दोस्त मिल-बांटकर पढ़ते थे सुपरमैन की कहानियां
आठ दशकों से सुपरमैन दुनियाभर में सबसे पसंदीदा और ताकतवर सुपर हीरो रहा है।
मेरठ,जेएनएन। आठ दशकों से सुपरमैन दुनियाभर में सबसे पसंदीदा और ताकतवर सुपर हीरो रहा है। 30 जून 1938 को सबसे पहले कामिक्स के रूप में आए सुपरमैन के किरदार से लेकर वर्ष 2013 में आई फिल्म 'मैन आफ स्टील' में क्रिप्टोनियन काल एल तक के सुपरमैन से तीन पीढि़यां जुड़ी हुई हैं। कामिक्स से निकले सुपरमैन के वीडियो गेम और फिल्मी किरदारों में इसे हर किसी ने पसंद किया है। इस किरदार की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वर्ष 1938 की सुपरमैन वाली एक कामिक की नीलामी 3.25 मिलियन डालर में हुई। जिन्होंने टीवी ओर वीडियोगेम से पहले के दौर में कामिक पढ़ी थी, यह उनकेदिलों के बेहद करीब रही है। आठ सौ कामिक्स का कलेक्शन था
जीवन के 57 वसंत देख चुके संजय विनायक बताते हैं कि सुपरमैन से शूर हुआ कामिक्स पढ़ने का सिलसिला फैंटम, मैंड्रेक, अमर चित्र कथा आदि सैकड़ों कामिक्स तक जारी रहा था। आठ-नौ साल की उम्र में सभी दोस्त मिलकर कामिक्स किराए पर लिया करते और एक-दूसरे को बांटकर सभी को पढ़ने के बाद ही वापस करते थे। धीरे-धीरे बड़े हुए तो सुपरमैन की सभी सिरीज हम खरीद कर पढ़ने और कलेक्शन करने लगे। मेरठ में उन दिनों चावला बुक डिपो से हमें सुपरमैन के कामिक्स मिला करते थे। उन्होंने 10-10 वाल्यूम के कामिक्स को एक नत्थी में कराया था, जिससे एक बार शुरू करें और अंत तक पढ़ते जाएं। करीब आठ सौ कामिक्स का कलेक्शन संजय के पास बहुत सालों तक रहा। बाद की पीढ़ी में रुचि न रहने पर सारा कलेक्शन घर से निकल गया। उस समय तक टीवी और कंप्यूटर गेम ने बच्चों का ध्यान खींच लिया था। जन्मदिन पर बच्चों ने दी एक पुरानी कामिक्स
40 साल पहले कामिक्स की दुनिया में ही अधिकतर समय बिताने वाले रमन राठी बताते हैं कि उनके कामिक्स प्रेम को उनके परिवार में सभी जानते हैं। पिछले साल जन्मदिन पर बेटी ने एस्ट्रिक्स की एक पुरानी कामिक्स भेंट की थी। बच्चों को पुरानी रुचि को याद रखना देख बहुत अच्छा लगा। रमन के अनुसार बेहद छोटी उम्र में आधा दर्जन से अधिक दोस्तों के ग्रुप में अधिक से अधिक कामिक्स पढ़ने की होड़ सी रहती थी। सुपरमैन कामिक्स सभी को पसंद दी। उसके साथ ही बेताल, चाचा चौधरी और साबू भी पढ़ते थे। एक दोस्त एस्ट्रिक्स और ओबलिक्स के कामिक्स बाहर से मंगाता और सभी उसे पढ़ते थे। अशोक नामक एक दुकानदार थे, जो कामिक्स दिया करते थे। कामिक्स ने ही हमें किताबें पढ़ना सिखाया था।