मेरठ की जनसमस्याओं पर 22 फरवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई, अदालत ने द‍िए यह न‍िर्देश

मेरठ सिटीजन फोरम ने जनसमस्याओं को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसे 11 जनवरी को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश गोङ्क्षवद माथुर और न्यायाधीश सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने टिप्पणी की है। सुनवाई से पहले अदालत ने नगर निगम समेत सभी विभागों से किया जवाब तलब।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 03:25 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 03:25 PM (IST)
मेरठ की जनसमस्याओं पर 22 फरवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई, अदालत ने द‍िए यह न‍िर्देश
मेरठ की जनसमस्‍याओं पर होगी सुनवाई ।

मेरठ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ सिटीजन फोरम की याचिका को स्वीकार कर लिया है। 22 फरवरी को जनसमस्याओं और विकास के मुद्दों पर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। सुनवाई से पहले अदालत ने नगर निगम समेत सभी विभागों से जवाब-तलब किया है। साकेत स्थित कार्यालय पर पत्रकार वार्ता में यह जानकारी मेरठ सिटीजन फोरम के पदाधिकारियों ने दी। 

मेरठ सिटीजन फोरम ने जनसमस्याओं को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसे 11 जनवरी को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश गोङ्क्षवद माथुर और न्यायाधीश सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि मेरठ प्रदेश का प्रमुख शहर है। केंद्र और प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित होने के बाद भी अनेक अवशेष मुद्दे महानगर के सुनियोजित विकास में बाधा बने हैं। याचिकाकर्ता ने जनसमस्याओं के निराकरण के सुझाव भी दिए हैं।

फोरम के पदाधिकारियों ने बताया कि याचिका में कुल आठ प्रतिवादी बनाए गए हैं। इसमें उप्र शासन, मंडलायुक्त, नगर निगम, एमडीए, आवास विकास परिषद, उप्र जल निगम, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उप्र भूगर्भ जल विभाग शामिल हैं। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 22 फरवरी रखी है। इससे पहले याचिका में उठाए गए मुद्दों पर इन विभागों से अदालत ने जवाब तलब किया है। पत्रकार वार्ता के दौरान फोरम के अध्यक्ष विवेक ङ्क्षसघल, इं. रामपाल वर्मा, डा. एके त्यागी और इं. दीपक सक्सेना मौजूद रहे।

याचिका में उठाए ये मुद्दे

-शहर में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट नियम-2016 का पालन नहीं हो रहा है।

-वर्षा जल निकासी के नाले व सीवर लाइनें सफाई न होने से चोक हैं।

-महानगर में स्थापित सभी एसटीपी पूरी क्षमता से क्रियाशील नहीं हैं।

-महानगर में कचरा जलाने से पर्यावरण प्रदूषित है।

-भूगर्भ जल का नलकूपों के जरिए अत्याधिक दोहन किया जा रहा है।

-100 एमएलटी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा है।

-योजनाओं के सही क्रियान्वयन के लिए विभागों के बीच समन्वय नहीं है।

ये दिए हैं सुझाव

-नगर आयुक्त के पद पर आइएएस अधिकारी की ही नियुक्ति सुनिश्चित हो।

-नगर स्वास्थ्य अधिकारी के स्थान पर पर्यावरण अभियंता की नियुक्ति की जाए।

-गंगाजल आपूर्ति के लिए बनाए गए सारे भूमिगत जलाशयों और ओवरहेड टैंकों का उपयोग हो।

-जलनिकासी व सीवर नेटवर्क के इंतजाम शहर में शत-प्रतिशत किए जाएं। 

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