बुलंदशहर में स्ट्राबेरी से चमक रही युवाओं की किस्मत, तीन माह की फसल से तीन लाख की बचत
बुलंदशहर में लहरायी अमेरिका के कैलिफोर्निया में विकसित स्ट्राबेरी। पारंपरिक खेती को अलविदा कहकर जिले के दो भाइयों ने स्ट्राबेरी की खेती की शुरु की। तीन माह में फसल से एक बीघा में तीन लाख रुपये की बचत।
बुलंदशहर, [राजू मलिक]। प्रदेश में खेती-किसानी के बलबूते बुलंदशहर कृषि प्रधान जिला बन गया है। पारंपरिक खेती को अलविदा कहकर जिले के दो भाइयों ने स्ट्राबेरी की खेती की शुरु की। दो वर्षो मेहनत के बाद अनूपशहर क्षेत्र में खेती का तरीका ही बदल गया है। तीन माह में कम लागत में उत्पादन होने वाली स्ट्राबेरी अब अन्य फसलों से आठ से दस गुणा लाभ दे रही है। दोनों भाइयों के मार्गदर्शन में क्षेत्र में करीब 85 बीघा जमीन में अब स्ट्राबेरी की फसल लहलहा रही है।
अनूपशहर क्षेत्र के गांव बगसरा निवासी प्रमोद पूर्व में गेहूं, गन्ना, मक्का और दलहन की खेती करते थे। लागत और मेहनत के बाद भी परंपरागत खेती से लाभ नहीं मिल पाया। प्रमोद बताते है, 2019 में एक परिचित ने स्ट्रॉबेरी की खेती की सलाह दी। लखनऊ के व्यापारी से संपर्क कर स्ट्रॉबेरी की कैमारोजा प्रजाति की पौध कैलिफोर्निया से उन्होंने मंगाई। पूणो के सतारा जिले से अन्य प्रजाति का एक पौधा आठ रुपये में मंगाया। अक्टूबर माह में पौध की रोपाई की। गोबर और जैविक खाद का इस्तेमाल किया। रोपाई के 25 दिन बाद पौधों के नीचे पॉलीथिन बिछा दी, जिससे फल मिट्टी से बचे रहे।
अब तीन गांवों में लहलहाती है स्ट्राबेरी की फसल
प्रमोद और उनकी छोटे भाई बिट्टू बगसरा में स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। गांव खबासपुर, ताल विवियाना में भी युवाओं ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की है। अनूपशहर के इन गांवों में करीब 85 बीघा जमीन में स्ट्राबेरी लहलहा रही है। एक बीघा में प्रतिदिन 250 ग्राम के 20 डिब्बे तक स्ट्राबेरी निकल रही है। जिन्हें दिल्ली के आजादपुर मंडी में भेजा जाता है। एक किलो स्ट्रोबेरी की कीमत 400 से 500 रुपये प्रति किलो का भुगतान प्राप्त होता है।
कैमारोजा कम समय में देती है फसल
कैमारोजा अमेरिका के कैलिफोर्निया में विकसित स्ट्राबेरी की प्रजाति है। यह कम समय में फल देती है। मिठास अच्छी होने से यह विषाणुरोधी भी है। कैमारोजा के साथ-साथ ¨वटाडोल, एसए स्वीटेंस प्रजापति की भी यहां बोयी जा रही है।
अनूपशहर क्षेत्र में 85 बीघा जमीन में स्ट्राबेरी की फसल का उत्पादन हो रहा है। उद्यान विभाग डिप सिंचाई योजना से किसानों को 80 फीसद अनुदान दे राही है।
- अभिषेक पांडेय, सीडीओ