अंतिम बार 2016 में आए मेरठ आए थे कल्बे सादिक, कई मजलिसों को किया था खिताब
शिया धर्म गुरू कल्बे सादिक का लखनऊ में निधन हो गया है। लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने मंगलवार रात दस बजे अंतिम सांस ली।
मेरठ, जेएनएन। शिया धर्म गुरू कल्बे सादिक का लखनऊ में निधन हो गया है। लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने मंगलवार रात दस बजे अंतिम सांस ली। करीब एक माह उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मौलाना सादिक लंबे समय से आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष थे। देश-विदेश में ख्याति प्राप्त कल्बे सादिक निर्धन बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा सक्रिय रहते थे। वह विदेशों में मजिलसें पढने जाते थे और मोहब्बत का पैगाम देते थे। उनके निधन से शिया समेत मुस्लिम समाज में शोक की लहर दौड़ गई। मौलाना कल्बे सादिक के निधन को शहर के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अपूरणीय क्षति बताया है।
मेरठ की कैंची के दो फलक - एक हिदू दूसरा मुसलमान
मोहर्रम कमेटी के अली हैदर रिजवी कहते हैं कि कल्बे सादिक अक्सर मजिलसों में मेरठ की कैंची का जिक्र करते हुए कहते थे कि मेरठ की कैंची के दो फलक हिदू मुस्लिम की तरह हैं। जो सांप्रदायिक सदभाव के बीच जो आए, उसे इस कैंची से काट देना चाहिए। उन्होंने हमेशा मोहब्बत का पैगाम दिया। उनका पैगाम हमेशा दिलों में जिदा रहेगा। वह रेलवे रोड मनसबिया, जैदी रोड व घंटाघर मनसबिया में अक्सर आते थे। अंतिम बार वह 2016 में आए थे। उन्होंने खैरनगर सिरतुल नबी के जलसे, शाह जलाल सेक्टर चार व अरबी कालेज मनसबिया को खिताब किया था।
इन्होंने कहा-
जमीयत उलेमा के जिलाध्यक्ष व नायब शहर काजी जैनुर राशिदीन ने कहा कि कल्बे सादिक का जाना शिया समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। समाज की भलाई के कामों में वह हमेशा आगे रहते थे। उनके निधन से पूरा मुस्लिम समाज शोक में है।
शिया जामा मस्जिद के इमाम महजर आबिदी ने कहा कि कल्बे सादिक आलिम होने के साथ बहुत अच्छे खतीब (मजलिस करने वाले) भी थे। इन्होंने शिक्षा के लिए कई काम किए। कई स्थानों पर स्कूल बनाएं हैं। वह कई बार मेरठ आए थे।