यूपी के शुगर बाउल में स्‍ट्रॉबेरी की दस्तक, गन्ने को छोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं मेरठ के क‍िसान

मेरठ में खेती किसानी अब केवल गन्ने व सब्जियों तक ही सीमित नहीं रह गई है। यहां की पहचान परंपरागत के साथ उद्यान संबंधी खेती से भी हो रही है। माछरा ब्लाक के किसान सेवाराम से जानिए गन्ने को छोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती से कैसे मिला लाभ।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Tue, 12 Jan 2021 02:04 PM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 02:04 PM (IST)
यूपी के शुगर बाउल में स्‍ट्रॉबेरी की दस्तक, गन्ने को छोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं मेरठ के क‍िसान
मेरठ में स्ट्रॉबेरी की शानदार खेती ।

मेरठ, [विनय विश्वकर्मा]। गन्ने की खेती अधिक होने के कारण वेस्ट यूपी की बेल्ट को शुगर बाउल कहा जाता है। लेकिन समय के साथ मेरठ की परपंरागत खेती में बदलाव देखने को मिल रहा है। मेरठ में खेती किसानी अब केवल गन्ने व सब्जियों तक ही सीमित नहीं रह गई है। यहां की पहचान परंपरागत के साथ उद्यान संबंधी खेती से भी हो रही है। माछरा ब्लाक के अमरपुर निवासी किसान सेवाराम ने एक एकड़ में स्ट्रॉबेरी की शानदार खेती की शुरूआत की है। महाराष्ट्र में हिल स्टेशन के नाम से प्रसिद्ध महाबलेश्वर से सेवाराम ने 16 हजार पौधे लाकर स्ट्राबेरी की खेती शुरू की थी। खास बात यह भी है कि वह स्ट्राबेरी की खेती में ड्रिप यानि टपक सिंचाई विधि को अपना रहे हैं। वह जल संरक्षण के साथ स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। पिछले छह माह की फसल में उन्हें स्ट्राबेरी से अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है। खेती किसानी के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है जब मेरठ समेत वेस्ट यूपी को गन्ने के लिए देशभर में जाना जाता है।

सितंबर में बुआई, नवंबर में पक गई स्ट्रॉबेरी

सेवाराम का कहना है कि सितंबर 2020 में उन्होंने विंटर डाउन प्रजाति की स्ट्रॉबेरी की पौध लगाई थी। फसल की बुआई में उनकी करीब दो लाख की लागत आई। उन्होंने बताया कि ठंड के सीजन में प्रत्येक चौथे-पांचवें दिन स्ट्रॉबेरी तोड़कर बाजार ले जाते हैं। पैकेट में पैकिंग करने के बाद वह दिल्ली रोड स्थित नवीन मंडी में लेकर जाते हैं। जहां पर अच्छा दाम मिल रहा है। इसके अलावा उनका कहना है कि यदि बड़े पैमाने पर उत्पादन हो तो दिल्ली की मंडी में भी जा सकते हैं।

गन्ने से बेहतर स्ट्रॉबेरी की खेती : सेवाराम

गन्ने की अपेक्षा बेहतर आमदनी

अन्य किसानों की तरह सेवाराम भी गन्ने की खेती करते थे। लेकिन पिछले साल ही अचानक उनका मन बदला और उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने की ठानी। सेवाराम का कहना है कि यदि एक एकड़ की लागत और आमदनी का हिसाब लगाया जाए, तो स्ट्रॉबेरी में औसतन अधिक आमदनी निकलकर आ रही है। स्ट्रॉबेरी का सीजन अभी चालू है। मार्च तक फसल का उत्पादन जारी रहेगा।

इन्‍होंने बताया...

मेरठ के किसानों का रूख बागवानी संबंधी खेती की तरफ तेजी से बदल रहा है। सेवाराम को सरकारी योजना के तहत टपक सिंचाई के अंतर्गत अनुदान भी दिया गया है। स्ट्रॉबेरी की मांग मेरठ से लेकर दिल्ली की सभी मंडियों में है। मेरठ में फल और फूल की खेती करने वाले किसान अच्छा मुनाफा ले रहे हैं।

- आरएस राठौर, जिला उद्यान अधिकारी, मेरठ

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