Meerut Nagar Nigam: अफसरों के बीच कार्य विभाजन में असंतुलन ने बिगाड़ी व्यवस्था, जानें-क्या आ रहीं दिक्कतें
मेरठ नगर निगम में नगर आयुक्त के अधीनस्थ प्रशासनिक अधिकारियों के बीच कार्य विभाजन में असंतुलन है। किसी के पास ढेर सारा काम है तो किसी के पास काम का अभाव है। जिससे निगम की व्यवस्थाएं सफर कर रही हैं। इनमें समानता लाना बेहद जरूरी है।
मेरठ, जेएनएन। नगर निगम में नगर आयुक्त के अधीनस्थ प्रशासनिक अधिकारियों के बीच कार्य विभाजन में असंतुलन है। किसी के पास ढेर सारा काम है तो किसी के पास काम का अभाव है। जिससे निगम की व्यवस्थाएं सफर कर रही हैं। हालांकि यह कार्य विभाजन पूर्व नगर आयुक्त डा. अरविंद चौरसिया के समय हुआ था। सबसे ज्यादा जिम्मेदारी अपर नगर आयुक्त श्रद्धा शांडिल्यायन के पास है। वह आइजीआरएस की प्रभारी अधिकारी हैं। प्रभारी कार्मिक होने के साथ स्वास्थ्य अनुभाग की भी प्रभारी हैं। प्रभारी वाद, मार्ग प्रकाश व्यवस्था, नगर प्रकाश व्यवस्था के विद्युत बिलों के सत्यापन के लिए अधिकृत अधिकारी हैं। लाइसेंस व पार्किंग शुल्क का प्रभारी भी उनके पास है। जनसंपर्क का भी प्रभार है। प्रभारी राजस्व संग्रह, गृहकर, जलकर, सीवर कर, अतिरिक्त वरिष्ठ प्रभारी उपभोक्ता शुल्क सफाई व शमन का अधिकार भी इनके पास है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के एसीपी, जीपीएफ पेंशन, बीमा की स्वीकृति और वेतन पेंशन और आउटसोर्स कर्मचारियों के मानदेयों का भुगतान करना, चिकित्सा बिलों की स्वीकृति, यात्रा व्यय की स्वीकृति एवं भुगतान की जिम्मेदारी भी अपर नगर आयुक्त के पास है। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों, पार्षदों, नागरिकों की समस्याओं की सुनवाई और निराकरण की जिम्मेदारी है। लोकसभा, विधानसभा, विधान परिषद एवं शासन-प्रशासन स्तर के प्रकरणों का निस्तारण की जिम्मेदारी भी अपर नगर आयुक्त के पास है। जबकि अपर नगर आयुक्त के पास 50,000 रुपये तक का वित्तीय अधिकार है।
वहीं, सहायक नगर आयुक्त प्रथम ब्रजपाल सिंह के पास वरिष्ठ प्रभारी विज्ञापन, वरिष्ठ प्रभारी संपत्ति व अतिक्रमण, सहायक प्रभारी वाद, प्रभारी किराया, वरिष्ठ प्रभारी समिति कक्ष, वरिष्ठ प्रभारी गौशाला, वरिष्ठ प्रभारी समस्त वाहन डिपो और बजट प्राविधान के साथ 10,000 रुपये तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार है। वहीं वित्तीय अधिकार के तौर पर 25,000 रुपये तक के व्यय स्वीकृति का अधिकार है। सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का संचालन व रख-रखाव, वरिष्ठ प्रभारी अभिलेखागार व कोषागार भी सहायक नगर आयुक्त प्रथम के पास है। वहीं, सहायक नगर आयुक्त द्वितीय इंद्र विजय को लिखित रूप में कंकरखेड़ा डिपो क्षेत्र में सफाई निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई थी।
इसके अलावा मौखिक रूप से वह होम कंपोस्टिंग का काम देख रहे हैं। इसके अलावा न तो कोई वित्तीय अधिकार दिया गया है और न ही लिखित रूप में किसी योजना व अनुभाग की जिम्मेदारी तय की गई है। मेरठ ही ऐसा शहर है जहां जल संस्थान नहीं है। यहां जलकल विभाग है। जिसमें महाप्रबंधक का पद है। इस समय रतनलाल महाप्रबंधक है। जल रतनलाल के पास पांच लाख रुपये तक का वित्तीय अधिकार और जलकल विभाग की समस्त जिम्मेदारी है। नगर निगम की व्यवस्थाओं में मार्ग प्रकाश व्यवस्था, गृहकर वसूली, लाईसेंस व पार्किंग और विज्ञापन शुल्क वसूली की व्यवस्था ठीक नहीं है। इनमें नगर निगम बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है। अब नगर निगम की कमान नवनियुक्त नगर आयुक्त मनीष बंसल के पास है। लिहाजा, अधीनस्थ अधिकारियों में कार्य विभाजन की अटकलें एक बार फिर लगाई जा रही हैं।