ठीक होने के प्रति सकारात्‍मक सोच रखना बहुत आवश्‍यक, जानिए- इन्‍होंने संक्रमित होने पर क्‍या किया?

कोरोना से लोग भले ही संक्रमित हो रहे है लेकिन बड़ी संख्‍या में ठीक भी हो रहे हैं। संक्रमित होने पर ज्‍यादा न घबराएं सकारात्‍मक सोच रखें। आइए जानते हैं दो ऐसे संक्रमित मरीजों के बारे में जिन्‍होंने अपनी दिनचर्या और सकारात्‍मक सोच से कोरोना से जंग जीत ली।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 02:41 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 02:41 PM (IST)
ठीक होने के प्रति सकारात्‍मक सोच रखना बहुत आवश्‍यक, जानिए- इन्‍होंने संक्रमित होने पर क्‍या किया?
कोरोना संक्रमित होने वाले इन लोगों ने साझा किए अपने अनुभव।

मेरठ, जेएनएन। कोरोना वायरस से लोग भले ही संक्रमित हो रहे है, लेकिन बड़ी संख्‍या में ठीक भी हो रहे हैं। ठीक होने वाले लोगों मेंं एक समान्‍य बात जो सामने आई है वह सकारात्‍मक सोच है। जिससे वे न सिर्फ स्‍वस्‍थ्‍य है बल्कि अपने शरीर को भी फिट रखा है। कोरोना से संक्रमित होने पर ज्‍यादा न घबराएं, सकारात्‍मक सोच रखें। आइए जानते हैं दो ऐसे संक्रमित मरीजों के बारे में जिन्‍होंने अपनी दिनचर्या और सकारात्‍मक सोच से कोरोना से जंग जीत ली।

ठीक होने के प्रति रखा सकारात्मक भाव

आरजी इंटर कालेज प्रिंसिपल डा. रजनी रानी शंखधर ने कहा- कोविड से संक्रमित होने का आभास मुङो सुबह की चाय पीते समय हुआ। अदरक का स्वाद न मिलते ही मैंने भांप लिया कुछ गड़बड़ है। स्वयं को आइसोलेट करते हुए तीसरे दिन अपना और स्कूल के सभी शिक्षकों व कर्मचारियों का भी टेस्ट कराया। सभी जरूरी दवाइयां लेकर घर के एक कमरे में स्वयं को 14 दिनों के लिए बंद कर लिया। ठीक होने को लेकर सकारात्मक भाव बरकरार रखते हुए दिन में तीन बार हल्दी के पानी से गरारा और तीन बार हल्दी डालकर दूध पिया। दिन में कम से कम छह यानी हर दो घंटे में एक बार भाप लेती रही। खाने की इच्छा नहीं होती पर कोशिश जारी रखी। गिलोय, कच्ची हल्दी, अदरक, तुलसी, काली मिर्च का काढ़ा दिन में तीन बार लिया। आंवला और च्यवनप्राश का सेवन किया। 14 दिन बाद रिपोर्ट निगेटिव हो गई और मैंने पाजिटिव मन से ड्यूटी ज्वाइन कर लिया।

दिन में कम से कम छह बार भाप ली, अध्ययन में मन लगाया

सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल निदेशक प्रेम मेहता ने कहा- कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद जीवन में पहली बार दीपावली पर घर के दिए जलते हुए नहीं देख सका था। एक दिन पहले से दो दिन बाद तक अस्पताल में ही रहना पड़ा। अस्पताल में अकेलापन हावी होने लगा तो पढ़ने में रुचि लगाने की कोशिश की। थोड़ी सफलता मिली तो डाक्टर ने चार दिन बाद होम क्वारंटाइन की अनुमति दे दी। घर पहुंचने पर बीमारी के प्रभाव से निकलने की कोशिश की। दवाओं और घर से मिलने वाले अन्य पदार्थों का सेवन जहां शरीर को मजबूती दे रहा था वहीं पठन-पाठन और काम में रुचि बढ़ाने से मुङो सकारात्मक ऊर्जा मिलने लगी और कोविड पाजिटिव से निगेटिव होता चला गया। एक सप्ताह बाद जब निगेटिव रिपोर्ट आई और मैं किसी के लिए हानिकारक नहीं रहा तो स्कूल पहुंचा। वहां मेरी पूरी ऊर्जा लौट आई। ईश्वर के साथ चिकित्सकों और स्वजन का शुक्रगुजार हूं। 

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