प्रेम पर खुल कर चर्चा करने में झिझक कैसी

पूरी दुनिया में जिस तरह से वात्स्यायन ने प्रेम को परिभाषित करते हुए लिखा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 10:10 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 10:10 AM (IST)
प्रेम पर खुल कर चर्चा करने में झिझक कैसी
प्रेम पर खुल कर चर्चा करने में झिझक कैसी

मेरठ,जेएनएन। पूरी दुनिया में जिस तरह से वात्स्यायन ने प्रेम को परिभाषित करते हुए लिखा है। वैसा कहीं और नहीं है। उनकी पुस्तक में जिस तरह से स्त्री के अंगों को लेकर शब्द दिए गए हैं, हर शब्द गरिमापूर्ण है। लेकिन भारत जैसे देश में ज्यादातर लोग उनकी पुस्तक को गलत तरीके से देखते हैं। कई लोग प्रेम पर खुलकर चर्चा करने से झिझकते हैं, जबकि जीवन में इसका महत्व किसी भी तरह से कम नहीं हैं। स्त्री के प्रेम को पुस्तक द आ‌र्ट्स आफ सिडक्शन में सामने लाने की कोशिश की गई है।

यह कहना है डा. सीमा आनंद का। वे द राइट सर्कल कार्यक्रम में बोल रहीं थीं। डा. सीमा आनंद ने अपनी पुस्तक द आ‌र्ट्स आफ सिडक्शन पर खुल कर चर्चा की। वह गुरुवार को वर्चुअल बैठक में श्रोताओं से रूबरू हुईं। यह अवसर कलम श्रृंखला के तहत मिला। प्रभा फाउंडेशन की ओर से अहसास वुमेन के सहयोग से जूम पर यह कार्यक्रम हुआ। दैनिक जागरण इसमें मीडिया पार्टनर रहा। फरीदाबाद से श्वेता अग्रवाल ने लेखिका का स्वागत किया। डा. सीमा से विभिन्न पहलुओं पर श्रुति मित्तल ने संवाद किया। कार्यक्रम में डा. अंशु मेहरा का सहयोग रहा। आनलाइन कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के साहित्य प्रेमी शरीक हुए।

रिसर्च के बाद लिखी पुस्तक

डा. सीमा ने कहा कि उन्होंने वात्स्यायन के कामसूत्र को गहराई से पढ़ा। अपनी पुस्तक को उन्होंने नौ साल में लिखा। पुस्तक में प्रेम के शब्दों को लिखने की चुनौती थी। पुस्तक में लव बाइट्स, लवर्स क्वेरीज के विषय में खुलकर बात की है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में कामशास्त्र पर खुलकर चर्चा भले न हो, लेकिन बहुत से लोग इस विषय पर गालियां, अश्लील बात करते हैं। समाज में केवल महिलाओं को बताया जाता है कि वह घर की इज्जत हैं। उनके सामने कई तरह की वर्जनाएं हैं।

नई पीढ़ी को जानना जरूरी

उन्होंने बताया कि इरोटिक साहित्य हर जगह है। नई पीढ़ी को वात्स्यायन की कामसूत्र, नल दमयंती जैसे श्रृंगार और सौंदर्य के साहित्य को भी जानना चाहिए। आर्ट आफ लव मेकिग और सीक्रेट लैंग्वेज आफ लव पर उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में महिलाएं अपना संदेश इत्र की सुगंध से पहुंचाती थीं। उन्होंने अपनी पुस्तक में महिलाओं के श्रृंगार का क्या महत्व है, पैरों को रंगने के लिए आलता का प्रेम संवाद में कितना महत्व है, उसके विषय में भी बताया।

खुद को खूबसूरत देखें

दीपा मिश्रा, मंजुलिका, अंजना, गुंजन, जेके भल्ला आदि ने डा. सीमा आनंद से सवाल भी पूछे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एक महिला को सबसे पहले खुद को खूबसूरत महसूस करना होगा तभी दूसरे भी अनुभव करेंगे।

डा. सीमा आनंद के विषय में

भारत से लंदन गई डा. सीमा आनंद एक मेथोलाजिस्ट, स्टोरी टेलर व प्रसिद्ध पुस्तक द आ‌र्ट्स आफ सिडक्शन की लेखिका हैं। अपनी पुस्तक में उन्होंने महिलाओं के प्रेम को खुल कर लिखा है। इसके अलावा तंत्र फिलासफी, भगवत गीता, महाभारत पर भी उन्होंने लिखा है।

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