Terror Of Sultana: सुल्ताना डाकू की दहशत में अंग्रेजों ने रखी थी सहारनपुर में कई थानों की नींव, पढ़िए यह रिपोर्ट

अंग्रेजी शासन काल में सहारनपुर जिला उत्तराखंड के देहरादून हरिद्वार और रुड़की तक था। एक तरफ आजादी के दीवाने देश को आजाद कराने में लगे हुए थे। दूसरी तरफ डाकू सुल्ताना ने अंग्रेजों की नाक में दम किया हुआ था।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 06:02 AM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 06:02 AM (IST)
Terror Of Sultana: सुल्ताना डाकू की दहशत में अंग्रेजों ने रखी थी सहारनपुर में कई थानों की नींव, पढ़िए यह रिपोर्ट
वर्ष 1912 में अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया चिलकाना थाना।

सहारनपुर, सर्वेंद्र पुंडीर। एक समय में अंग्रेजी शासनकाल में सहारनपुर जिला हरिद्वार और देहरादून तक हुआ करता था। उस समय अपराध भी खूब होते थे। इतिहास के दस्तावेज बताते हैं कि अंग्रेजी शासन में जिस समय डाकू सुल्ताना का पश्चिम उत्तर प्रदेश में आतंक बढ़ गया तो अंग्रेजी अफसरों ने सहारनपुर जिले में कई थानों की नींव रखी। इसके बाद जनरल फ्रेडरिक यंग ने सुल्ताना डाकू को गिरफ्तार किया और आगरा जेल में उसे फांसी दी गई थी।

सहारनपुर में था सुल्ताना का आतंक

दरअसल, अंग्रेजी शासन काल में सहारनपुर जिला उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार और रुड़की तक था। वर्ष 1900 से लेकर 1915 तक पश्चिम उत्तर प्रदेश में कई अपराधिक बदमाशों का खौफ था। एक तरफ आजादी के दीवाने देश को आजाद कराने में लगे हुए थे। दूसरी तरफ डाकू सुल्ताना ने अंग्रेजों की नाक में दम किया हुआ था। नजीबाबाद के किले में उसने अपना डेरा जमाया हुआ था, सहारनपुर में भी उसका आतंक बरप रहा था। अंग्रेजी हुकुमत ने बिहारीगढ़, मिर्जापुर, नकुड़, गंगोह कोतवाली, नगर कोतवाली, देहरादून कोतवाली, हरिद्वार कोतवाली, रुकड़ी थाने की नींव रखी। इतिहास के जानकार रिटायर प्रोफेसर बलबीर सिंह बताते हैं कि अंग्रेजों ने यहां पर सख्त अफसरों की तैनाती की थी, जिसके बाद डाकुओं का कुछ खौफ कम हुआ था। बताते हैं कि बिजनौर की रहने वाली सुल्ताना का गिरोह काफी बड़ा था। वह रात के समय गांव में घुसता था और लूटपाट करता था। अग्रेजों को भी रात के समय लूट लेता था।

1909 में हुई थी पुलिस अधीक्षक कार्यालय की स्थापना

पुलिस लाइन में लगे शिलापट के अनुसार, 1909 में पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाया गया था, जबकि पुलिस लाइन का पुराना भवन 1868 में बनाया गया था। 1907 में बडग़ांव तो 1912 में चिलकाना थाने को बनाया गया था। इसी तरह से 1912 के आसपास ही बिहारीगढ़, देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, गंगोह आदि थानों को भी बनाया गया था।

सुल्ताना की गिरफ्तारी के लिए यंग किए गए थे तैनात

इतिहास के जानकार और प्रोफेसर बलबीर सिंह की माने तो अंग्रेजी हुकुमत की नाक में दम करने वाली डाकू सुल्ताना को पकडऩे के लिए सहारनपुर में फ्रेडरिक यंग की तैनाती डीआइजी के पद पर की गई थी। जिसके बाद उन्होंने डाकू सुल्ताना को बिजनौर जिले में मुआना से गिरफ्तार किया था।

28वें कप्तान के कार्यालय में मिला था एसएसपी का दर्जा

15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के बाद सहारनपुर के पहले कप्तान जीके हांडू को बनाया गया था। इनके बाद एलबी बेजाल, आइएच ङ्क्षकग, एके गुप्ता और 1950 में बीएस चतुर्वेंदी एसपी बनाए गए थे। 28वें कप्तान एससी रावत के कार्यकाल में सहारनपुर को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का दर्जा मिला था।

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