कोविड महामारी के खिलाफ अग्रिम पंक्ति की योद्धा हैं नर्स, बोलीं- यही हमारी सेवा, यही हमारा कतर्व्य
सेवा परमो धर्म यानी सेवा ही धर्म है। यह छोटा सा वाक्य मानवता के लिए बहुत बड़ा संदेश छिपाए हुए हैं। यही वाक्य दुनिया भर के नर्सिंग स्टाफ का आदर्श वाक्य बना हुआ है। जानिए क्या कहती हैं कोविड काल के दौरान क्या कहती है अग्रिम पंक्ति की योद्धा।
मेरठ, जेएनएन। सेवा परमो धर्म: यानी सेवा ही धर्म है। यह छोटा सा वाक्य अपने आप में मानवता के लिए बहुत बड़ा संदेश छिपाए हुए हैं। यही वाक्य दुनिया भर के नर्सिंग स्टाफ का आदर्श वाक्य भी होता है। जहां उनके प्रशिक्षण से लेकर ताउम्र सेवा की प्राथमिकता होती है। यहीं उनकी सीख है और यही उनकी पूंजी भी होती है। महामारी का सामना कर रही दुनिया में अग्रिम पंक्ति के योद्धा नर्सिंग स्टाफ ही हैं। उन्हें हर मरीज का ख्याल रखने के साथ ही स्वयं को भी संक्रमण से बचाकर रखना पड़ता है। यह कार्य करना जितना चुनौतीपूर्ण हैं उतना ही चुनौतीपूर्ण स्वयं को सुरक्षित रखते हुए अपनी सेवाओं को जारी रखना भी है। नर्सिंग स्टाफ की कमी पूरे देश में है। ऐसे में हर एक नर्सिंग स्टाफ का सुरक्षित रहना उतना ही जरूरी है जितना मरीज को स्वस्थ करके वापस घर भेजना होता है। अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर दुनिया भर में नर्सिंग स्टाफ की सेवाओं से प्रेरणा लेते हुए लोग उनकी सेवा की सराहना कर रहे हैं। हमने भी मेरठ के कुछ नर्स से उनके काम और निजी जीवन के तालमेल को जानने और समझने की कोशिश की।
वायरस के बीच काम करके और मजबूत हो गए हम
कोरोना से बचना, अपनी सेवाएं देना और परिवार को भी सुरक्षित रखनेा चुनौतीपूर्ण है। वैसीन लग जाने के कारण मन से सकारात्मक रहती हूं। मरीजों की आवाज सुन उनकी ओर भागना पड़ता है। हम दुखी भी नहीं हो पाते क्योंकि उसी समय किसी और मरीज को भी हमारी जरूरत होती है। संक्रमण के बीच रहकर हम और मजबूत हो गए हैं। संभव है कि मेरे भीतर भी वायरस आकर चला गया हो लेकिन कोई लक्षण नहीं दिखा को टेस्ट भी नहीं कराया। स्वयं को संक्रमण से बचाते हुए परिवार का भी पूरा ख्याल रखा और दूरी बनाकर ही रखा। मैं साल 2009 से नर्सिंग सेवा में हूं -मीनाक्षी, नर्सिंग आफिसर, मेडिकल कालेज
एहतियात के लिए घर में भी मास्क लगाकर रखते हैं
कोविड की शुरुआत में हमें एक बार में 14 दिन की ड्यूटी मिलती थी। उस समय हमें घर से दूर अलग ही रखा जाता था। लेकिन अब तो पूरा अस्पताल ही कोविड हो चुका है तो घर से ही काम कर रहे हैं। घर में भी सभी मास्क लगाते हैं। नर्सिंग स्टाफ की कमी है इसलिए बिना छुट्टी लिए काम करना भी जरूरी है। लंबे समय तक बच्चों को अनदेखा नहीं कर सकते थे। इसलिए काम के साथ बच्चों की देखभाल और पढ़ाई का ध्यान रखते हुए स्वयं को सुरक्षित रखते हुए आगे बढ़ रहे हैं। बहुत से साथी पाजिटिव हो गए थे इसलिए बीच में डर का माहौल था लेकिन अब सुरक्षित रखना भी सीख गए और वैक्सीन भी लग गई। काम और परिवार दोनों ही हमारी जिम्मेदारी हैं।
शिल्पी वर्मा, निर्संग आफिसर, मेडिकल कालेज
यही हमारी सेवा, यही हमारा काम है
मैं 12 साल से यहां कार्यरत हूं। हमारे अस्पताल में कोविड वार्ड तो नहीं है लेकिन अन्य मरीज काफी संख्या में रहते हैं। हमारे ऊपर स्वयं को संक्रमण से बचाकर रखने के साथ ही हमारे मरीजों को भी बचाकर रखने की जिम्मेदारी है। इस महामारी में जो सेवा हम कर रहे हें यही हमारी ट्रेनिंग हैं और यही हमारा काम है। मरीज के साथ रहते हुए हम जितना भी उनका दुख कम कर सकें, यही हमारी उपलब्धि है। मेरा परिवार केरल में रहता है। पति के साथ ही परिवार के अन्य लोग काम को लेकर प्रेरित करते रहते हैं। सिस्टर जिशा, नर्सिंग आफिसर, जयवंत राय हास्पिटल
काम ही मेरी पढ़ाई है और मेरे लिए सीख भी
मैं जीएनएम यानी जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी का कोर्स कर रहा हूं और तृतीय वर्ष में हूं। जिस तरह की महामारी का दौर चल रहा है, मेरी ड्यूटी भी कोविड वार्ड में लगी है। अक्सर पूरे 24-24 घंटे की ड्यूटी का शिफ्ट लग जाता है लेकिन हमें हिम्मत से डटे रहना पड़ता है। मेरा मानना है कि मैं जो पढ़ाई कर रहा हूं उसकी इससे अच्छी ट्रेनिंग नहीं हो सकती है। ऐसा संक्रमण जीवन में एक बार ही आता है
-अभिषेक डागर, जीएनएम छात्र, केएमसी कालेज आफ नर्सिंग
यहीं पढ़ा और अब सेवा कर रहीं
मैंने इसी कालेज से साल 2018 में बीएनएम का कोर्स किया था। इसके बाद यही पर सेवाएं भी दे रही हूं। प्रशिक्षण में सिखाई गई बातों का सही इस्तेमाल अब निर्संग सेवाओं के समय में हो रहा है। मरीजों के बीच उनकी अच्छी सेवा ही हमारी प्राथमिकता होती है। हम सभी मिलकर इसका सामना कर रहे हैं। आशा है कि यह लड़ाई जल्द ही हम सभी जीत लेंगे।
-तनु, नर्सिंग स्टाफ, केएमसी हास्पिटल