गंगा खादर में दुष्कर हुई जिंदगी, जल्द राहत के आसार नहीं

करीब दो हफ्ते पूर्व गंगा के बढ़े जलस्तर से खादर अभी भी जलमग्न है। खेतों में लबालब कई फीट पानी हैं होने से काम भी नहीं हो रहे हैं। संपर्क मार्ग और प्रमुख सड़क टूटने से चेतावाला पुल को जाने व आने वालों को मशक्कत करनी पड़ी रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 06:51 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 06:51 AM (IST)
गंगा खादर में दुष्कर हुई जिंदगी, जल्द राहत के आसार नहीं
गंगा खादर में दुष्कर हुई जिंदगी, जल्द राहत के आसार नहीं

मेरठ, जेएनएन। करीब दो हफ्ते पूर्व गंगा के बढ़े जलस्तर से खादर अभी भी जलमग्न है। खेतों में लबालब कई फीट पानी हैं होने से काम भी नहीं हो रहे हैं। संपर्क मार्ग और प्रमुख सड़क टूटने से चेतावाला पुल को जाने व आने वालों को मशक्कत करनी पड़ी रही है। भीकुंड गांव के समीप दोपहिया वाहन चालक नाव से रास्ता पार कर रहे हैं। वहीं, टूटी सड़कों पर राहगीरों को चलने से हादसे का खतरा है।

बिजनौर बैराज से सोमवार गंगा का जलस्तर 42हजार क्यूसेक पानी रहा। जबकि हरिद्वार से भी नदी का जलस्तर 35 हजार क्यूसेक डिस्चार्ज चल रहा है। उधर, खादर क्षेत्र में सड़कों से पानी उतर गया पर खेतों में पानी लबालब है। इससे गेहूं बुआई के हालात नहीं हैं। जबकि गन्ना कटाई में देरी होगी वहीं पशुओं के लिए चारा संकट पैदा हो गया। जबकि धान की फसल को हानि हो चुकी है। चांदपुर जाने वालों की दूरी बढ़ी

चेता वाला पुल की एप्रोच रोड टूटने से बाया मवाना से चांदपुर जाने वाले वाहनों की समस्या बढ़ गयी। अब बिजनौर को जाने में 45 किलोमीटर की बढ़ गयी। जबकि दो पहिया वाहन चालक किसी तरह गुजर रहे हैं। उक्त गांवों के संपर्क मार्ग तबाह

भीकुंड, खेड़ी कला, बधुआ गांव के ग्रामीणों समेत चांदपुर जाने वाले लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है और जान जोखिम में डालकर टूटी एप्रोच रोड को पार कर रहे है। भीकुंड गांव के समीप टूटी एप्रोच रोड से अभी भी कई कई फीट पानी बह रहा है। पानी का बहाव भी काफी तेज है। लोगों को पानी को पार करने के लिए नाव या ट्रैक्टर ट्राली का सहारा लेना पड़ रहा है। खेतों में जमा हुई सिल्ट

गंगा नदी के किनारे वाले खेतों में काफी सिल्ट आ गई है और कई खेतों में पानी लबालब भरा है। जिससे देखकर किसान चितित हो रहे है कि इस बार गेहूं की बुवाई किस प्रकार से हो सकेगी। चारे को धान की पुआल मिलना मुश्किल

खादर क्षेत्र के लोग धान की पुआल को पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग करते है। सर्दी के मौसम में अधिकांश किसान हरे चारे में धान की पुआल मिलाकर पशुओं को खिलाते हैं। परंतु इस बार धान की फसल नष्ट हो जाने से किसानों को पुआल भी नही मिल पाई है। जिससे चारे का भी गंभीर संकट है। नई बनी सड़क बदहाल हुई

खादर की लाइफ लाइन कही जाने वाली मखदूमपुर नया गांव मार्ग कुछ माह पूर्व ही तैयार किया गया था। परंतु पानी के तेज प्रवाह ने सड़क को तहस नहस कर दिया है। भीकुंड मोड़ से पहले पेट्रोल पंप के पास तो सड़क का नामोनिशां ही खत्म हो गया है। खेती करने वाले परेशान

गंगा के उस पार खेती करने वाले लोग भी परेशान है। शामली जनपद के बड़ौली गांव निवासी उस्मान अपनी पत्नी व छोटे-छोटे बच्चों के साथ पैदल ही गंगा के उस पार से आता हुआ मिला। उसने भी नाव द्वारा टूटी एप्रोच रोड पार की। उसने बताया कि गंगा के उस पार ठेके पर जमीन लेकर खीरे, लौकी आदि की फसल बो रखी है। परंतु अब उनके पास ठेके के पैसे भी नही बचे है और अपने घरों को लौट रहे हैं।

chat bot
आपका साथी