फिटनेस मंत्र : सुबह-शाम टहलने की आदत रखता है तनाव को दूर, जानिए- और क्‍या कहती हैं मेरठ की डा. अंजुला

अंजुला बताती हैं कि सुबह और शाम टहलने की आदत बनी। सुबह प्राकृतिक वातावरण में टहलने से और योग अभ्यास करने से दिन भर ताजगी बनी रहती है और तनाव भी दूर रहता है। किसी भी कार्य को करने में सकारात्म्क ऊर्जा बनी रहती है मन भी प्रसन्न रहता है।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 09:09 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 09:09 AM (IST)
फिटनेस मंत्र : सुबह-शाम टहलने की आदत रखता है तनाव को दूर, जानिए- और क्‍या कहती हैं मेरठ की डा. अंजुला
मेरठ की अंजुला से जाने फिट रहने के तरीके।

मेरठ, जेएनएन। लोगों ने अपनी दिनचर्या में योग, ध्यान और प्राणायाम को शामिल किया। जिससे वह अपनी सेहत को सही रखने के साथ तनाव से भी दूर रहे। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने बचपन से ही फिट रहने का गुर सीख लिया। जिसकी वजह से खुद को कई बीमारियों से बचाव कर पाए। आरजी पीजी कालेज की कैप्टन डा. अंजुला राजवंशी बताती हैं कि जब वह पांच साल की थीं तभी से अपने परिवार के वरिष्ठ लोगों के साथ हर दिन व्यायाम और ध्यान करती थीं। जिससे शरीर व मन को स्वस्थ रखने संबंधित मुद्राएं की जाती थी।

सुबह शाम टहलने की आदत

अंजुला बताती हैं कि उन्होंने कुछ व्यायाम की मुद्राएं स्कूल और अपने मामा भारत भूषण मित्तल से सीखा। जो केंद्रीय विद्यालय में खेल के प्रशिक्षक रहे। उनकी वजह से सुबह और शाम टहलने की आदत बनी। सुबह प्राकृतिक वातावरण में टहलने से और योग अभ्यास करने से दिन भर ताजगी बनी रहती है और तनाव भी दूर रहता है। किसी भी कार्य को करने में सकारात्म्क ऊर्जा बनी रहती है, मन भी प्रसन्न रहता है। बकौल अंजुला मैं अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य की आभारी हूं। जिन्होंने बचपन से ही शरीर व मन को स्वस्थ रखने का तरीका बताया। वह बताती है कि अपने पैतृक घर में लगे पौधों के बीच में व्यायाम करने से प्रकृति के करीब होने का एहसास रहता है।

खुद को सक्रिय रखें

अंजुला राजवंशी कहती हैं कि स्वस्थ रहने के लिए केवल शारीरिक अभ्यास ही पर्याप्त नहीं है, आंतरिक और बाहरी रूप से खुद को मजबूत करने के लिए सकारात्मक सोच भी जरूरी है। साथ ही खान- पान और समय से उठना और सोना भी जरूरी है। सुबह उठने के बाद थोड़ी देर टहलते हुए पेड़ पौधों को भी देखना किसी अभ्यास से कम नहीं है। इससे एक सुखद एहसास भी होता है। खुद को हम प्रकृति के करीब भी महसूस करते हैं। 

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