बच्चे को अगवा कर डाक्टर को बेचा, आरोपित गिरफ्तार

दौराला के कैली गाव से अगवा हुए सात माह के बच्चे को पुलिस ने चौबीस घटे में बरामद।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 09:00 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 09:00 AM (IST)
बच्चे को अगवा कर डाक्टर को बेचा, आरोपित गिरफ्तार
बच्चे को अगवा कर डाक्टर को बेचा, आरोपित गिरफ्तार

मेरठ, जेएनएन। दौराला के कैली गाव से अगवा हुए सात माह के बच्चे को पुलिस ने चौबीस घटे में बरामद कर लिया। एसएसपी के अनुसार बच्चे को गाव के ही युवक ने अगवा कर मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज के एक डाक्टर को साढ़े तीन लाख रुपये में बेचा था। डाक्टर ने वंश चलाने के लिए हेड कास्टेबल के बेटे से बच्चे का सौदा किया था। मुठभेड़ के बाद पुलिस ने एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है।

एसएसपी अजय साहनी ने इस संबंध में प्रेसवार्ता कर बताया कि शुक्रवार को दौराला के कैली गाव से साहिब का सात माह का बच्चा शहादत अगवा हो गया था। पुलिस ने बच्चे को डाक्टर चैतन्य महेश्वरी के शास्त्री नगर स्थित घर से बरामद कर लिया। डाक्टर ने पूछताछ में बताया कि उनके बेटे दीपाकर माहेश्वरी की पत्नी को कोई संतान नहीं हुई। वंश चलाने के लिए दिल्ली के हेड कास्टेबल अनिल ढाका के बेटे गौरव ढाका से संपर्क किया। गौरव की दीपाकर से दोस्ती है। गौरव ने साढ़े तीन लाख रुपये में बच्चे का सौदा कैली गाव के हाशिम से करा दिया। शुक्रवार शाम गौरव ढाका ने हाशिम को एक लाख की रकम सौंप दी थी। इसके बाद हाशिम ने साहिब के बड़े बेटे की गोद में खेल रहे सात माह के बच्चे को छीनकर गौरव को सौंप दिया। गौरव बच्चे को बाइक से शास्त्रीनगर ले गया और डाक्टर चैतन्य महेश्वरी को सौंप दिया। पुलिस ने बच्चे को स्वजन को सौंप दिया है। उधर, हाशिम ने कैली गाव से कुछ दूर दादरी गाव की चकरोड स्थित गन्ने के खेत में रकम दबा रखी थी। रकम बरामद करने के लिए पुलिस हाशिम को खेत में ले गई तो हाशिम दारोगा सुखवीर की सरकारी पिस्टल छीनकर भागने लगा। पुलिस ने घेराबंदी की तो हाशिम ने फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में हाशिम पैर में गोली लगने से घायल हो गया। उसे मेडिकल कालेज में उपचार दिलाया गया। पुलिस ने पिस्टल और एक लाख रुपये बरामद कर लिए। ऐसे हुआ पर्दाफाश

पुलिस पड़ताल में यह बात सामने आई कि हाशिम से साहिब की रंजिश चल रही थी। चार दिन पहले ही दोनों में बातचीत शुरू हुई थी। हाशिम की काल डिटेल से पता चला कि हाशिम की गौरव और डाक्टर चैतन्य से बातचीत हो रही थी। इसके बाद गौरव से पूछताछ की तो उसने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दे दी।

बच्चे के खरीदार डाक्टर और लैब टेक्नीशियन को क्लीनचिट : चौबीस घटे में अगवा बच्चे की बरामदगी पुलिस के लिए काबिले तारीफ है, लेकिन इस प्रकरण में डाक्टर और उनके लैब टेक्नीशियन बेटे व हेड कास्टेबल के बेटे को क्लीनचिट देने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस ने पूरे घटनाक्रम में हाशिम को ही आरोपित बनाया है। पुलिस का कहना है कि हाशिम ने बच्चे को अपना कहकर गौरव से सौदा किया था। हालाकि, बच्चे की खरीद फरोख्त का अधिकार भी गौरव और डाक्टर चैतन्य को नहीं है। ऐसे में गौरव, डाक्टर चैतन्य और डाक्टर का बेटा लैब टेक्नीशियन दीपाकर महेश्वरी भी आरोपित की श्रेणी में आने चाहिए। तीनों को आरोपित बनाने को लेकर दिनभर पुलिस में चर्चा रही, जबकि पुलिस ने शुक्रवार देर रात ही बच्चा बरामद कर लिया था। मामले में डाक्टर और पुलिसकर्मी के स्वजन आने की वजह से पूरे घटनाक्रम का पर्दाफाश शनिवार शाम को किया गया। ऐसे बनते हैं डाक्टर और पुलिसकर्मी का बेटा आरोपित

वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल बख्शी का कहना है गौरव हाशिम से बच्चे को बिना लिखा-पढ़ी किए गाव से शास्त्रीनगर तक लेकर कैसे पहुंचा? बच्चे को डा. चैतन्य और लैब टेक्नीशियन दीपाकर ने घर में क्यों रखा? ऐसे में हाशिम पर बच्चे को अगवा कर बेचने का अपराध बनता है, जबकि अगवा बच्चे की खरीदारी में मदद करने का आरोप गौरव ढाका पर बनता है। डाक्टर और उनके बेटे पर अगवा बच्चे को संरक्षण देने का अपराध बनता है। वरिष्?ठ अधिवक्ता का कहना है कि यदि डाक्टर मान रहे हैं कि बच्चा हाशिम ने अपना कहकर दिया है, फिर तो डाक्टर को बच्चा खरीदकर लेने का कोई अधिकार नहीं है। यह भी अपराध की श्रेणी में आता है। यदि बच्चा गोद भी लिया तो बिना लिखा पढ़ी के घर में बच्चे को कैसे रखा?

