Internet In Villages: मेरठ मंडल में खर्च हो गए 10 करोड़ रुपये, फिर भी गांवों में इंटरनेट का सपना अधूरा रहा

यह अजीब बात है कि प्रोजेक्ट के तहत मेरठ के साथ मंडल के सभी जिलों के गांवों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए आप्टिकल फाइबर नेटवर्क शुरू किया गया। साथ ही भारत ब्राडबैंड नेटवर्क के उपकरण भी गांव-गांव में लगाए गए लेकिन यह गांवों तक नहीं पहुंची है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 12:30 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 12:30 PM (IST)
Internet In Villages: मेरठ मंडल में खर्च हो गए 10 करोड़ रुपये, फिर भी गांवों में इंटरनेट का सपना अधूरा रहा
मेरठ के गांव को ब्रांडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए शुरू किया गया था प्रोजेक्ट।

नवनीत शर्मा, मेरठ। Internet In Villages डिजिटल इंडिया के तहत केंद्र सरकार ने देश के हर गांव को ब्रांडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ने के मेगा प्लान वर्ष 2014 में शुरू किया था। भारत नेट प्रोजेक्ट के तहत हर गांव को इंटरनेट सेवा से जोड़कर ग्रामीणों को इसका सीधा लाभ दिया जाना था। गांव को ब्रांडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए गांव-गांव में आप्टिकल फाइबर केबिल डाले गए और उपकरण भी लगाए गए। लेकिन तीन साल पहले सारा काम पूरा होने के बाद भी ग्रामीणों को इंटरनेट सुविधा नहीं मिल सकी है। केंद्र सरकार ने ग्रामीणों को हाई स्पीड़ इंटरनेट सुविधा देने के लिए भारत नेट प्रोजेक्ट शुरू किया था।

तीन साल का समय बीत चुका

प्रोजेक्ट के तहत मेरठ के साथ मंडल के सभी जिलों के गांवों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए आप्टिकल फाइबर नेटवर्क शुरू किया गया। साथ ही भारत ब्राडबैंड नेटवर्क के उपकरण भी गांव-गांव में लगाए गए। अब गांव-गांव को इंटरनेट से जोड़ने की योजना को पूरा हुए भी तीन साल का समय बीत चुका है, लेकिन तमाम गांव इस योजना से अछूते ही है। गांवों में मंहगे उपकरण लगाकर ग्राम पंचायतों को इनके देखरेख की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन अधिकांश गांवों से उपकरण गायब हो चुके हैं और पंचायतों ने उपकरण चोरी होने की शिकायत थानों में दर्ज कराकर अपना पीछा छुड़ा लिया।

पूरा नहीं हुआ सपना

योजना के तहत नेट सुविधा शुरू होते ही ग्रामीणों को ई-गवर्नेंस, ई-हेल्थ, ई-एजुकेशन जैसी सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाती। इसके अलावा ग्रामीण कृषि, मंडी, नई तकनीक, कृषि उत्पादों के भाव, खाद-बीज की उपलब्धता, फसल उत्पादन के टिप्स आदि भी मोबाइल पर प्राप्त कर सकते थे। लेकिन योजना की अनदेखी और लापरवाही के कारण ऐसा कुछ नहीं हो सका।

बर्बाद हुआ बजट

सात साल पहले शुरू हुई इस योजना के लिए पूरे देश में इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए 42 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। जिसमें मेरठ में ही 10 करोड़ रुपये गांवों को इंटरनेट से जोड़ने पर खर्च किए गए थे। जबकि मंडल के जनपदों को योजना का लाभ देने पर 30 करोड़ का बजट खर्च हुआ था।

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