मेरठ अब्दुल्लापुर शवदाह गृह का मामला: गिरता रहा बारिश का पानी, अंतिम संस्कार के लिए दो बार सजानी पड़ी चिता
शवदाह गृह के मौके-मुआयने तो खूब हुए। लेकिन उनकी कमियों को दूर करने में लापरवाही बरती गई। नतीजा बारिश के दौरान गुरुवार को अब्दुल्लापुर शवदाह गृह पर निगम की बदइंतजामी की पोल खुल गई। अब्दुल्लापुर शवदाह गृह का मामला-बारिश रुकने के बाद हुआ अंतिम संस्कार।
मेरठ, जेएनएन। मुरादनगर हादसे के बाद भी नगर निगम अधिकारियों ने सबक नहीं लिया। शवदाह गृह के मौके-मुआयने तो खूब हुए। लेकिन उनकी कमियों को दूर करने में लापरवाही बरती गई। नतीजा बारिश के दौरान गुरुवार को अब्दुल्लापुर शवदाह गृह पर निगम की बदइंतजामी की पोल खुल गई। यहां प्लेटफार्म की टूटी छत से चिता पर बारिश का पानी गिरता रहा। जिससे चिता तो बुझ गई। शव के अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को दो बार चिता सजानी पड़ी।यही नहीं लकड़ी गीली होने के कारण उन्हें दाह संस्कार करने के लिए चीनी समेत अन्य सामग्री मंगानी पड़ी।
यह है मामला
वार्ड 17 अब्दुल्लापुर निवासी राजेश कुमार गुप्ता की माता कलावती का निधन बुधवार देर रात हो गया था। परिजन गुरुवार दोपहर 11.15 बजे अंतिम संस्कार के लिए अब्दुल्लापुर शवदाह गृह पहुंचे थे। चिता सजाकर अग्नि जैसे ही दी गई। जोरदार बारिश शुरू हो गई। देखते ही देखते बारिश का पानी प्लेटफार्म की टूटी छत से सीधे चिता पर तेजी से गिरने लगा। जिससे चिता बुझ गई। इसके बाद परिजनों ने बारिश बंद होने का इंतजार किया। बारिश बंद होने के बाद चूंकि लकड़ी भीग गई थी। इसे देखते हुए चीनी और अन्य सामग्री अधिक मात्रा मंगाई गई। करीब तीन घंटे बाद अंतिम संस्कार संभव हुआ। समाजसेवी मोहित राठौर ने बताया कि अब्दुल्लापुर शवदाह गृह के प्लेटफार्म की छत की मरम्मत की एक साल से मांग की जा रही है। नगर निगम अधिकारियों को पत्र भी लिखे गए। लेकिन अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। पिछले साल बरसात में बाउंड्रीवाल गिर गई थी।
शवदाह गृह की प्लेटफार्म की छत पर धुंआ निकलने के लिए यह स्थान छोड़ा जाता है। लेकिन निर्माण एजेंसी को इसके ऊपर कुछ स्थान ऊंचाई पर कवर करना चाहिए था। जो नहीं किया गया। इसे सुधारा जाएगा। ब्रजपाल सिंह, सहायक नगर आयुक्त द्वितीय।