ये बनता है अपराध

डा. चैतन्य महेश्वरी, बेटे दीपाकर महेश्वरी और गौरव ढाका पर आइपीसी की धारा 368 का अपराध बनता है, जिसमें सात साल की सजा है। हाशिम ने बच्चे को अगवा कर बेचा था। उसपर आइपीसी की धारा 363 और 369 का अपराध बनता है। इसमें भी सात साल की सजा है।

वंश चलाने के लिए गोद लेना चाहते थे बच्चा : मेडिकल कालेज के डा. चैतन्य माहेश्वरी ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि उनका बेटा दीपाकर माहेश्वरी शादी लायक नहीं है इसलिए उसकी शादी नहीं की। वंश चलाने के लिए बच्चा गोद लेने का निर्णय किया। हेड कास्टेबल अनिल ढाका का बेटा गौरव उनके बेटे का दोस्त है। कुछ दिन पहले गौरव ने उन्हें बताया कि वह शादी कराने वाले और बच्चा गोद देने वाले लोगों को जानता है। गौरव ने हाशिम से साढ़े तीन लाख रुपये में बच्चे का सौदा करा दिया।

डा. चैतन्य के अनुसार हाशिम ने उन्हें बताया कि वह अपने भाई के बच्चे को गोद देना चाहता है। इसपर उन्होंने एक माह पहले एक लाख रुपये गौरव को एडवास दे दिए। शुक्रवार को हाशिम ने गौरव को बच्चा सौंप दिया, जो उन तक नहीं पहुंचा। इससे पहले ही विवाद बढ़ गया और पुलिस बच्चे की तलाश में लग गई। डा. चैतन्य ने कहा कि उन्हें बच्चे की चाहत इसलिए थी ताकि उनका वंश चल सके। उन्होंने बच्चा गोद लेने में हिंदू-मुस्लिम का भी फर्क नहीं समझा। उन्होंने सोचा था कि गरीब के बच्चे को गोद लेकर उसे अच्छी परवरिश देंगे। बच्चे को कैली गाव से ले जाने के लिए गौरव को काल की थी। गौरव ने काल रिसीव नहीं की। गौरव को इसके लिए मैसेज दे दिया है।

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हाशिम से ऐसे हुई थी गौरव की मुलाकात

इंस्पेक्टर तपेश्वर सागर ने बताया कि हेड कास्टेबल अनिल ढाका के बड़े बेटे की दादरी में रेत और सरिये की दुकान है। उस पर अनिल का छोटा बेटा गौरव भी रहता है। एक माह पहले कैली गाव निवासी हाशिम दादरी में खेत पर लगे ट्यूबवेल पर पानी पीने गया था। वहा गौरव की हाशिम से मुलाकात हुई। तभी गौरव ने हाशिम से बच्चा गोद दिलाने की बात कही।

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यह है गोद लेने की प्रक्रिया

माता-पिता को यह अधिकार है कि आपसी सहमति से बच्चे को गोद दे सकते हैं। यदि माता-पिता में से एक को एतराज है तो बच्चे को गोद नहीं दिया जा सकता। गोद देने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है, जिसके तहत दोनों पक्ष सब रजिस्ट्रार के सामने पेश होते हैं। स्टाप पेपर पर डीड तैयार होती है। डीड पर बच्चा गोद लेने और देने वाले की फोटो लगती है। इस पर दो गवाहों के दस्तखत भी अनिवार्य हैं। इसमें बच्चे को गोद लेने की सभी शर्तें भी लिखी जाती हैं। दोनों पक्षों की संतुष्टि के बाद डीड पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होते हैं। साथ ही सब रजिस्ट्रार आफिस में बच्चा गोद देने वाली जगह भी लिखी जाती है। बता दें कि वर्ष 1956 में हिंदू एडाप्शन एंड मेंटीनेंस एक्ट बनाकर गोद संबंधी नियम एवं प्रक्रिया में बालिग और दिमागी रूप से तंदुरुस्त ही बच्चा गोद लेने और देने की पात्रता में आता है। विवाहित या अविवाहित पुरुष या महिला बच्चा गोद ले सकते हैं। यदि पुरुष बच्ची को गोद लेता है तो उसके और बच्ची के बीच 21 वर्ष का अंतर होना चाहिए।

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इन्होंने कहा-

डा. चैतन्य माहेश्वरी ने हाशिम से बच्चा गोद लेकर आíथक मदद का भरोसा दिलाया था। गौरव और चैतन्य को नहीं पता था कि बच्चा अगवा करके दिया गया है। वे बच्चा हाशिम के भाई का मानकर चल रहे थे। ऐसे में डाक्टर और हेड कास्टेबल के बेटे का कोई कुसूर नहीं मिला है, लेकिन विवेचना जारी है। यदि उनके खिलाफ साक्ष्य मिले तो विवेचना में उन्हें भी आरोपित बनाया जाएगा।

- अजय साहनी, एसएसपी

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