हालातों में नहीं हुआ सुधार तो कैसा चमकेगा भारत का भविष्य
कल देशभर में पंडित नेहरू का जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में मनाया गया। वे मानते थे कि आधुनिक भारत के निर्माण में बचों की सबसे बड़ी सहभागिता होगी।
मेरठ, जेएनएन। कल देशभर में पंडित नेहरू का जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में मनाया गया। वे मानते थे कि आधुनिक भारत के निर्माण में बच्चों की सबसे बड़ी सहभागिता होगी। लेकिन
जब बच्चे ही अंधकार में होंगे तो वो कैसे उजाला कर पाएंगे। अगर हम सरकार के ही दिए आंकड़ों का रूख करे। तो ये आंकड़े खुद ही बयां कर देंगे कि भारत में बच्चों का भविष्य किस अंधकार की ओर बढ़ रहा है। एनसीआबी के 2017 के आंकड़ों के अनुसार केवल एक वर्ष में बच्चों के खिलाफ दर्ज होने वाले अपराधिक मामलों में 20 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देशभर में हर रोज बच्चों के खिलाफ 350 से अधिक अपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं। देश में कुपोषण के हालात तो और भी ज्यादा बदतर है। देश में 50 फीसद से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया व आईसीएमआर द्वारा भारत के सभी राज्यों में कुपोषण की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट के अनुसार 2017 में देश में कम वजन वाले बच्चों की जन्म की दर 21.4 फीसद रही। अनेमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या 59.7 फीसद व कम वजनी बच्चों की संख्या 32.7 फीसदी रही। सरकार द्वारा हर साल बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए हजारों करोड़ की धन राशि खर्च करती है। सरकार द्वारा आंगनबाड़ी से लेकर प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय खोले हुए हैं। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किताबों समेत भोजन से लेकर स्कूल की वर्दी तक सरकार की ओर से मुहैया कराई जाती है। इसके बावजूद भी कोई खास असर दिखाई नहीं पड़ रहा है। ऐसा भी नहीं है कि सरकार द्वारा किए जा रहे सारे कदम विफल हुए हो। सरकार ने कई क्षेत्रों में काबिले तारीफ उपलब्धि हासिल की है। लेकिन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए मुश्किल ही कोई कामयाबी हासिल हुई है।