पांच साल से भगवान श्रीराम की साधना में जुटे हैं दिव्यांग विशाल
21 साल के विशाल मानसिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद पिछले पांच सालों से भगवान राम की आराधना में जुटे हैं।
जेएनएन, मेरठ। 21 साल के विशाल मानसिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद पिछले पांच सालों से भगवान श्रीराम की अनूठी साधना में जुटे हैं। वह प्रतिदिन मंदिर जाते हैं। घर आकर कागजों पर भगवान श्रीराम का नाम अनेकों बार लिखते हैं।
मास्टर कालोनी ब्रहमपुरी निवासी विशाल वर्मा का परिवार गली नम्बर तीन में रहता है। पापा सुधीर वर्मा चांदी की अंगूठी बनाने का काम करते हैं। मम्मी शशी वर्मा गृहणी है। विशाल इस तरह से श्रीराम के नाम को लिखते हैं कि कागज पर एक इंच जगह भी खाली नहीं रहती। विशाल के ताऊजी व जिला उद्योग केंद्र में कार्यरत सुशील वर्मा का कहना है कि पहले इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं गया था लेकिन अब इस बात को भगवान श्रीराम का चमत्कार व कृपा मान लिया है। विशाल इस्तलिखित पत्रों को अयोध्या में बनने जा रहे श्री राम मंदिर में समर्पित करना चाहते हैं। सरकारी सेवा में होने के बावजूद सरकार की खिलाफत
जेएनएन, मेरठ। अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने के लिए देश भर के लोगों ने अलग-अलग तरीकों से योगदान दिया। अक्तूबर 1990 में अयोध्या पहुंचे कारसेवकों पर तत्कालीन सरकार ने गोलियां चलवाई थीं। इसके विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे। आज भी मंदिर निर्माण में कारसेवकों के बलिदान को यादकर लोग भाव विभोर हो उठते हैं। इस घटना के साक्षी रहे जागृति विहार निवासी दिगंबर सिंह चौहान अपने संस्मरण बताते हुए बोले घटना के समय वह मेरठ सिंचाई विभाग में कार्यरत थे। इस पूरे वाकया के बाद उन्हें गहरा आहत हुआ। उन्होंने इसके विरोध में 28 अक्तूबर को अपने साथियों और स्वयंसेवकों के साथ गढ़ रोड से रैली निकालकर शास्त्रीनगर चौराहे पर गिरफ्तारी दी थी। वह उत्तर प्रदेश के पहले शख्स हैं जो सरकारी पद को दांव पर लगाकर जेल गए। शामली के वैश्य इंटर कॉलेज में बनी अस्थायी जेल में उन्हें दस दिन तक रखा गया। 7 नंवबर 1990 को रिहा किया गया। मौजूदा समय में भारतीय जनता मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय मंत्री के तौर पर अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।