राकेश टिकैत के परिवार से मिल‍िए, जानें किसान आंदोलन में क‍िस सदस्‍य की क्‍या-क्‍या रही भूमिका

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत करीब 10 माह से सिसौली स्थित अपने आवास पर नहीं आए हैं। वही राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत का भी दिल्ली सिसौली और मुजफ्फरनगर समेत आसपास के जनपदों में आए दिन जाना लगा रहता है।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 04:48 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 09:36 AM (IST)
राकेश टिकैत के परिवार से मिल‍िए, जानें किसान आंदोलन में क‍िस सदस्‍य की क्‍या-क्‍या रही भूमिका
आंदोलन के प्रति समर्पित है टिकैत परिवार।

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। कृषि कानूनों के विरोध समेत किसानहित से जुड़ी अन्य मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन आंदोलनरत है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत करीब 10 माह से सिसौली स्थित अपने आवास पर नहीं आए हैं। वही राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत का भी दिल्ली, सिसौली और मुजफ्फरनगर समेत आसपास के जनपदों में आए दिन जाना लगा रहता है।

बालियान खाप के चौधरी होने के नाते वह बेहद व्यस्त रहते हैं। ऐसे में परिवार समेत खेत-खलियान की जिम्मेदारी परिवार के दूसरे सदस्यों पर आ गई है। इन सब के बावजूद पूरा परिवार किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाता है। घर की महिलाएं और युवा समय-समय पर आंदोलन को गति देने का कार्य करते हैं।

भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत के भाई चौधरी नरेंद्र सिंह टिकैत बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेकर बहुत अच्छा कार्य किया है। किसान इस फैसले से खुश है, लेकिन पूरी खुशी तभी मिलेगी जब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनेगा। इसके साथ ही किसानों की अन्य मांगे भी पूरी होनी चाहिए। गेहूं की फसल पर सालों से किसान को लागत भी वसूल नहीं हो रही है। एमएसपी पर कानून बनने से किसानों को इस फसल पर इस फसल पर भी मुनाफा मिलेगा। वह बताते हैं कि दो भाइयों के आंदोलन में शामिल होने के चलते खेत-खलियान की जिम्मेदारी वह संभालते हैं। वही दूसरे भाई सुरेंद्र सिंह टिकैत नौकरी करने के साथ ही किसान आंदोलन में सक्रिय रहते हैं।

परिवार के दोनों बड़े बेटे गौरव टिकैत और चरण सिंह टिकैत सिसौली और दिल्ली के बीच सेतु का कार्य करते हैं। दोनों आंदोलन में सक्रिय रहने के साथ ही परिवार की जरूरतों का ध्यान रखते हैं। घर की सभी महिलाएं आंदोलन को लेकर फिक्रमंद रहती हैं। उनकी भाभी सुनीता बालियान समेत परिवार की अन्य महिलाएं दिल्ली बॉर्डर पर कई दफा गई है। किसानों को यह जीत सभी की सक्रिय भागीदारी से मिली है।

आंदोलन के करीब 10 माह के दौरान महिलाओं ने घर का कामकाज देखने के साथ दूसरे कार्यों की जिम्मेदारी संभाली। साथ ही आंदोलन को गति देने का कार्य भी किया है। गाजीपुर बॉर्डर पर जाकर आंदोलनकारी किसानों के लिए भोजन बनाया। इसे ईश्वरीय वरदान ही कहेंगे कि टिकैत परिवार की रगों में संघर्ष के साथ आंदोलन का जुनून है।

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