकरी लैंप की व्यवस्था है।

अमित सिंह, अपर नगर आयुक्त

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