पूरे प्रदेश की हवा सांस लेने लायक नहीं
वायु प्रदूषण को गंभीरता से न लेने का नतीजा यह रहा कि अब पूरे सूबे की हवा में जहर पसर गया है। यही हाल रहा तो दिसंबर-जनवरी तक हवा में आक्सीजन की कमी पड़ने लगेगी।
मेरठ, जेएनएन। वायु प्रदूषण को गंभीरता से न लेने का नतीजा यह रहा कि अब पूरे सूबे की हवा में जहर पसर गया है। यही हाल रहा तो दिसंबर-जनवरी तक हवा में आक्सीजन की कमी पड़ने लगेगी। पीएम2.5 का स्तर अक्टूबर के अंत में मानक से पाच-छह गुना हो गया है। विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसी हवा में सास लेने से फेफड़ों की क्षमता एक चौथाई कम हो जाएगी। ऐसे में कोरोना संक्रमण लगा तो निमोनिया जल्द पकड़ेगा। स्माग में कई अन्य खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया पनपेंगे। मेरठ में एक्यूआइ का स्तर मानक 100 के सापेक्ष अधिकतम 335 तक पहुंच गया। पीएम2.5 का स्तर मानक 60 की जगह 426 माइक्रोग्राम दर्ज हुआ। एनसीआर में प्रदूषण के काले बादल घिरने लगे हैं। गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा एवं बागपत की हवा तो मेरठ से भी खराब है। मुजफ्फरनगर की हवा बिगड़कर 325 तक पहुंच गई। कई शहरों में पीएम2.5 का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पार कर गया। प्रदेशभर के किसी शहर में सास लेने लायक हवा नहीं मिली। मेरठ में दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक हवा में सुधार रहा, लेकिन सोने से पहले फिर से प्रदूषण बढ़ गया। शहर एक्यूआइ
गाजियाबाद-लोनी 404
ग्रेटर नोएडा 368
नोएडा 359
बागपत 358
बुलंदशहर 348
लखनऊ 343
मेरठ 335
मुरादाबाद 333
मुजफ्फरनगर 325
कानपुर 280
हापुड़ 256
इन्होंने कहा:::
शुद्ध हवा की जरूरत भोजन और पानी से भी ज्यादा है। आसपास ढाई सौ किमी दूर तक के प्रदूषण तैरकर एनसीआर में पहुंच जाते हैं। ईपीसीए के प्रभावी कदम उठाने के बावजूद इस साल प्रदूषण में कमी नजर नहीं आ रही। वायुदाब बढ़ेगाऔर हवा ठहरेगी तो प्रदूषण और ज्यादा होगा।
डा. एसके त्यागी, पर्यावरण वैज्ञानिक, गाजियाबाद
उद्योगों व वाहनों से निकले प्रदूषित कण हवा में रिएक्शन कर सल्फ्यूरिक व नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं। यह सास की नलिकाओं को गला सकता है। बच्चों की नाक में बाल कम होते हैं, जबकि उन्हें ज्यादा आक्सीजन की जरूरत पड़ती है। फेफड़ों की ताकत कम होने और पल्मोनरी हैमरेज का खतरा बढ़ रहा है।
डा. राजीव तेवतिया, बाल रोग विशेषज्ञ