दिलों पर जीत हासिल कर कोरोना से पराजित हुए राज्‍य मंत्री विजय कश्‍यप, जानिए उनके राजनीतिक जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

हर किसी से दिल से मिलने की सादगी से लोगों के दिलों पर राज करते थे राज्यमंत्री विजय कश्यप। राज्यमंत्री विजय कश्यप का मूल नाता सहारनपुर से था। सहारनपुर के नानौता का एक साधारण व्यक्ति जिसने संघ की पाठशाला में राजनीति को सीखा..समझा और परखा।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 07:00 AM (IST)
दिलों पर जीत हासिल कर कोरोना से पराजित हुए राज्‍य मंत्री विजय कश्‍यप, जानिए उनके राजनीतिक जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें
यूपी के राज्यमंत्री विजय कश्यप का कोरोना से निधन।

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। राज्यमंत्री विजय कश्यप खामोश हो गए। सदा के लिए। लेकिन, वह हमेशा के लिए सबके दिलों पर राज कर गए। भगवा का एक ऐसा जंगजू जो कई बार गिरा..कई बार हारा और कई बार फिर मोर्चे पर खड़ा हो गया। आखिरकार जीता और सीधा राज्यमंत्री बना। राज्यमंत्री भी ऐसा कि जो सीधा जनता के बीच में रहे। जनता के लिए रहे। चरथावल की कश्यप बहुल सीट से जीते विजय कश्यप का राज्यमंत्री बनना राजनीति के जानकारों के लिए अतिश्योक्ति भरा था, लेकिन यही उनकी खासियत भी थी।

राज्यमंत्री विजय कश्यप का मूल नाता सहारनपुर से था। सहारनपुर के नानौता का एक साधारण व्यक्ति, जिसने संघ की पाठशाला में राजनीति को सीखा..समझा और परखा। जन्मभूमि भले ही नानौता रही हो, लेकिन कर्मभूमि रही मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर के चरथावल विधानसभा क्षेत्र से सबसे पहला चुनाव लड़ा। पहले चुनाव में ही हार का मुंह देखना पड़ा। 2007 के विधानसभा चुनाव में जब विजय कश्यम चुनाव लडऩे के लिए मैदान में थे तो परिस्थितियां कतई अनुकूल नहीं थी। भाजपा गर्त में थी और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भी उन्हें बाहरी बताते हुए साथ नहीं दिया। बावजूद इसके वह मैदान में टिके रहे। बहरहाल, 2007 में हार के बावजूद भी विजय कश्यप अपने साथियों के साथ मैदान में डटे रहे। 2012 के विधानसभा चुनाव में तमाम विरोध और अवरोधों के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने विजय कश्यप पर भरोसा जताया और वह पुन: भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे। इस बार भी विजय कश्यप को हार का मुंह देखना पड़ा। बावजूद इसके विजय कश्यप के पोरस नहीं थके और भाजपा शीर्ष नेतृत्व का भरोसा भी उन पर कम नहीं हुआ। इसके पश्चात 2017 में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर विजय कश्यप पर दांव खेला। हालांकि उस वक्त भी कई बड़े चेहरों ने न-नुकर की, लेकिन संघ की पाठशाला के शालीन छात्र विजय कश्यप पहली पसंद बने रहे। 2017 में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विजय कश्यप ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मुकेश चौधरी को पराजित किया।

मंत्री बनना था अप्रत्याशित

उत्‍तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में में भाजपा की सरकार बनने के संकेत मिलने के बाद ज्यादातर विधायक मंत्री पद पाने के लिए जुगाडबाजी में लग गए थे, लेकिन संघर्षों के बाद विधायक बने विजय कश्यप शांत बैठे थे। इसी दरम्यान उनके पास एक फोन आया और तत्काल लखनऊ पहुंचने का आदेश हुए। करीबी बताते हैं कि विजय कश्यप को जरा भी अनुमान नहीं था कि उन्हें भी मंत्री बनाया जा सकता है। बावहजूद इसके वह मंत्री बने।

मुख्यमंत्री ने जताया शोक

अपनी कैबिनेट के राज्यमंत्री विजय कश्यप के निधन से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गहरा आघात हुआ। एक के बाद एक साथी बिछडऩे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यमंत्री विजय कश्यप के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की हैं। उधर, उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि विजय कश्यप जैसे साथी का जाना बहुत दुखदायी है। वह जनता की सेवा के लिए दिन और रात नहीं देखते थे। भाजपा जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला ने भी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यमंत्री विजय कश्यप का जाना बेहद कष्टदायी है। जनता का उन्हें असीम प्यार मिला और उन्होंने भी लोगों का दर्द बांटने में हमेशा दरियादिली दिखाई। उनकी कमी हमेशा अखरेगी। 

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