छावनी में पांच सदस्यों का लगा 'जनता दरबार'

छावनी परिषद में उपाध्यक्ष समेत पांच सदस्यों ने सोमवार से जनता दरबार शुरू किया है। हर रोज एक घंटे वह लोगों की समस्याओं को सुनेंगे और उनके निराकरण का प्रयास करेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 01:40 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 01:40 AM (IST)
छावनी में पांच सदस्यों का लगा 'जनता दरबार'
छावनी में पांच सदस्यों का लगा 'जनता दरबार'

मेरठ, जेएनएन। छावनी परिषद में उपाध्यक्ष समेत पांच सदस्यों ने सोमवार से जनता दरबार शुरू किया है। हर रोज एक घंटे वह लोगों की समस्याओं को सुनेंगे और उनके निराकरण का प्रयास करेंगे। हालांकि इस तरह के दरबार से तीन सदस्यों की दूरी बरकरार है। आठ सदस्यों में सात सदस्य भाजपा के होने के बाद भी छावनी में अब गुटबाजी तेज हो गई है।

छावनी परिषद के मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल चार महीने शेष है। ऐसे में इस तरह से जनता की समस्याओं को सुनने के लिए दरबार लगाने के कई राजनीतिक मायने हैं। सोमवार को उपाध्यक्ष बीना वाधवा, वार्ड एक की सदस्य रिनी जैन, चार के सदस्य नीरज राठौर और पांच के सदस्य अनिल जैन के अलावा वार्ड दो की सदस्य बुशरा कमाल के पति अजमल कमाल छावनी में पहुंचे। अलग-अलग वार्ड के करीब 10 से 15 लोग एक घंटे में आए। इसमें से अधिकांश की हाउस टैक्स बढ़ने, जलभराव, रिपेयरिग की समस्या थी। उपाध्यक्ष और सदस्यों ने उनसे लिखित में प्रार्थना पत्र लेकर तीन दिन में समस्या का समाधान करने का आश्वासन भी दिया है। उधर, छावनी में इस जनता दरबार से वार्ड छह की सदस्य मंजू गोयल, वार्ड सात के सदस्य धर्मेंद्र सोनकर और आठ के सदस्य व पूर्व उपाध्यक्ष विपिन सोढ़ी दूर रहे। जो पार्टी में सबका साथ और सबका विकास के साथ चलती है। वह छावनी में सदस्यों की गुटबाजी की वजह से एक तरह से अलग-अलग चल रही है। संगठन को सदस्यों ने दी सफाई : छावनी परिषद में विपिन सोढ़ी को उपाध्यक्ष पद से हटाने में शामिल भाजपा के चार सदस्यों ने सोमवार को अपनी सफाई दी। इसमें उन्होंने जनहित का हवाला देते हुए पार्टी के हित में कार्य करने की बात की।

छावनी परिषद में आठ वार्ड है। वार्ड दो को छोड़कर सभी भाजपा समर्थित सदस्य हैं। बावजूद पिछले महीने वार्ड एक, तीन, चार और पांच के सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर उपाध्यक्ष की कुर्सी से विपिन सोढ़ी को हटा दिया। अब वार्ड तीन की सदस्य बीना वाधवा उपाध्यक्ष बनी हैं। पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव के बाद भी विपिन सोढ़ी को अपना उम्मीदवार तय किया था। इस पूरे प्रकरण की भाजपा की चार सदस्यीय समिति जांच कर रही है। सोमवार को दोपहर दो बजे बीना वाधवा, रिनी जैन, नीरज राठौर, अनिल जैन पार्टी कार्यालय में कमेटी के सामने अपना पक्ष रखा। कमेटी के अध्यक्ष रितुराज ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के विषय में पूछा। सदस्यों ने अपनी सफाई में कहा कि छावनी में जनहित के मुद्दे, मोबाइल टावर, म्यूटेशन, एनओसी कोई भी काम नहीं हो रहा था। विपिन सोढ़ी कार्यकर्ताओं से मिलते भी नहीं थे, मानसिक रूप से त्रस्त होकर उन्होंने यह कदम उठाया। उनका यह भी कहना था कि 90 दिन में वह कार्य करके दिखाएंगे। फिर भी कार्यकाल में कोई कमी रहती है तो संगठन का निर्णय सर्वोपरि है। कैंट एक्ट का हवाला देते हुए उन्होंने यह भी बताया कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के 90 दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति फिर से उपाध्यक्ष के चुनाव में शामिल नहीं हो सकता है।

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