Kargil Vijay Diwas: शहीदों की याद दिलाता है मुजफ्फरनगर का कारगिल शहीद स्मारक, दीवारों पर अंकित हैं 527 वीरों के नाम
शुकदेव पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज ने बताया कि तीन सदी के युगदृष्टा शिक्षा ऋषि ब्रह्मलीन स्वामी कल्याण देव महाराज ने गंगा तट पर कारगिल शहीद स्मारक की स्थापना कराई थी। शिलान्यास 19 सितम्बर 2000 को तत्कालीन हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने किया।
मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। Kargil Vijay Diwas मुजफ्फरनगर के मोरना में पौराणिक तीर्थ नगरी शुकतीर्थ में गंगा तट पर बना कारगिल शहीद स्मारक कारगिल युद्ध में आपरेशन विजय के दौरान शहीद हुए 527 वीर सैनिकों की याद दिलाता है। देश के विभिन्न प्रांतों से आने वाले श्रद्धालु स्मारक में श्रद्धा सुमन अर्पित कर शहीदों को शत-शत नमन करते हैं।
शहीद स्मारक की स्थापना
शुकदेव पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज ने बताया कि तीन सदी के युगदृष्टा शिक्षा ऋषि ब्रह्मलीन स्वामी कल्याण देव महाराज ने गंगा तट पर कारगिल शहीद स्मारक की स्थापना कराई थी। जिसका शिलान्यास 19 सितम्बर 2000 को तत्कालीन हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने किया। जो नौ मार्च 2003 में बनकर तैयार हुआ। कारगिल शहीद स्मारक अष्टकोण के रुप में दो मंजिल का भव्य भवन है। जिसके शिखर पर भारतीय तिरंगा सदैव शहीदों की वीर गाथा को सुनाता रहता है। इसकी आठ दीवारों पर कारगिल युद्ध का संक्षिप्त विवरण व 527 शहीदों के नाम, यूनिट, जनपद व प्रांत अंकित है। कारगिल की पहाड़ी से लाए पत्थर व युद्ध के दौरान इस्तेमाल की गई राइफल भी रखी हुई है।
शौर्य की गाथा सुनाता है विजयंत टैंक
कारगिल शहीद स्मारक के मुख्य द्वार पर गंगा तट पर रखा गया विजयंत टैंक एमके ए-1 कारगिल युद्ध में वीरों के शौर्यकी गाथा सुनाता है। तीर्थ नगरी में देश भर से आने वाले श्रद्धालु कारगिल शहीद स्मारक पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद विजयंत टैंक के साथ सेल्फी लेते हैं।
पूर्व सैनिक कर रहे है स्मारक की देखभाल
राष्ट्रीय सैनिक संस्था से जुड़े पूर्व सैनिक कारगिल शहीद स्मारक की देखभाल में जुटे है, स्मारक पर क्रांतिकारी नेता जी सुभाष चंद्र बोस व शहीद भगत सिंह की आदमकद की संगमरमर की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
शहीदों को श्रद्धांजलि देने को आज लगेगा तांता
कारगिल शहीद स्मारक में आज सोमवार को विजय दिवस की 22 वीं सालगिरह पर 527 शहीद सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए नगरी के साधु-संतों के अलावा पूर्व सैनिक, साहित्यकार, शिक्षाविद्, स्वयं सेवक, जन प्रतिनिधियों, गणमान्य लोग, स्वैच्छिक संगठनों व भाजपाइयों का तांता लगेगा। जिसको लेकर तैयारी की जा रही है।