यूरिया का संकट गहराया तो किसानों ने लिया नैनो यूरिया का सहारा, किसानों के लिए बढ़ी ये परेशानी
इस समय यूरिया की किल्लत हो रही हैं। जिससे किसान आए दिन सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन वहां पर पर्याप्त यूरिया नहीं मिल रहा है। फलस्वरुप कुछ किसान यूरिया निजी दुकानों से भी ब्लैक में खरीद रहे हैं।
सहारनपुर, जेएनएन। इस समय यूरिया की किल्लत हो रही हैं। जिससे किसान आए दिन सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन वहां पर पर्याप्त यूरिया नहीं मिल रहा है। फलस्वरुप कुछ किसान यूरिया निजी दुकानों से भी ब्लैक में खरीद रहे हैं। लेकिन दुकानदार उनको यूरिया के साथ अन्य दवाइयां भी उनको दे रहे हैं। जिससे किसान की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।
पहले डीएपी अब यूरिया की किल्लत से किसान अब नैनो यूरिया की ओर आ रहे है। नैनो यूरिया का प्रयोग करने वाले किसान रामनिवास, रजत व सलीम,संजय आदि का कहना है कि यूरिया न मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन उसके विकल्प के रूप में नैनो यूरिया भी अच्छा कारगर साबित हो रहा है।उन्होंने बताया कि आलू की फसल में छिड़काव करने से चार दिन बाद ही फसल में बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई है। जिससे नैनो यूरिया अच्छा हैं।
बता दें किसान 45 किलो का बैग डालते थे। अब वह मात्र ढाई सौ ग्राम नैनों की बोतल से पांच बीघे में स्प्रे के माध्यम से खेत मे छिड़काव कर रहे हैं।पेस्टिसाइड विक्रेता मनीष गर्ग व ओमप्रकाश गर्ग ने बताया कि नैनो यूरिया की मांग बढ़ रही है।किसान भी इसको अच्छा बताने लगे हैं।निजी कम्पनी के कृषि विशेषज्ञ गुरुदास सिंह का कहना है कि नैनो यूरिया फसलों को तुरंत ताकत देता है।और सौ फीसदी फसलों में काम करता है।
लेकिन 50 किलो का बैग उतना काम नही करता है।वही किसानों को भारी भरकम वजन से भी निजात मिलती हैं। वहीं पर यूरिया से पर्यावरण व जमीनों पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। जो नुकसानदेह साबित हो रहा है।जिससे किसानों के लिए नैनो यूरिया बहुत ही लाभकारी है। क्षेत्र में आलू किसान इसका प्रयोग करने लगे हैं।