होमवती ने मेरठ को बनाया था साहित्यिक आंदोलन का केंद्र
क्रांतिधरा पर साहित्यक चेतना की अलख जगाने वाली होमवती देवी को शहर ने भुला दिया है। मर्मस्पर्शी रचनाएं गढ़ने वाली इस साहित्यकार के योगदान पर समय-समय पर ख्यातिलब्ध लेखकों ने प्रकाश डाला। विवाह के कुछ समय बाद ही वह विधवा हो गई थीं।
ओम बाजपेयी, मेरठ : क्रांतिधरा पर साहित्यक चेतना की अलख जगाने वाली होमवती देवी को शहर ने भुला दिया है। मर्मस्पर्शी रचनाएं गढ़ने वाली इस साहित्यकार के योगदान पर समय-समय पर ख्यातिलब्ध लेखकों ने प्रकाश डाला। विवाह के कुछ समय बाद ही वह विधवा हो गई थीं। जीवन का दर्द उनकी कविता-कहानियों में भी झलकता है। बीमारी ने 48 वर्ष की अल्पायु में उन्हें ग्रास बना लिया था। 20 नवंबर को उनकी जयंती है लेकिन इस महान रचनाकार को याद करने और उनके कृतित्व से नई पीढ़ी को रूबरू कराने की कोई पहल नहीं दिखती है।
होमवती देवी ने सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन, अज्ञेय और कृष्ण चंद्र शर्मा के साथ मिलकर हिदी साहित्य परिषद की स्थापना की थी। संस्था मेरठ में साहित्य सम्मेलन कराती थी। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, हजारी प्रसाद द्विवेदी, धर्मवीर भारती, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन सरीखे लोगों द्वारा प्रवाहित साहित्य की वैतरणी में लोग सराबोर होते थे। लेखक और पत्रकार पद्मश्री कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर उनके समकालीन थे। अपने संस्मरण में उन्होंने लिखा है कि 1936 में होमवती का प्रथम काव्य संग्रह उद्गार प्रकाशित हुआ, जिसकी भूमिका उन्होंने लिखी थी। कन्हैया लाल मिश्र लिखते हैं-पुस्तक की कविताएं उन्होंने रो-रोकर पढ़ी और पढ़-पढ़कर रोया। इस पहले काव्य संकलन ने उन्हें हिदी के आंगन में चर्चित लेखिका बना दिया था। निराला ने कहा- होमवती इस बालक को दस रुपये दो
वरिष्ठ साहित्य मनीषी वेद प्रकाश वटुक अपने बड़े भाई राम निवास विद्यार्थी के साथ घटित वाकये को याद करते हैं। 1946 में तुलसी जयंती पर होमवती ने मेरठ में साहित्य सम्मेलन कराया था। सूर्यकात त्रिपाठी निराला भी उसमें आए थे। उस समय उनकी उम्र 17 वर्ष थी। जिस शैली में निराला ने कालजयी रचना तुलसीदास लिखी है, उसी तरह रामनिवास ने निराला पर लिखी लंबी कविता उन्हें सुनाई। कविता सुनकर निराला बहुत प्रसन्न हुए। अपनी शैली में उन्होंने होमवती से कहा कि-इस बालक को 10 रुपये दो। निराला फक्कड़ प्रकृति के कवि थे। धन का टोटा था, पर युवा साहित्यकारों को हमेशा प्रोत्साहित करते थे। 10 रुपये पाकर रामनिवास की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इन रुपयों से उन्होंने निराला जी का साहित्य खरीदा। विश्व की सर्वश्रेष्ठ महिला कथाकारों में शुमार
वेद प्रकाश वटुक बताते हैं 1970 से 1975 के बीच न्यूयार्क की अंग्रेजी पुस्तक में विश्व की सर्वश्रेष्ठ महिला कथाकारों की कहानियों का संग्रह प्रकाशित हुआ था। भारत से उसमें केवल होमवती और कमला चौधरी की रचनाएं प्रकाशित हुई थी।