मेरठ में कई कालोनियों में बिजली आपूर्ति गड़बड़ाई, पानी को तरसे लोग, पुरानी मोहनपुरी में पाइपलाइन टूटी

मेरठ शहर की कई निजी कालोनियां में सोमवार को पेयजल की समस्या रही। ओवरहेड टैंक में पानी नहीं भरा जा सका। स्थानीय लोगों को पेयजल के लिए समस्या का सामना करना पड़ा। उधर वार्ड 32 स्थित मानसरोवर व मनोरंजन पार्क में दूषित व दुर्गंध युक्त पेयजल से लोग परेशान हैं।

By Parveen VashishtaEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 11:31 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 11:31 PM (IST)
मेरठ में कई कालोनियों में बिजली आपूर्ति गड़बड़ाई, पानी को तरसे लोग, पुरानी मोहनपुरी में पाइपलाइन टूटी
मेरठ के पुरानी मोहनपुरी में खोदाई की तस्वीर जिससे पेयजल पाइप लाइन टूट गई।

मेरठ, जागरण संवाददाता। शहर की कई निजी कालोनियां सोमवार को पेयजल को तरस गईं। ऐसी कालोनियों में बिजली आपूर्ति तीन से चार घंटे तक ठप रही। ऐसे में कालोनी के ओवरहेड टैंक में पानी नहीं भरा जा सका। इसकी वजह से उन कालोनी के लोगों को स्थानीय पेयजल आपूर्ति के तहत पानी नहीं मिल सका। लोगों को वैकल्पिक उपाय करने पड़े।

पुरानी मोहनपुरी में पाइपलाइन टूटी, टैंकर से हुई व्यवस्था

पुरानी मोहनपुरी में पेयजल पाइप लाइन टूट गई है। रविवार को खोदाई के दौरान पाइप लाइन टूटी थी। इसकी वजह से पेयजल आपूर्ति ठप हो गई। सोमवार को पूरे दिन आपूर्ति नहीं हो सकी। यहां पर स्थानीय लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम की ओर से टैंकरों की व्यवस्था की गई।

समस्या पर पार्षद ने लिखा पत्र

वार्ड 32 स्थित मानसरोवर व मनोरंजन पार्क में दूषित व दुर्गंध युक्त पेयजल आ रहा है। इस समस्या को लेकर मनोनीत पार्षद सौरभ गौड़ ने नगर निगम के जलकल अनुभाग के महाप्रबंधक को पत्र लिखा है। इसमें बताया है कि कालोनी में कई स्थानों पर पाइप लाइन टूटी हुई है। इसी में सीवर लाइन का पानी जा रहा है। उन्होंने कहा कि कालोनी की प्रत्येक लाइन की विधिवत निरीक्षण करके समस्या का समाधान कराया जाए।

गैर हस्तांतरित सरकारी-निजी कालोनियों और सरकारी आवासीय परिसरों में स्ट्रीट लाइट नहीं लगाएगा निगम

मेरठ। नगर निगम की अपील पर अगर नगर विकास विभाग, स्थानीय निकाय निदेशालय ने सहमति दे दी तो शहर की बहुत सी कालोनियों में अंधेरा छाया रहेगा या फिर वहां रह रहे लोगों को पथ प्रकाश के लिए अलग से शुल्क एकत्र करके खुद की व्यवस्था करनी होगी। नगर निगम में एक ऐसा पत्र जारी हुआ है जो अब निदेशालय तक जाएगा। इस पत्र का मतलब यह है कि नगर निगम अब ऐसी तैयारी कर रहा है कि जो कालोनियां नगर निगम को हस्तांतरित नहीं हैं, उनमें नगर निगम स्ट्रीट लाइट नहीं लगवाएगा। यही नहीं जो भी सरकारी विभाग के कार्यालय परिसर व आवासीय परिसर हैं वहां भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगवाएगा। बिल का बोझ बढ़ते जाने से नगर निगम के पथ प्रकाश अनुभाग ने नगर आयुक्त से ऐसा करने की अपील की। नगर आयुक्त को यह अपील पसंद आई। अब उन्होंने इस अपील का विस्तृत पत्र निदेशालय को भेजने का निर्देश दिया है ताकि वहां से दिशा-निर्देश प्राप्त हो सके।

पार्षदों-नेताओं के संरक्षण से जल रही हैं लाइटें

वार्डों में आने की वजह से गैर हस्तांतरित कालोनियों में स्ट्रीट लगाने का प्रस्ताव पार्षद व अन्य नेता भेजते रहे हैं। जिससे वहां लाइटें लग जाया करती थीं। लेकिन अब नगर निगम ऐसा नहीं करेगा। नगर निगम का यह मानना है कि जो कालोनियां एमडीए या आवास विकास से स्वीकृत हैं तो उनमें ऐसी व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी संबंधित विभाग देखे या फिर उन कालोनियों को नगर निगम को हस्तांतरित की जाएं।

ईईएसएल लिखा होने से निगम के खाते में जाता है बिल

नगर निगम के लिए शहर में कहीं भी स्ट्रीट लाइट ईईएसएल कंपनी लगाती है। ऐेसे में किसी निजी कालोनी या सरकारी परिसर में स्ट्रीट लगाने से उसका बिल भी नगर निगम के खाते में जोड़ दिया जाता है। जबकि कालोनियों का बिल कालोनी के संचालक व सरकारी परिसर का बिल संबंधित सरकारी विभाग को चुकाना चाहिए।

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