मेरठ के युवाओं से कह गए थे फ्लाइंग सिख.. 'आप बनिए दूसरा मिल्खा सिंह'

फ्लाइंग सिख के नाम से पहचाने जाने वाले और हर एथलीट के प्रेरणा स्त्रोत मिल्खा सिंह इस दुनिया में नहीं रहे। पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 का इलाज करा रहे मिल्खा सिंह ने शुक्रवार देर रात अंतिम सास ली।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 09:02 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 09:02 AM (IST)
मेरठ के युवाओं से कह गए थे फ्लाइंग सिख.. 'आप बनिए दूसरा मिल्खा सिंह'
मेरठ के युवाओं से कह गए थे फ्लाइंग सिख.. 'आप बनिए दूसरा मिल्खा सिंह'

मेरठ, जेएनएन। फ्लाइंग सिख के नाम से पहचाने जाने वाले और हर एथलीट के प्रेरणा स्त्रोत मिल्खा सिंह इस दुनिया में नहीं रहे। पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 का इलाज करा रहे मिल्खा सिंह ने शुक्रवार देर रात अंतिम सास ली। महान शख्सियत, बेहतरीन खिलाड़ी और उसे भी अच्छे इंसान के आशीर्वाद की यादें मेरठ के युवाओं में भी तरोताजा है। मिल्खा सिंह दो नवंबर 2004 को मेरठ छावनी स्थित दीवान पब्लिक स्कूल की वाíषक एथलेटिक मीट में मुख्य अतिथि के तौर पर मेरठ आए थे। एथलेटिक्स को जीवन समíपत करने वाले मिल्खा सिंह ने मेरठ के युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था कि उन्हें बेहद खुशी होगी अगर अगला ओलंपियन धावक मेरठ की मिट्टी से निकले और देश का नाम ऊंचा करें। एथलेटिक्स के प्रति उनकी भावना ही ऐसी थी कि वह हर युवा में एक मिल्खा सिंह को देखते थे और उन्हें जी जान लगाकर दौड़ने को प्रेरित भी किया करते थे।

हर शब्द में जादू था और एक नई सीख भी : खेलकूद प्रतियोगिता के मौके पर मेरठ पधारे मिल्खा सिंह ने जितना भी समय स्कूल परिसर में गुजारा छात्र छात्राओं को खेल के प्रति आकíषत करते रहे। उनके व्यक्तित्व से पहले ही प्रेरित छात्र छात्राओं ने उनको सुनने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। स्कूल के तत्कालीन प्रिंसिपल हरमोहन राउत ने भी बच्चों को ऐसे व्यक्तित्व के साथ बिताए हर पल में कुछ नया सीखने को प्रेरित किया था। एनुअल एथलेटिक मीट में मिल्खा सिंह ने खिलाड़ियों को मशाल थमाई, पुरस्कृत किया और उनके प्रदर्शन की सराहना भी की थी। जिन्हें आटोग्राफ चाहिए था उन्हें भी निराश नहीं किया। जो साथ में तस्वीर लेना चाहते थे उनके साथ भी खड़े हुए।

उनके साथ बीता समय जीवन का मूल्य यादगार है : दीवान पब्लिक स्कूल के ही संजय शर्मा को दिल्ली एयरपोर्ट से मिल्खा सिंह के साथ आने और वापस उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने का अवसर मिला था। संजय शर्मा बताते हैं कि मिल्खा सिंह जी से उनकी तमाम बिंदुओं पर बात हुई। जो चौंकाने वाली बात थी, उस समय 70 साल से अधिक आयु में भी वह हर दिन सुबह शाम दौड़ लगाया करते थे। पहली बार संजय शर्मा को लगा कि कुछ कानों का धोखा होगा। उन्होंने दोबारा पूछा। जवाब मिला वह आज ही सुबह शाम दौड़ लगाते हैं। संजय ने बताया कि वह घर के बाहर कहीं कुछ खाते पीते नहीं थे लेकिन गाजियाबाद पार करने के बाद मोदीनगर में एक जगह उन्होंने बार बार पूछने पर चाय पीने की इच्छा जताई। दुकानदार उनकी तरफ लगातार देखता रहा। अंत में उसने पूछा कि क्या वह मिल्खा सिंह जी हैं। संजय शर्मा के हा कहने पर दुकानदार ने पैसे लेने से मना कर दिया। बहुत जिद करने पर पैसे वहीं दुकान में रखकर आने पड़े, लेकिन वह पूरे समय मिल्खा सिंह जी को निहारता ही रहा, मानो वह भी उन्हें चाय पिलाकर स्वयं को धन्य मान रहा हो।

हर जन्मदिन पर देता रहा हूं बधाइया

संजय शर्मा बताते हैं कि मिल्खा सिंह का जन्मदिन 20 नवंबर को होता है। साल 2004 में उनसे मुलाकात के बाद वह हर साल उन्हें जन्मदिन पर बधाई देने के लिए फोन जरूर करते थे। पूरे साल बात भले ना हो लेकिन जन्मदिन पर फोन जाते ही मिल्खा सिंह जी बेटा जी बेटा जी कहकर ही बुलाते थे। जो उनका स्वभाव था। जो सभी से इसी तरह स्नेह के साथ बात करते थे। डेढ़ से 2 मिनट की बातचीत में उनका हालचाल लेने का मौका मिलता रहता था। उनकी बीमारी की खबरें सुनने के बाद मैसेज डाला था जिसका जवाब अब तक नहीं आया। हमेशा यही प्रार्थना करता था कि वह जल्द स्वस्थ होकर घर लौटे और मेरे मैसेज का जवाब दें, पर शायद ईश्वर को कुछ और मंजूर था और बिना जवाब दिए ही वह हमें छोड़ कर चले गए।

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