Unlock Meerut: होटलों के रेस्तरां खोलने की मंजूरी मिले तो कुछ सुधरे हालात, बढ़ रही मांग
Unlock Meerut मेरठ में लॉकडाउन की बंदिशें हटने के बाद अब होटलों के रेस्तरां खोलने की मांग की जा रही है। असल में सभी गतिविधियों ऑनलाइन होने से इनका काम प्रभावित हुआ है।
मेरठ, जेएनएन। Unlock Meerut पहले लॉकडाउन की बंदिशें, होटल रेस्तरां में गेट टुगेदर, जन्मदिन की पार्टी, शनिवार-रविवार को घूमने-फिरने, नाइट-आउट जैसे आयोजनों पर रोक से शहर के होटल-रेस्तरां की कमर टूट चुकी है। कोरोना के भय और कठोर मानकों के भय से लोग थोड़ा निकलने से बच रहे हैं। इसके साथ ही पिछले पांच महीने से बिजनेस मीटिंग और शैक्षणिक गतिविधियों के ऑनलाइन चलने से भी शहर के होटल और रेस्तरां खाली पड़े हैं। अगर पिछले साल के इन्हीं दिनों में झांके तो शहर के होटलों में 60 से 80 फीसद तक कमरे बुक रहा करते थे। इस वर्ष 10 से 15 फीसद ही बुकिंग हो पा रही है।
नहीं मिल पा रही मंजूरी
शहर के अंदर के होटल-रेस्तरां संचालकों की तो यह भी शिकायत है कि हाईवे के रेस्तरां को संचालन की मंजूरी है जबकि हमें मंजूरी नहीं मिल पा रही है। हम पहले से ही नुकसान में थे, अब अनलॉक में भी रेस्तरां में डाइनिंग की मंजूरी न मिलने से भी नुकसान हो रहा है। कमरे तो लेने वाला कोई है नहीं, खाने-पीने ही लोग निकलें तो कुछ कमाई हो। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि लोग शनिवार-रविवार को निकलना ज्यादा पसंद कर रहे हैं और हमारे यहां की बंदी ने वह मौका भी छीन लिया है।
गर्मी की छुट्टियों में ही सबसे ज्यादा बिजनेस
रेस्तरां का हाल भी बुरा है। कुछ ही दिनों में शहर के तीन रेस्तरां बंद हो चुके हैं। अन्य काफी नुकसान उठा रहे हैं। रेस्तरां के पास इस समय कमाई का एकमात्र रास्ता होम डिलीवरी है। इससे खर्च निकालना मुश्किल है। संचालकों का कहना है कि नवंबर से अप्रैल तक शादी और अन्य आयोजन अधिक होने के कारण होटल बुकिंग का शेयर 60 फीसद और रेस्तरां से कमाई का हिस्सा घटकर 40 फीसद रह जाता है। मई से सितंबर तक रेस्तरां और होटल बुकिंग का शेयर बराबर 50-50 तक पहुंच जाता है। मई, जून और जुलाई में गर्मियों की छुट्टियों का फायदा होटल इंडस्ट्री को मिलता है। लोग इस समय परिवार और रिश्तेदारों के साथ रेस्तरां में खाना पसंद करते हैं। लेकिन इसी समय कोरोना चरम पर था और सबकुछ बंद। ऐसे में वे खासे नुकसान में हैं। होटल संचालकों का कहना है कि रेस्तरां संचालन की मंजूरी भी मिले तो कुछ बात बने।
इनका कहना है
दिल्ली-देहरादून बाईपास स्थित सभी रेस्तरां खुले हुए हैं। लेकिन शहर के रेस्तरां नहीं खोले गए। शहर में कई रेस्तरां बंद हो चुके हैं, बाकियों का भी बुरा हाल है। केएफसी, मैकडोनाल्ड और डोमिनॉज को मंजूरी और हमें नहीं, समझ से परे है।
- नवीन अरोड़ा, डायरेक्टर- होटल हारमनी इन
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पिछले साल की अपेक्षा इस बार 10 फीसद ही रूम बुकिंग है। सेमिनार, बिजनेस मीटिंग और इवेंट बंद होने से होटल इंडस्ट्री काफी नुकसान उठा रही है। सेंट्रलाइज्ड एसी में ज्यादा परेशानी है, क्योंकि इसमें कोरोना वायरस का खतरा बढ़ जाता है। बिना एसी के रेस्तरां में कोई खाना पसंद नहीं करता है। उम्मीद है कि मौसम में बदलाव आने से होटल बिजनेस में भी सुधार आएगा।
- पुलक गर्ग, डायरेक्टर- होटल क्रिस्टल पैलेस
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होटल इंडस्ट्री कोरोना काल में काफी नुकसान उठा रही है। सरकार को चाहिए कि वह टैक्स में कटौती करे। लॉकडाउन से पहले जहां हमारे एक माह में 1200 कमरें बुक हो रहे थे, अब संख्या घटकर 200 से 300 रह गई है। वीकेंड पर लोग परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ रेस्तरां में खाना अधिक पसंद करते हैं। शनिवार और रविवार की बंदी से भी काफी नुकसान हो रहा है।
- अमित पंवार, महाप्रबंधक- होटल हाईफन दिल्ली रोड
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शनिवार और रविवार को लॉकडाउन होने से होटल और रेस्तरां को काफी नुकसान हो रहा है। लोग वीकेंड पर घर से निकलना चाहते हैं, लेकिन कोई विकल्प नहीं है। बार न खुलने से भी रेस्तरां की सेल पर काफी असर पड़ता है। लॉकडाउन में शहर की वाइन शॉप खुली हुई हैं और बार बंद हैं। सरकार की इस नीति से होटल, रेस्तरां और बार को काफी नुकसान हो रहा है।
- शेखर भल्ला, डायरेक्टर- ब्रावुरा रिसोर्ट परतापुर बाईपास