शहरभर में श्रद्धाभाव से मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व

शहरभर में मंगलवार को गुरु पूर्णिमा श्रद्धाभाव से मनाई गई। विभिन्न सामाजिक व्यापारियों ने गुरु को नमन किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 17 Jul 2019 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 17 Jul 2019 06:27 AM (IST)
शहरभर में श्रद्धाभाव से मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व
शहरभर में श्रद्धाभाव से मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व

मेरठ,जेएनएन। शहरभर में मंगलवार को गुरु पूर्णिमा श्रद्धाभाव से मनाई गई। विभिन्न सामाजिक, व्यापारिक और धार्मिक संगठनों ने गुरु को नमन किया। कुलवंत सिंह स्टेडियम के सामने स्थित ओशो पथिक ध्यान केंद्र पर अनुयायियों ने ध्यान कर ओशो को नमन किया।

केंद्र संचालक स्वामी सुनील गंभीर और मुनीश यादव ने कहा कि ओशो ने हमें प्रेम और ध्यान का संदेश दिया। ओशो अनुयायियों ने तबले और हारमोनियम पर भजन भी गाए। ओशो से दीक्षा लेने वाले स्वामी योग मूर्ति ने ध्यान और संन्यास का अर्थ समझाया। इस दौरान राजीव रस्तोगी, स्वामी बाबूराम, शालिनी सहित काफी संख्या में ओशो अनुयायी मौजूद रहे।

उधर, सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहरनाथ मंदिर में अनुयायियों ने बाबा मनोहरनाथ की समाधि पर पुष्प चढ़ाए। इसके बाद गुरु मां नीलिमानंद महाराज की गुरु पूजा की। नीलिमानंद महाराज ने कहा कि गुरु की बदौलत ही भारत को विश्व गुरु कहा जाता है। गुरु पूर्णिमा पर उन्हें नमन करने से जीवन में सकारात्मकता आती है। आर्ट ऑफ लिविंग के सदस्यों ने गढ़ रोड स्थित दामोदर कॉलोनी में संस्थापक श्रीश्री रविशंकर को नमन किया। जाग्रति विहार स्थित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सदस्यों ने आशुतोष जी महाराज का गुरु पूजन किया।

विशाल भंडारा लगाया

नगर के ठठेरवाड़ा स्थित पंचमुखी महादेव मंदिर पर विश्व विप्र वंशावली के तत्वावधान में भजन-कीर्तन व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। विश्व विप्र वंशावली के संरक्षक व इंद्रप्रस्थ पीठ के शंकराचार्य कृष्ण स्वरूप महाराज ने हवन यज्ञ कर गुरु की महत्ता के बारे में बताया। वंशावली के संस्थापक आचार्य पंडित सुरेश चंद शर्मा ने भी गुरु की महत्ता बताई। लोगों को प्रसाद का वितरण किया गया। इस दौरान हिमांशु, अमित, कविता का विशेष सहयोग रहा। गुरु के लिए पहले शिष्य बनना जरूरी : मुनि प्रणम्य सागर

गुरु सोए हुए भक्तों को जगा देता है। जो पहले शिष्य बनता है, वही गुरु बनने का अधिकारी है। गुरु सोए हुए में जागा हुआ होता है, साथ ही पथ प्रदर्शक होता है। मंगलवार को दुर्गाबाड़ी जैन मंदिर सदर में मुनि प्रणम्य सागर ने गुरु पूर्णिमा पर 'गुरु' के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान बाहर से आए व्यक्तियों ने गुरु का आशीर्वाद भी लिया। मुनि श्री ने कहा कि ध्यान की इमारत खड़ी करने के लिए परिग्रह और परिचय की रिक्तता जरूरी है। मंत्र ध्यान का साधन है, साध्य नहीं। आत्म साधना के लिए गुरु बनाना, अनुशासन में रहना और ओंकार मंत्र से नाता जोड़ना चाहिए।

गुरु भक्ति का द्वार

असौड़ा हाउस मंदिर में मुनि जिनानंद ने कहा कि गुरु ही भक्ति का सार द्वार है। गुरु का द्वार खोलने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन ही शिष्य बनना चाहिए ताकि गुरुत्व का गुरुतर भार ग्रहण करने की क्षमता जाग्रत हो सके। शिष्य बनने से आशीष मिलेगा। कार्यक्रम में सुनील जैन प्रवक्ता, मृदुल जैन, दिनेश जैन, अक्षत जैन, विपिन जैन, प्रवीण जैन, सुशील जैन, अंकुर जैन, राकेश जैन, मनोज जैन, सुनील सराफ, विभोर जैन आदि का सहयोग रहा।

गुरु पूíणमा व भगवान दक्ष की जयंती के अवसर पर कसेरू बक्सर स्थित प्रगति इलेक्ट्रॉनिक्स पर हवन के बाद भंडारे का आयोजन किया गया। बाद में कढ़ी-चावल का प्रसाद वितरित किया गया। आयोजन में दारा सिंह प्रजापति, राजकुमार प्रजापति, पावली प्रधान, भोपाल सिंह, देवेश कुमार प्रजापति, रामेश्वर प्रजापति, राजवीर प्रजापति, मनोज प्रजापति, राजेंद्र प्रजापति, अर्जुन सिंह, रविद्र प्रजापति, अजय बिधुडी, मोनी चौधरी व बालेश त्यागी आदि शामिल रहे।

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