कंवेयर बेल्ट में डाला कूड़ा..और कंपोस्ट उगलने लगी मशीन
जेसीबी से कंवेयर बेल्ट में कूड़ा डाला गया और मशीन चालू कर दी गई। पल भर में मशीन तीन भाग में कूड़े को बांटकर अलग-अलग कंपोस्ट आरडीएफ (पॉलीथिन) और इनर्ट (ईट-पत्थर) उगलने लगी। यह देखकर क्षेत्रीय विधायक सत्यवीर त्यागी और सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह समेत एजेंसी के इंजीनियर के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई।
मेरठ, जेएनएन। जेसीबी से कंवेयर बेल्ट में कूड़ा डाला गया और मशीन चालू कर दी गई। पल भर में मशीन तीन भाग में कूड़े को बांटकर अलग-अलग कंपोस्ट, आरडीएफ (पॉलीथिन) और इनर्ट (ईट-पत्थर) उगलने लगी। यह देखकर क्षेत्रीय विधायक सत्यवीर त्यागी और सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह समेत एजेंसी के इंजीनियर के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई।
शुक्रवार को गांवड़ी स्थित कूड़ा निस्तारण स्थल पर बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट का सफल ट्रॉयल किया गया। करीब आधा घंटे में आठ टन कूड़े का सेग्रीगेशन करके दिखाया गया। मशीन को 10 घंटे तक चलाने की तैयारी थी लेकिन बारिश के चलते ऐसा नहीं हुआ। क्षेत्रीय विधायक सत्यवीर त्यागी ने कहा कि इस प्रक्रिया से कूड़े का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से होने की उम्मीद बढ़ गई है। संचालन व देखरेख की जिम्मेदारी उठा रही एजेंसी इनवरान आर्गेनिक वर्क्स एंड सप्लायर के इंजीनियर प्रदीप गुप्ता ने प्लांट के बारे में जानकारी दी। कहा कि 25 फीट की ऊंचाई पर बड़ी कंवेयर बेल्ट है। जिसमें जेसीबी से सूखा कूड़ा डाला जाएगा। जो बैलेस्टिक सेपरेटर मशीन में पहुंचेगा। सेपरेटर में दो छन्ने 100 मिमी. और 16 मिमी. के हैं। जिससे कूड़ा छनने के बाद तीन छोटे-छोटे कंवेयर बेल्ट से अलग-अलग प्री-कंपोस्ट, आरडीएफ (पॉलीथिन) और इनर्ट (ईट-पत्थर) के रूप में निकलेगा। इंजीनियर ने कहा कि बैलेस्टिक सेपरेटर प्रतिघंटे 15 टन कूड़े का सेग्रीगेशन करेगा। प्रतिदिन 10 घंटे मशीन चलाई जाएगी। जिससे प्रतिदिन 150 टन कूड़े निस्तारित होगा। निस्तारित कूड़े से करीब 30 से 40 फीसद आरडीएफ (पॉलीथिन), 15 से 20 फीसद कंपोस्ट और शेष इनर्ट (ईट-पत्थर) निकलेगा। यानी एक किलो कचरे में अधिकतम 200 ग्राम तक खाद निकलेगी।
कूड़े से निक लेगा इतने प्रकार का मैटेरियल
आरडीएफ( रिफ्यूज्ड डिराइव्ड फ्यूल) : इसमें प्लास्टिक, ई-वेस्ट, पॉलीथिन, कपड़े, जूते-चप्पल समेत जलने वाला हल्का कचरा शामिल होता है। इस कचरे का उपयोग बिजली बनाने में किया जाएगा। इसके लिए नगर निगम ब्रिजेंद्र एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी से अनुबंध कर चुका है। कंपनी इससे बिजली बनाएगी।
प्री-कं पोस्ट: कूड़े में शामिल मिट्टी, गोबर, किचन से निकलने वाले सब्जी के कतरन, सड़े फल समेत अन्य खाद्य पदार्थ को बैलेस्टिक सेपरेटर छानकर प्री-कंपोस्ट के रूप में निकालेगी। जिसका उपयोग खेत या बागवानी में खाद के रूप में किया जा सकेगा।
इनर्ट कचरा: यह कूड़े में शामिल ईट, पत्थर, गिट्टी समेत मकानों से निकलने वाले मलबे के कचरा होता है। बैलेस्टिक सेपरेटर मशीन कूड़े से यह अलग करेगा। इसका इस्तेमाल सड़क के गड्ढे भरने, लैंडफिल के रूप में हो सकेगा।
निस्तारण से पहले सुखाना पड़ेगा कूड़ा
इंजीनियर ने कहा कि निस्तारण से पहले घरों व कूड़ाघर से एकत्र कूड़े को कम से कम डंपिंग ग्राउंड में आठ दिन सुखाना पड़ेगा। क्योंकि गीले कचरे को मशीन अलग-अलग नहीं कर सकेगी। कूड़े में इनाकुलम कल्चर डालेंगे ताकि दुर्गध न हो।
किसानों को मिलेगी निश्शुल्क खाद
बैलेस्टिक सेपरेटर मशीन से कचरे से तैयार कंपोस्ट (खाद ) को किसानों को निश्शुल्क दिया जाएगा। इसके लिए किसान को आधार कार्ड और खतौनी की फोटोप्रति लेकर आना होगा। वहीं ईट-पत्थर भी निश्शुल्क प्रदान किया जाएगा।
कचरे से प्रतिदिन होगी निगम की आय
कचरा अब निगम की आय का साधन बनेगा। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार कंपोस्टिंग का लाइसेंस सरकार से प्राप्त होते ही प्रति टन 500- 1500 रुपये की सब्सिडी मिलने लगेगी। वहीं आरडीएफ बिजली बनाने के लिए कंपनी को दिया जाएगा। जिसके एवज में प्रति टन आरडीएफ का 500 रुपये कंपनी देगी। अर्थात कचरे के प्रत्येक अवयव कीमती है।
900 मीट्रिक टन कचरे के निस्तारण के लिए तीन और प्लांट लगाने होंगे
शहर में प्रतिदिन 900 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है। नगर निगम लोहिया नगर, कंकरखेड़ा में भी बैलेस्टिक सेपरेटर मशीन लगाने की प्लानिंग कर रहा है। वहीं गांवड़ी में भी एक और मशीन स्थापित की जा सकती है। नगर आयुक्त डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया ने कहा कि कम से कम तीन और प्लांट लगाकर शत-प्रतिशत कचरे का निस्तारण संभव होगा। इतने कचरे से निकले आरडीएफ से कम से कम आठ मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी।