लोनिवि कर्मचारी नेता ओमकार सिंह का ब्लैक फंगस से निधन

उप्र पीडब्ल्यूडी नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ के जिला मंत्री और सचिव ओमकार सिंह

By JagranEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 10:10 AM (IST) Updated:Fri, 28 May 2021 10:10 AM (IST)
लोनिवि कर्मचारी नेता ओमकार सिंह का ब्लैक फंगस से निधन
लोनिवि कर्मचारी नेता ओमकार सिंह का ब्लैक फंगस से निधन

मेरठ,जेएनएन। उप्र पीडब्ल्यूडी नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ के जिला मंत्री और सचिव ओमकार सिंह (49) की ब्लैक फंगस से मौत हो गई। वह प्रांतीय खंड लोनिवि में कार्य अभिकर्ता थे। जनपद अध्यक्ष अहसान अली ने बताया कि ओमकार कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे, जिसके बाद उन्हें वैशाली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां पर चिकित्सकों ने बाद में ब्लैक फंगस के संक्रमण की बात भी कही। कर्मचारी नेता के निधन पर प्रदेशाध्यक्ष भारत यादव, प्रदेश महामंत्री शैलेंद्र कुमार शुक्ला, प्रदेश संयुक्त मंत्री अरविद तोमर व मंडल अध्यक्ष राकेश नागर ने दुख जताया है। ओमकार के निधन से लोनिवि कर्मचारियों में शोक की लहर दौड़ गई।

निराश्रित को मुखाग्नि देकर सम्मान से विसर्जित की अस्थियां: मानव में इंसानियत का भाव उसे अन्य प्राणियों से खूबसूरत बनाता है। कोरोना काल में कई जगह से इंसानियत का उदाहरण पेश करने वाले मामले सामने आए। ऐसा ही एक उदाहरण अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मेरठ महानगर के कार्यकर्ताओं ने पेश किया है।

दो दिन पहले कार्यकर्ताओं को शहर के सूरजकुंड रोड पर एक निराश्रित के मरणासन्न होने की सूचना मिली थी। अस्पताल पहुंचाने पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने विधि-विधान पूर्वक शव को मुखाग्नि देकर इंसानियत का फर्ज अदा किया था। गुरुवार को कार्यकर्ताओं ने सम्मानपूर्वक अस्थियां विसर्जित कीं। बताते चलें कि इस सप्ताह के मंगलवार को एबीवीपी के प्रांत कार्यालय प्रमुख उत्तम सैनी को सूरजकुंड रोड पर विचरण कर रहने-खाने वाले निराश्रित व्यक्ति की तबीयत खराब होने की सूचना मिली थी। इस पर वह आरएसएस के नगर कार्यवाह राजेश बंसल व पार्षद अंशुल गुप्ता के साथ मौके पर पहुंचे थे। इलाज कराने के लिए वह मेडिकल कालेज गए। वहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद उत्तम सैनी ने सूरजकुंड श्मशान घाट पर निराश्रित व्यक्ति का विधि-विधान से मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार कराया। गुरुवार को कार्यकर्ताओं ने अस्थिया एकत्रित कर ब्रजघाट पर ले जाकर अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया।

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