निगम और सिचाई विभाग के अभियंता तलब
जिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद सिचाई विभाग के गंगनहर खंड तृतीय के अभियंताओं ने मंगलवार को कसेरूखेड़ा नाले की दीवार का निर्माण रुकवा दिया।
मेरठ, जेएनएन। जिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद सिचाई विभाग के गंगनहर खंड तृतीय के अभियंताओं ने मंगलवार को कसेरूखेड़ा नाले की दीवार का निर्माण रुकवा दिया। डीएम ने सिचाई विभाग और नगर निगम के अभियंताओं को तलब कर लिया है।
मंगलवार को कसेरूखेड़ा स्थित आबूनाला दो की दीवार का निर्माण कार्य सिचाई विभाग के गंगनहर खंड तृतीय के इंजीनियरों ने रुकवा दिया था। ठेकेदार ने नगर निगम के अवर अभियंता अनुज कुमार को जानकारी दी। अवर अभियंता ने मामले के निस्तारण के लिए पहले चीफ इंजीनियर निर्माण यशवंत कुमार से बात की और नगर आयुक्त को अवगत कराया। सिचाई विभाग के सहायक अभियंता का कहना है कि आबूनाला दो के आंतरिक भाग में निर्माण के लिए अनुमति लेनी जरूरी है। बिना सिचाई विभाग की अनुमति के नगर निगम द्वारा कराए जा रहे निर्माण को अवैध माना जाएगा। इसके चलते ठेकेदार ने काम रोक दिया है। मालूम हो कि गत दिनों निरीक्षण किया था और यथाशीघ्र निर्माण पूरा कराने का निर्देश दिया था। इस पर ठेकेदार ने काम शुरू किया था। जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने कहा कि दोनों विभागों के अभियंताओं को बुलाया है। समस्या दूर कर निर्माण शुरू कराया जाएगा। जलभराव की कौन लेगा जिम्मेदारी
बारिश में कसेरूखेड़ा नाले का पानी बैक होकर डिफेंस कालोनी, मीनाक्षीपुरम और कसेरूखेड़ा में जलभराव होता है। रोड पटरी पर आवागमन होने से दुर्घटना का खतरा रहता है। इसी समस्या के निदान को नगर निगम आरसीसी दीवार का निर्माण करा रहा है। सिचाई विभाग के अडंगे से दीवार का काम रुक गया है। काम रुकने से बारिश में जलभराव होना तय है। निर्माण को लेकर नगर निगम और सिचाई विभाग आमने-सामने हैं। इनका कहना है कि..
-आबूनाला दो के प्रबंधन का दायित्व जब नगर निगम के पास है। खतौनी में राज्य सरकार की संपत्ति है। सिचाई विभाग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं। इस समस्या का समाधान सिचाई विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में निकाला जाएगा। मामले से जिलाधिकारी को अवगत कराया है।
डा. अरविद चौरसिया नगर आयुक्त।
--------------- - नगर निगम ने अभी तक अनुमति नहीं ली है। न ही जिलाधिकारी कार्यालय से नाले में दीवार के निर्माण के संबंध में कोई निर्देश प्राप्त हुआ है। नाले के आंतरिक भाग में निर्माण के लिए सिचाई विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है।
आशुतोष सारस्वत, अधिशासी अभियंता, गंगनहर इकाई।