यहां भी मौत के शिकंजे में 'होनहार'.. ये तस्वीरें गवाह हैं

संकरी गलियां हैं और निकासी के रास्ते भी तंग। गली-मोहल्लों से लेकर काम्पलेक्स तक में चल रहे अधिकांश कोचिंग सेंटरों के हालात कुछ ऐसे ही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 May 2019 05:00 AM (IST) Updated:Sat, 25 May 2019 06:23 AM (IST)
यहां भी मौत के शिकंजे में 'होनहार'.. ये तस्वीरें गवाह हैं
यहां भी मौत के शिकंजे में 'होनहार'.. ये तस्वीरें गवाह हैं

मेरठ । संकरी गलियां हैं और निकासी के रास्ते भी तंग। गली-मोहल्लों से लेकर काम्पलेक्स तक में चल रहे अधिकांश कोचिंग सेंटरों के हालात कुछ ऐसे ही हैं। चिंगारी भड़की नहीं कि भीषण अग्निकांड तय है। हैरत की बात यह है कि जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे हैं। सिस्टम की यह लापरवाही कहीं सूरत में हुए अग्निकांड जैसे भयावह हादसे से रूबरू न करा दे।

शुक्रवार को सूरत के काम्पलेक्स में हुई घटना ने झकझोर कर रख दिया है। हादसे ने कोचिंग इंस्टीट्यूट में जाने वाले देशभर के बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है। मेरठ शहर की बात करें तो यहां करीब 350 कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं। इनमें से अधिकांश के संचालकों ने आग भड़काने का इंतजाम कर रखा है।

40 से अधिक कांम्पलेक्स में चल रहे कोचिंग सेंटर

दमकल विभाग के मुताबिक शहर में साठ से अधिक काम्पलेक्स हैं। जिनमें करीब 40 से अधिक में कोचिंग इंस्टीट्यूट चल रहे हैं। गौर देने वाली बात यह है कि इंस्टीट्यूट आने-जाने का रास्ता इतना संकरा होता है कि वहां से एक बार में एक या दो लोग ही निकल सकते हैं।

रिहायशी इलाकों में भी फल-फूल रहे अवैध कोचिंग सेंटर

कार्रवाई से बचने के लिए कुछ लोगों ने रिहायशी इलाकों में भी अपने कोचिंग सेंटर चला रखे हैं। सिस्टम से नजर बचाकर चल रहे इन कोचिंग सेंटरों में अग्निकांड से बचाव के मानक अपनाने का सवाल ही नहीं होता।

किसी भी भवन में निकासी द्वार सबसे महत्वपूर्ण

मुख्य अग्निशमन अधिकारी अजय शर्मा का कहना है कि किसी भी होटल या संस्थान में आग से बचाव के उपकरणों के साथ सबसे महत्वपूर्ण निकासी द्वार है। भवन में कोई हादसा होने पर वहा मौजूद लोग कितनी जल्द बाहर निकलेंगे, यह निकासी द्वार पर निर्भर करता है। कई मंजिला भवनों में लिफ्ट के साथ सीढि़यों और विंडो की व्यवस्था होनी चाहिए।

इनसेट ..

मेरठ दमकल विभाग में मैन पावर

- 04 स्थायी फायर स्टेशन

- 01 अस्थायी फायर स्टेशन

- 01 सीएफओ (मुख्य अग्निशमन अधिकारी)

- 01 एफएसओ

- 03 द्वितीय दमकल अधिकारी

- 18 लीडिंग फायर मैन

- 80 फायर मैन

- 25 ड्राइवर इनसेट ..

मेरठ दमकल विभाग में आग बुझाने के संसाधन

- 13 फायर टेंडर (छोटे-बड़े)

- 04 वाटर मिस्ट (छोटी गाड़ी)

- 01 हाईड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन ( 42 मीटर ऊंचाई तक पहुंच सकती है)

- 02 बाइक

- 05 एंबुलेंस

- 160 हाईड्रेंट हैं पानी भरने के लिए अग्निकांड से बचाव को ये मानक जरूरी

- भवन के चारों तरफ फायर ब्रिगेड की गाड़ी घूम सके।

- सीढ़ी डेढ़ मीटर से कम चौड़ी नहीं होनी चाहिए।

- 15 मीटर की दूरी पर दूसरी सीढ़ी होनी चाहिए।

- जरूरत के मुताबिक होजरिल, पंपिंग टैंक, डाउन कवर, हाईडेंट सिस्टम, अंडर ग्राउंड टैंक, लिफ्ट जरूरी है। --------- सूरत हादसे के बाद मेरठ में चैकिंग के आदेश

सूरत में हुए हादसे से सबक लेते हुए मेरठ में भी कोचिंग इंस्टीट्यूट व काम्पलेक्स में चेकिंग के आ देश दे दिए गए हैं। मुख्य अग्निशमन अधिकारी अजय शर्मा ने बताया कि शनिवार से जिले के सभी कोचिंग इंस्टीट्यूट व काम्पलेक्स में चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। मानक पूरे न मिलने पर नोटिस जारी होगा। इसके बावजूद इंतजाम न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों से संस्तुति की जाएगी। ----------------------

अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था करें कोचिंग इंस्टीट्यूट

मेरठ : गुजरात की घटना को देखते हुए क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डा. राजीव कुमार गुप्ता ने सभी कोचिंग संस्थानों को अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि पंजीयन के समय सभी संस्थान अग्निशमन विभाग की रसीद भी दिखाते हैं लेकिन वास्तविक दुर्घटना का सामना करने के लिए संस्थान में लाल रंग की बाल्टी में रेत व पानी जरूर रखें। कर्मचारियों को अग्निशमन यंत्र चलाने का प्रशिक्षण एक बार जरूर दिलाएं। निरीक्षण में देखा गया है कि अग्निशमन यंत्र औपचारिकता के तौर पर लगा दिए जाते हैं लेकिन उनकी गुणवत्ता का कभी परीक्षण नहीं किया जाता है। साल में एक बार मॉक टेस्ट जरूर कराएं जिससे दुर्घटना को दोहराव न हो।

नहीं है कोई स्पष्ट दिशा निर्देश

शहर में करीब साढ़े तीन सौ कोचिंग संस्थान हैं जिनमें कई बिना मान्यता के ही चलते रहते हैं। समय-समय पर इनके खिलाफ कुछ कार्रवाई होती है लेकिन कोचिंग संस्थानों के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश न होने के कारण यह मनमानी भी खूब करते हैं। दूसरी-तीसरी मंजिल पर भी कक्षाएं संचालित होती हैं और आने-जाने का रास्ता एक ही होता है। कुछ ऐसे भी कोचिंग हैं जहां एक समय में तीन से चार सौ छात्र पढ़ते हैं। पीएल शर्मा की हर गली में ऐसे कोचिंग संस्थान मिल जाएंगे।

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