कोरोना काबू रहा तो मेरठ में हो सकता है रणजी मैच

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने 2021-22 घरेलू सत्र के मैचों के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम तय कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 01:45 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 01:45 AM (IST)
कोरोना काबू रहा तो मेरठ में हो सकता है रणजी मैच
कोरोना काबू रहा तो मेरठ में हो सकता है रणजी मैच

मेरठ,जेएनएन। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने 2021-22 घरेलू सत्र के मैचों के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम तय कर दिया है। कोरोना की स्थिति सामान्य होती है तो मेरठ दिसंबर 2021 में रणजी मैच की मेजबानी कर सकता है। घरेलू मैच को लेकर उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से मेरठ सहित कानपुर, लखनऊ और गाजियाबाद में मैच कराने को लेकर प्रस्ताव भेजा जाएगा। हालांकि अभी इसमें काफी समय है।

पिछले साल कोविड की वजह से घरेलू क्रिकेट मैच नहीं हो पाए थे। बीसीसीआइ ने सितंबर 2021 से मार्च 2022 तक घरेलू क्रिकेट मैच का कार्यक्रम प्रस्तावित किया है। कोरोना की स्थिति नियंत्रण में आने पर सभी घरेलू मैच कराए जा सकते हैं। कूच बिहार, रणजी, वीनू मांकड, विजय हजारे, विजय मर्चेट ट्राफी आदि के एक या दो मैच मेरठ में भी हो सकते हैं। यूपीसीए के सचिव डा. युद्धवीर सिंह का कहना है कि मैच का आयोजन कोरोना की स्थिति पर निर्भर करेगा। यूपीसीए की ओर से इसे लेकर प्रस्ताव भेजा जाएगा। मैच शुरू होने से एक महीने पहले इसे तय किया जाता है।

राष्ट्रपति पदक प्राप्त पूर्व प्रधानाचार्य का निधन : राष्ट्रपति पदक से सम्मानित सेवानिवृत प्रधानाचार्य शाहिद हसन का हृदय गति रूकने से निधन हो गया। किठौर निवासी शाहिद हसन प्राईमरी पाठशाला शाहजहांपुर नंबर 2 में काफी समय तक प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत रहे। उन्हें वर्ष 2017 में राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था। लगभग चार माह पूर्व ही शाहिदहसन सेवानिवृत हुए थे। स्वजन ने बताया कि रविवार को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और डाक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।

शाहजहांपुर में युवक की मौत: शाहजहांपुर में गत 14 अप्रैल को डा. आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर लौट रहे युवक लोकेश पुत्र कलवा निवासी वाल्मिकीनगर शाहजहांपुर सीढि़यों से गिरने से घायल हो गया था। जिसने शनिवार को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। जिसका शनिवार को गढ़मुक्तेश्वर गंगा पर अंतिम संस्कार किया गया। स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। बताया गया कि मृतक के तीन बच्चे हैं। उसके निधन से स्वजन के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

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