फसल विविधीकरण और इन कृषि प्रणालियों से दुगनी आय कमा सकते हैं मेरठ के किसान
खेती के अतिरिक्त अन्य कार्य से पिगरी पोल्ट्री मधुमक्खी पालन रेशम कीट पालन मछली पालन मशरूम उत्पादन एक दूसरे के पूरक हैं । इनको करने से किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी और उत्पादन लागत में कमी आएगी ।
मेरठ, जेएनएन। परंपरागत फसलों से जहां कम आमदनी होती है। अन्नदाता को अगर अपनी आय बढ़नी है तो उन्हें नए प्रयोग करने होंगे। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरएस सेंगर ने बताया कि सब्जी, फलों, मसालों, औषधीय और सुगंधित फसलों की खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
खेती के अतिरिक्त अन्य कार्य से पिगरी, पोल्ट्री, मधुमक्खी पालन, रेशम कीट पालन, मछली पालन, मशरूम उत्पादन एक दूसरे के पूरक हैं। इनको करने से अतिरिक्त आमदनी होगी और उत्पादन लागत में कमी आएगी। इसके अवशेष खाद के रूप में प्रयोग किए जा सकते हैं। डा. सेंगर ने बताया कि वैज्ञानिक तरीके अपनाकर कम लागत में अधिक पैदावार ली जा सकती है त्वरित लाभ की लालसा में कृषकों को अंधाधुंध रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से बचना चाहिए। इससे मृदा की उपजऊ क्षमता कम होती है और प्रदूषण का भी कारण बनते हैं। बदलते परिवेश में जरूरी है कि ऐसी टिकाऊ खेती करें जिसमें उपलब्ध सीमित संसाधनों का प्रयोग करके उत्तम गुणवत्ता वाला अधिक उत्पादन हो। डा. सेंगर ने कहा कि तभी अंतरराष्ट्रीय बाजार पर हमारी पकड़ मजबूत होगी। हमें उत्पादों की अच्छी कीमत मिलेगी।