Meerut: हादसों से नहीं ले रहे सबक, बार-बार बन रहे प्रस्‍ताव, पर खुले नालों में समा रही मासूम जिंदगी

मासूमों की मौत पर कभी हाईकोर्ट की फटकार तो कभी लोगों के गुस्से पर नाला ढकने के प्रस्ताव बने। चार वर्षो में तीन बार प्रस्ताव नगर विकास विभाग को भेजे भी गए लेकिन लखनऊ में बैठे उच्च अधिकारियों ने हर बार प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डालने का काम किया।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 09:31 AM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 09:31 AM (IST)
Meerut: हादसों से नहीं ले रहे सबक, बार-बार बन रहे प्रस्‍ताव, पर खुले नालों में समा रही मासूम जिंदगी
नालों में डूबे मासूम जिंदगियों से नहीं ले रहे सबक।

जागरण संवाददाता, मेरठ। मासूमों की मौत पर कभी हाईकोर्ट की फटकार तो कभी लोगों के गुस्से पर नाला ढकने के प्रस्ताव बने। गत चार वर्षो में तीन बार प्रस्ताव नगर विकास विभाग को भेजे भी गए, लेकिन लखनऊ में बैठे उच्च अधिकारियों ने हर बार प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डालने का काम किया। काश! किसी ने भी मेरठ के जानलेवा हो चुके खुले नालों को ढकने का बीड़ा उठाया होता, तो शायद ये दिन न देखना पड़ता।

शहर में कुल 315 छोटे-बड़े नाले हैं। 39 नाले बड़े हैं, और करीब 2,49,500 मीटर छोटे-बड़े नालों का जाल है। लेकिन ये सभी नाले खुले हैं। इनमें भी ओडियन, आबूनाला-एक, आबूनाला-दो, कोटला नाला, मोहनपुरी नाला, बच्चा पार्क नाला, पांडव नगर का नाला, जेलरोड व यूनिवर्सिटी रोड का नाला, शास्त्रीनगर का नाला आदि इतने चौड़े और गहरे हैं कि इन्हें देखकर ही डर लगता है। बड़े नालों को ढकने के लिए निगम अधिकारियों व महापौर की तरफ से चार साल में तीन बार प्रस्ताव नगर विकास विभाग को भेजे गए। ओडियन, आबूनाला एक व दो समेत बड़े नालों को आबादी वाले क्षेत्रों में ढकने का प्रस्ताव था। नगर निगम ने नाला ढकने के फायदे भी गिनाए थे। । बड़े नाले ढकने में करीब 231 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान बताया गया था, लेकिन निगम के प्रस्ताव पर नगर विकास विभाग अधिकारियों ने संज्ञान ही नहीं लिया, जबकि हादसे रोकने के लिए नालों को ढकना जरूरी है।

..लेकिन संभाल नहीं पाया आहद

अर्श के साथ उसके दोस्त दस साल का आहद, आठ साल का आरिफ और सात साल का आमिश भी था। चारों पुल को पार कर रहे थे। अचानक पैर फिसल जाने से अर्श गिर गया। आहद ने उसका हाथ पकड़ा, लेकिन संभाल नहीं पाया। इसके बाद तीनों बच्चे शोर मचाते हुए अपने घर चले गए और परिवार वालों को जानकारी दी। तब पता चला कि नाले में डूबा बच्चा अर्श था।

इन्‍होंने क्‍या कहा

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भाजपा डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा: घटना दुखद है। बड़े नालों को ढकने के अलावा कोई दूसरा कोई विकल्प नहीं है। हादसे रोकने हैं तो जिला प्रशासन और नगर निगम को विस्तृत कार्ययोजना के साथ अपना पक्ष शासन में रखना होगा। नगर विकास विभाग के उच्च अधिकारियों को गंभीरता दिखानी होगी। मेरे द्वारा कई बार इस संबंध में पत्रचार किया गया है। जल्द लखनऊ में अधिकारियों से मिलूंगा।

नगर आयुक्त मनीष बंसल ने कहा: बहुत दुखद घटना है। नालों को ढका जाना चाहिए। पहले भी नगर निगम ने नाला ढकने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। एक बार फिर भेजेंगे। सिंचाई विभाग या किसी एजेंसी की मदद से नाला ढकने का प्रस्ताव तैयार कराएंगे। कमिश्नर और जिलाधिकारी के समक्ष भी नाला ढकने की बात रखेंगे। नाला ढकने का निर्णय शासन स्तर से ही होना है।

महापौर सुनीता वर्मा ने कहा: खुले नाले हर साल मासूमों की जान लेते हैं। चार साल में तीन बार नाला ढकने का प्रस्ताव शासन को भेज चुकी हूं। मुख्यमंत्री और राज्यपाल को भी नाला ढकने के लिए पत्र दिया था, लेकिन शासन स्तर से कोई जवाब नहीं मिला। सभी बड़े नाले ढके जाने चाहिए। तभी हादसों को रोका जा सकता है। ओडियन नाले में बच्चे की गिरने की घटना अत्यंत पीड़ादायक है। 

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