पारुल की जान की दुश्मन बन गई कुत्तों की रोटी

बिल्डर योगेंद्र का भाई आशीष गली मोहल्ले के करीब 20 कुत्तों को रोजाना शाम के समय रोटी खिलाता था। यही कारण है कि शाम होते ही आशीष के घर के बाहर कुत्तों की भीड़ जमा हो जाती थी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Dec 2020 10:15 AM (IST) Updated:Tue, 15 Dec 2020 10:15 AM (IST)
पारुल की जान की दुश्मन बन गई कुत्तों की रोटी
पारुल की जान की दुश्मन बन गई कुत्तों की रोटी

मेरठ, जेएनएन। बिल्डर योगेंद्र का भाई आशीष गली मोहल्ले के करीब 20 कुत्तों को रोजाना शाम के समय रोटी खिलाता था। यही कारण है कि शाम होते ही आशीष के घर के बाहर कुत्तों की भीड़ जमा हो जाती थी। छह माह से कुत्तों का खाना बनाती आ रही पारुल ने रविवार को खाना बनाने से इन्कार कर दिया था। भाई बहन में विवाद के बाद पारुल ने खाना बना दिया था। सोमवार को पारुल अपनी तबीयत खराब बताकर बिस्तर पर लेट गई थी। उसके बाद भी आशीष जबरन पारुल पर खाना बनाने का दबाव बना रहा था। पारुल के इंकार पर आशीष ने तमंचा से पारुल को गोली मार दी।

सुरेंद्र के दो बेटे और तीन बेटियां हैं, पारुल तीनों बेटियों में सबसे योग्य थी। ग्रेजुएशन करने के बाद नौकरी तक करना चाहती थी। भाई योगेंद्र और आशीष की वजह से नौकरी नहीं कर पा रही थी। पारुल और आशीष में इसी बात को लेकर विवाद होता था। पुलिस के मुताबिक, पारुल कहती थी कि वह सिर्फ कुत्तों की रोटी बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहती है। बल्कि अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती है।

तमंचे लेकर घूमता था आशीष : आशीष अक्सर तमंचा लेकर गांव में घूमता था। जमीन का कोई भी विवाद उलझ जाता तो आशीष को बुलाकर ही दूसरे पक्ष को डराया जाता था। इसकी जानकारी पूरे परिवार को थी। यही तमंचा परिवार की एक बेटी की मौत का कारण भी बन गया। क्योंकि मामूली विवाद में भी आशीष परिवार के सदस्यों को तमंचे से डरता था। इंस्पेक्टर रघुराज का कहना है कि पड़ताल की जा रही है कि आशीष ने तमंचा किससे खरीदा था। पुलिस ने आशीष की मां के भी बयान दर्ज कर लिए है।

मनोरोग विशेषज्ञ डा. राशि अग्रवाल ने बताया कि चिता परेशानी के चलते घरेलू हिसा के मामले बढ़ते जा रहे है। कोरोना काल के चलते काम छूट जाने पर, आर्थिक तंगी आने के कारण भी मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है। ऐसे तनाव के चलते छोटी छोटी बातों पर गुस्सा, अस्वाभाविक व असामाजिक काम करने लगता है। मानसिक विकृति के चलते ऐसे लक्षण आ सकते है, जिसमें इंसान के सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। ऐसे लक्षण को जल्दी पहचाने और अनदेखा न करें। मस्तिष्क व मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाए।

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