हर वर्ष 20 करोड़ साफ, फिर भी गंदे हैं गांव
स्वच्छ भारत अभियान पर केंद्र और राज्य सरकार भारी-भरकम बजट खर्च कर रही हैं।
मेरठ : स्वच्छ भारत अभियान पर केंद्र और राज्य सरकार भारी-भरकम बजट खर्च कर रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र में तैनात सफाई कर्मियों के वेतन पर ही हर वर्ष करीब 20 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। गांवों को स्वच्छ रखने के लिए सरकार ने कई योजनाएं और अभियान चला रखे हैं। स्वच्छ गांव के रूप में बड़ा अभियान शुरू किया गया है। कई गांवों के विकास की कार्ययोजना में स्वच्छता पर हर वर्ष 25 से 30 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट भी खर्च हो रहा है। इसके बावजूद अफसरों की मिलीभगत के चलते जिले का कोई भी गांव हाल ही में हुए स्वच्छता सर्वेक्षण की शर्ताें पर खरा नहीं उतर सका है।
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अफसरों का खाना बना रहे सफाई कर्मी
विभागीय सूत्रों के अनुसार विकास विभाग के साथ प्रशासनिक अधिकारियों के यहां करीब 30 सफाई कर्मियों को तैनात किया गया। खाना बनाने से लेकर सफाई तक का जिम्मा ग्रामीण सफाई कर्मचारी का है। ---------
'नौकर' से करा रहे हैं सफाई
पिछले दिनों जिला पंचायत राज में पहुंची एक शिकायत में उजागर हुआ कि जिले में करीब तीन दर्जन सफाई कर्मियों ने अपनी जगह नौकर रखे हुए हैं। इन्हें पांच से सात हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता है।
माननीय के गांव भी बेहाल
सांसदों के गोद लिए गांवों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। राज्यसभा सदस्य मुनकाद अली का गोद लिया गांव बहरोड़ा की गलियां भी कीचड़ से भरी हुई हैं। सांसद राजेंद्र अग्रवाल के गांव भगवानपुर के रास्ते तो पक्के हैं, लेकिन गंदगी के ढ़ेर यहां भी हैं।
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जिले की स्थिति
479 - कुल ग्राम पंचायत
602 - राजस्व गांव
712 - कुल सफाई कर्मियों के पद
607 - तैनात सफाई कर्मी
25,000 - एक कर्मी का वेतन
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इन्होंने कहा ..
जिले में सफाई का रोस्टर जारी होने के कारण दर्जन भर सफाई कर्मियों की टीम बनाकर एक गांव की सफाई में लगाया गया। इसके चलते कई कर्मी अपने गांव नहीं जा सके। सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराई जाएगी।
-ब्रहमचारी दूबे, जिला पंचायत राज अधिकारी