सालभर में हवा में दोगुना जहर.. कैंसर का भी खतरा

सांस के जरिए जहरीले कण शरीर में तेजी से पहुंच रहे हैं। सितंबर-2019 से अक्टूबर-2020 तक हवा में तैरते भारी तत्वों की मात्रा दोगुनी होने से हार्ट बोनमैरो एवं कैंसर का खतरा बढ़ गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 06:07 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 06:07 AM (IST)
सालभर में हवा में दोगुना जहर.. कैंसर का भी खतरा
सालभर में हवा में दोगुना जहर.. कैंसर का भी खतरा

संतोष शुक्ल, मेरठ : सांस के जरिए जहरीले कण शरीर में तेजी से पहुंच रहे हैं। सितंबर-2019 से अक्टूबर-2020 तक हवा में तैरते भारी तत्वों की मात्रा दोगुनी होने से हार्ट, बोनमैरो एवं कैंसर का खतरा बढ़ गया है। एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीटयूट की रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ-एनसीआर की हवा में कैडमियम, लेड और मालिब्डेनम की मात्रा खतरनाक स्तर से कई गुना ज्यादा मिली है।

हार्ट व डीएनए पर भारी रिस्क

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डा. योगेंद्र ने बताया कि टेरी नामक संस्था ने रिपोर्ट जारी की है, जिसमें नई दिल्ली व पड़ोसी शहरों की हवा में जिंक, लेड, मालिब्डेनम, कैडमियम, मैंगनीज, आर्सेनिक, निकिल, सेलेनियम एवं मरकरी की मात्रा सालभर में दोगुना बढ़ने की बात कही गई है। वाहनों के संचालन एवं कई औद्योगिक इकाइयों से भी भारी धातुएं उत्सर्जित होकर हवा में पहुंचती हैं। सर्दियों के मौसम से पहले हवा में विषाक्त कणों का घनत्व बढ़ने लगा है।

17 प्रकार के प्रदूषक हैं हवा में

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण के लिए 17 प्रकार की इकाइयों को जिम्मेदार बताया है। मेरठ में डीजल वाहनों, पुराने जनरेटरों एवं औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले सल्फर, निकिल, नाइटोजन एवं वोल्टाइल आर्गेनिक कंपाउंड से हवा तेजी से जहरीली हो रही है।

हेवी मेटल यानी भारी तत्च की बढ़ी मात्रा

तत्व नाम सालभर में बढ़ी मात्रा लेड 1.8 गुना

मालिब्डेनम 2.13 गुना

आर्सेनिक 5.1 गुना

निकिल 5 गुना

मरकरी 20 गुना

कैडमियम 2.5 गुना

जिंक 1.7 गुना

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जिलाधिकारी की निगरानी में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विषाक्त धुआं छोड़ने वाली इकाइयों पर शिकंजा कर रहा है। नौ प्रदूषणकारी इकाइयों को नोटिस दिया है। धूलकण उत्सर्जित करने वाली निर्माण इकाइयों को भी रोका जा रहा है।

-डा. योगेंद्र, अध्यक्ष, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

एक रिसर्च के मुताबिक प्रदूषित हवा यानी पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ने से सांस की बीमारी में 28, जबकि हार्ट की बीमारी में 69 प्रतिशत बढ़ गई। कार्डियोवस्कुलर बीमारियों के लिए 300 रिस्क फैक्टर चिन्हित किए गए हैं। हवा में हैवी मेटल बढ़ना बेहद खतरनाक हैं।

डा. संजीव सक्सेना, हृदय रोग विशेषज्ञ

कैडमियम और लेड कैंसरकारक तत्व हैं, जिसका लंग्स में जाना खतरनाक है। 2015-2020 के बीच पुरुषों में लंग्स कैंसर 30.7, जबकि महिलाओं में 47.3 प्रतिशत बढ़ा है। इसकी सबसे बड़ी वजह जहरीली हवा है।

-डा. अमित जैन, कैंसर रोग विशेषज्ञ

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