मेरठ के खड़ौली प्राइमरी स्कूल में शिक्षा तो दूर बच्चों को खेलना भी है बंद, अभिभावक भी स्कूल भेजने से डर
मेरठ स्कूल परिसर के सामने खेल मैदान में एक महीने से है जलभराव हादसे का इंतजार। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कर रहे गुरेज बच्चों का खेलना भी बंद। शुक्रवार को 700 बच्चों में से सिर्फ 70-80 बच्चे ही स्कूल आ सके।
मेरठ, जेएनएन। कंकरखेड़ा के हाईवे स्थित खड़ौली गांव के प्राइमरी स्कूल में बच्चों का शिक्षित होना तो दूर, वहां जान के लाले पड़े हुए हैं। स्कूल परिसर के बाहर खेल मैदान में एक महीने से जलभराव है। बच्चों का खेलकूद भी बंद हो चुका है। गांव और बरसात का पानी मैदान में दो फिट तक भरा हुआ है। अभिभावक अपने नौनिहालों को स्कूल भेजने में डर रहे हैं। जिला प्रशासन, बीएसए व नगर निगम अफसरों को जलभराव की जानकारी है, मगर सिस्टम सिर्फ आश्वासन देने में लगा है। शुक्रवार को 700 बच्चों में से सिर्फ 70-80 बच्चे ही स्कूल आ सके।
यह है मामला
खड़ौली गांव के प्राइमरी स्कूल में सात अध्यापक करीब सात सौ बच्चों को पढ़ाती हैं। स्कूल के सामने बच्चों को खेलने के लिए लंबा चौड़ा मैदान है। मगर, फिलहाल यह मैदान क्रीड़ा स्थल की बजाए तालाब बन चुका है। करीब एक महीने से मैदान में जलभराव होने के कारण पानी सड़ चुका है। मक्खी मच्छर पैदा हो रहे हैं। स्कूल के बच्चों को ही नहीं, बल्कि गांव के घरों तक भी सड़े पानी की बदबू पहुंचती है। स्थानीय भाजपा पार्षद रेनू सैनी कई बार जिला प्रशासन और नगर निगम से जलभराव का निस्तारण कराने की मांग कर चुकी हैं, मगर हालात तस हैं। पार्षद रेनू सैनी ने बताया कि सड़े पानी की बदबू और किसी अनहोनी को ध्यान में रखते हुए अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने में कतराते हैं। आरोप है कि पूरे सिस्टम की लापरवाही के कारण कोई हादसा न हो जाए।
सिर्फ पानी के टेंकरों में भरकर नालों में बहाया जा सकता है पानी
पार्षद रेनू सैनी ने बताया कि स्कूल के मैदान में जलभराव को निकालने का कोई साधन नहीं हैं। आसपास कोई नाला अथवा नाली नहीं है, जिसमें इंजन से पानी को खींचकर बहाया जा सके। पास के खेत में भी किसान पानी नहीं बहाने देंगे। मगर, कई इंजनों को लगाकर उसकी मदद से पानी के टैंकरों में भरकर दूर नाले में पानी को बहाकर व्यवस्था बनाई जा सकती है। मगर, नगर निगम इसको भी करने के लिए तैयार नहीं है।